भाजपा किसे बनाएगी राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार, जानिए विपक्ष की ओर से कौन होगा राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार, क्या है गणित

भाजपा किसे बनाएगी राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार, जानिए विपक्ष की ओर से कौन होगा राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार, क्या है गणित

देश में इस वक्त तीन चुनावों को लेकर काफी चर्चा है। पहला गुजरात, हिमाचल प्रदेश का विधानसभा चुनाव, दूसरा राज्यसभा और फिर राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति चुनाव। चुनाव आयोग ने तो राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए तारीख का ऐलान कर दिया. जल्द ही सत्तापक्ष यानि NDA की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का ऐलान हो जायगा।  लेकिन सवाल ये है कि क्या विपक्षी दल भी राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार उतारेंगे या NDA के उम्मीदवार पर ही आम सहमति बनेगी। 

राष्ट्रपति का चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा के सभी सांसद और सभी राज्यों के विधायक वोट डालते हैं। इन सभी के वोट की अहमियत अलग-अलग होती है। एक सांसद के वोट की कीमत 700 होती है। वहीं, विधायकों के वोट की वैल्यू उस राज्य की आबादी और सीटों की संख्या पर निर्भर होती है। 

राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों के विधानसभा के सदस्य वोट डालते हैं। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में अभी 230 सांसद हैं। जून और जुलाई में 57 सदस्यों की सदस्यता खत्म हो रही है, हालांकि इनमें से 41 सीटों पर निर्विरोध सदस्य चुने जा चुके हैं, जबकि बची हुई सीटों पर 10 जून को चुनाव हो जाएंगे। 

राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत 12 राज्यसभा सांसद राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डालते हैं। वहीं, 543 सदस्यों वाली लोकसभा में अभी 540 सांसद हैं। तीन सीटें खाली हैं। इन पर भी चुनाव की प्रक्रिया जारी है। मतलब साफ है कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा की सभी खाली सीटों पर उपचुनाव हो जाएंगे। चुने गए सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालेंगे। सभी राज्यों की विधानसभा के विधायकों की कुल संख्या 4,033 हैं। सांसदों और विधायकों को मिलाकर इस चुनाव में कुल वोटर्स की संख्या 4809 है। 

कांग्रेस पार्टी के एक सीनियर नेता के मुताबिक पार्टी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम को लेकर विपक्षी दलों में सहमति बनाने की कोशिश करेगी। कांग्रेस के नेता के मुताबिक उम्मीदवार चाहे तो कांग्रेस का होगा या फिर टीएमसी का। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार लिए गुलाम नबी आजाद के नाम पर पार्टी के प्लेटफॉर्म पर चर्चा हो भी चुकी है। पार्टी के नेताओं का मानना है कि गुलाम नबी आजाद के नाम पर विपक्षी दलों में आम सहमति बनाना आसान होगा। क्योंकि आजाद लंबे समय तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता रह चुके हैं और उनके विपक्षी नेताओं से अच्छे संबंध भी हैं। लेकिन अभी ये नाम फाइनल नहीं हुआ है. कांग्रेस के एक सीनियर नेता का दावा है कि NDA के पास 48.5 % वोट है जबकि गैर NDA दलों के वोट की संख्या 51.5% है। सिर्फ UPA के दलों का वोट करीब 24 से 25 फीसदी के करीब हैं. सभी विपक्षी दलों को मिला लें तो ये भी करीब 47% के करीब पहुंचता है। कांग्रेस के नेता के मुताबिक सबकुछ BJD और YSR Congress के रुख पर निर्भर करेगा। क्योंकि इन दोनों दलों का वोट करीब 4% है। जो कि अगर पूरे विपक्षी दलों के एक साथ रह जाएगा तो उनकी जीत हो सकती है और अगर वो वोट NDA को मिल जाएगा तो उसके उम्मीदवार की जीत तय है।

ऐसा संभव है कि इस बार भाजपा महादलित या किसी आदिवासी को देश के राष्ट्रपति या फिर उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में उतार सकती है। खासतौर पर दक्षिण के महादलित या आदिवासी चेहरे को यह मौका मिल सकता है।   मौजूदा समय भाजपा का पंजाब पर काफी फोकस है। किसान आंदोलन के बाद सिख समुदाय में भाजपा के प्रति नाराजगी बढ़ गई थी। ऐसे में संभव है कि सिख चेहरे को राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। किसी मुस्लिम चेहरे को भी राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। पिछले दिनों में आई अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स में इसके लिए दो नामों की चर्चा भी हो रही है। इनमें केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी शामिल हैं। उम्मीदवार चाहे जो हो, लेकिन यह तय है कि दोनों पदों में से एक पर उत्तर तो दूसरे पर दक्षिण भारत का चेहरा उतारा जाएगा। ऐसा करके उत्तर से लेकर दक्षिण तक के सियासी गणित को साधा जा सकता है।