महाराष्ट्र में बीजेपी का बड़ा दांव, जानिए क्यों एकनाथ शिंदे को मिला मुख्यमंत्री का पद?
देवेंद्र फडणवीस को पमुख्यमंत्री बनाकर एक तरीके से यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि भाजपा में अभी और बहुत अप्रत्याशित हो सकता है। भाजपा की तरफ से शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने के फैसले ने उद्धव ठाकरे के लिए मुसीबत पैदा कर दी है। क्योंकि शिंदे एक पुराने शिवसैनिक रहे हैं और बगावत के दौरान भी अलग पार्टी बनाने की जगह खुद को असली शिवसेना करार देते रहे हैं।
एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बन गए हैं। गठबंधन के जरिए ही सही राज्य में ढाई साल बाद भाजपा फिर सत्ता में वापसी कर ली है। महाराष्ट्र में देश की नौ फीसदी से ज्यादा आबादी रहती है। इसके साथ देश के 19 राज्यों में भाजपा सत्ता में है। इन राज्यों में देश की करीब 59% फीसदी आबादी रहती है। वहीं, कांग्रेस की सरकार अब चार राज्यों तक ही सिमटकर रह गई है। शाम तक चर्चा थी कि उद्धव के सीएम पद छोड़ने के बाद देवेंद्र फडणवीस ही अगले सीएम होंगे. लेकिन शाम होते-होते देवेंद्र फडणवीस राज्यपाल से मिले और शिंदे को अगला सीएम घोषित कर दिया. इसके बाद देवेंद्र फडणवीस ने ऐलान किया गया कि फडणवीस खुद सीएम बनने जा रहे हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महाराष्ट्र में भाजपा की राजनीति सिर्फ एक धुरी की नहीं है। इसलिए देवेंद्र फडणवीस के राजनीतिक पद और कद को लेकर फिर सामान्य कयासबाजी लगाकर खारिज कर देना राजनीतिक दूरदर्शिता नहीं होगी। वे कहते हैं कि उपमुख्यमंत्री बनाकर एक तरीके से यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि भाजपा में अभी और बहुत अप्रत्याशित हो सकता है। राजनीतिक गलियारों में कयास तो इस बात के भी लगाए जा रहे हैं संभव है कि एकनाथ शिंदे को भाजपा में भविष्य का बड़ा नेता बनाकर प्रोजेक्ट किया जाए।
बीते कुछ समय से जिस तरीके से भाजपा में नए नेताओं को आगे बढ़ाने का चलन शुरू हुआ है, उसमें कद्दावर नेताओं के तौर पर देवेंद्र फडणवीस का नाम भविष्य के नेताओं के तौर पर लिया जाता रहा है। हालांकि भाजपा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक देवेंद्र फडणवीस को आगे बढ़ाए जाने पर कुछ नेताओं को यह बात अखर रही थी। हालांकि इसका भाजपा के किसी नेता ने किसी भी पब्लिक फोरम पर विरोध तो नहीं दर्ज किया, लेकिन अंदरखाने इस बात को लेकर चर्चाएं अक्सर होती रहती थीं। ऐसे में देवेंद्र फडणवीस को उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की सूचना तमाम तरीके के राजनीतिक प्रयासों को बल देते हैं। हालांकि उप मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा के बाद ही देश के गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर देवेंद्र फडणवीस को बधाई देते हुए कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कहने पर देवेंद्र फडणवीस ने बड़ा मन दिखाते हुए महाराष्ट्र की जनता और राज्य के हित में सरकार में शामिल होने का निर्णय लिया है। अमित शाह ने कहा कि यह निर्णय महाराष्ट्र के प्रति उनकी सच्ची निष्ठा और सेवा भाव का परिचायक है। सिर्फ अमित शाह ने ही नहीं बल्कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी ट्वीट कर देवेंद्र फडणवीस को मंत्रिमंडल में शामिल होने की बधाई दी।
जानिए क्यों एकनाथ शिंदे बने मुख्यमंत्री?
महाराष्ट्र में राजनीतिक सरगर्मियां शुरू होने के साथ ही यह तय हो गया था कि शिवसेना से जो भी विधायक बगावत कर रहे हैं, उन्होंने एकनाथ शिंदे को अपना नेता मान लिया है। पहले विधायकों का एक बड़ा समूह शिंदे के साथ गुजरात और फिर असम के गुवाहाटी रवाना हुआ। बाद में एक-एक करके कुछ और विधायक शिवसेना से टूटकर शिंदे गुट से जुड़ गए। एकनाथ शिंदे इस वक्त निर्दलीयों को मिलाकर 50 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं। यानी इस पूरे सियासी उठापटक की शुरुआत से लेकर आखिर तक नियंत्रण सिर्फ एकनाथ शिंदे के ही हाथ में रहा।
जानकारों की मानें तो भाजपा की तरफ से शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने के फैसले ने उद्धव ठाकरे के लिए मुसीबत पैदा कर दी है। क्योंकि शिंदे एक पुराने शिवसैनिक रहे हैं और बगावत के दौरान भी अलग पार्टी बनाने की जगह खुद को असली शिवसेना करार देते रहे हैं। भाजपा ने शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर उद्धव को उनके ही शब्दों में घेरने का भी काम किया है। इसके साथ ही शिवसेना के बचे विधायकों को भी अपनी ओर करने का प्रयास किया है। इस कदम से भाजपा उद्धव ठाकरे को शिवसेना में अलग-थलग कर देने की भी कोशिश कर रही है।
राजनीतिक गलियारों में एक चर्चा यह भी है कि फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद को इसीलिए त्यागा है ताकि वह उद्धव ठाकरे को खुली चुनौती दे सके। 2019 के चुनाव के बाद शिवसेना ने दावा किया था कि भाजपा ने ढाई साल के मुख्यमंत्री का वादा किया था। तब फडणवीस ने कहा था कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ था और विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह उन्हें ही पीएम बनाने की बात कह रहे थे। हालांकि, शिवसेना ने पलटवार करते हुए कहा था कि सीएम पद के मोह की वजह से फडणवीस अपने वादे से मुकर रहे हैं। ऐसे में इस बार फडणवीस के सीएम पद न लेने के फैसले को शिवसेना को सीधे संदेश के तौर पर भी देखा जा रहा है।
2024 में लोकसभा और सात राज्यों के विधानसभा चुनाव भी होंगे। इनमें सिक्किम, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड शामिल हैं। अभी हरियाणा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम में भाजपा की सरकार है। ओडिशा में बीजद, आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी, महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की गठबंधन वाली सरकार है। इन राज्यों में भाजपा के सामने बड़ी चुनौती यह है कि जहां वह सरकार में है, उसे कायम रखना और जहां वह विपक्ष में है, वहां जीत हासिल करना।