सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय दबाव नहीं और भी कारण है, जानिए बीजेपी ने क्यों किया नूपुर शर्मा को निलंबित
इन दिनों वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर देशभर में चर्चा छिड़ी हुई है। पिछले महीने के शुक्रवार 27 मई को भाजपा के प्रवक्ता के तौर पर नुपुर एक नेशनल टेलीविजन न्यूज चैनल की डिबेट में पहुंचीं। बहस के दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग हिंदू आस्था का लगातार मजाक उड़ा रहे हैं। अगर यही है तो वह भी दूसरे धर्मों का मजाक उड़ा सकती हैं। नुपुर ने इसके आगे इस्लामी मान्यताओं का जिक्र किया, जिसे कथित फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर ने अपने ट्विटर अकाउंट से शेयर किया और नुपुर पर पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी करने का आरोप लगाया।
BJP के दो नेताओं- नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल की पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई आलोचना के चलते पार्टी ने दोनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी पड़ी है। बीजेपी ने अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया है। वहीं बीजेपी की दिल्ली इकाई के मीडिया प्रमुख नवीन कुमार जिंदल को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।
दोनों पर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है। इस कार्रवाई को लेकर कई तरह की चर्चा है। कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार पर अंतरराष्ट्रीय, खासतौर पर गल्फ देशों के दबाव के चलते भाजपा ने ये फैसला लिया है।
3 जून को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मंदिर मस्जिद को लेकर एक बयान दे दिया। इसमें उन्होंने कहा, 'इतिहास वह है, जिसे हम बदल नहीं सकते। इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, यह उस समय घटा.. हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों तलाशना है? यह ठीक नहीं है। हम विवाद क्यों बढ़ाना चाहते हैं? हर दिन हमें नया मामला नहीं लाना चाहिए।'
5 जून को पहले भारतीय जनता पार्टी के महासचिव अरुण सिंह ने एक बयान जारी किया। इसमें उन्होंने नुपुर का नाम तो नहीं लिया, लेकिन शब्दों से साफ मालूम चल रहा था कि वह उन्हीं की बात कर रहे हैं। अरुण सिंह ने अपने बयान में कहा, 'पार्टी किसी भी संप्रदाय या धर्म का अपमान करने वाली किसी भी विचारधारा के खिलाफ है। पार्टी सभी धर्मों का सम्मान करती है और किसी भी धार्मिक व्यक्तित्व के अपमान की कड़ी निंदा करती है। भाजपा ऐसे लोगों या विचारों को बढ़ावा नहीं देती है।' अरुण के इस बयान के चंद घंटे बाद ही नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल पर कार्रवाई हो गई। दोनों को पार्टी के सभी पदों से हटाते हुए प्राथमिक सदस्यता से भी निलंबित कर दिया गया।
नूपुर शर्मा को लिखे पत्र में, बीजेपी की केंद्रीय अनुशासन समिति के सदस्य सचिव ओम पाठक ने कहा, “आपने विभिन्न मामलों पर पार्टी की स्थिति के विपरीत विचार व्यक्त किए हैं, जो कि भारतीय जनता पार्टी के संविधान के नियम 10 (ए) का स्पष्ट उल्लंघन है. मुझे आपको यह बताने के लिए निर्देशित किया गया है कि आगे की जांच के लिए, आपको तत्काल प्रभाव से पार्टी से और आपकी जिम्मेदारियों / असाइनमेंट से निलंबित कर दिया जाता है.
शुरुआत में ये मामला केवल भारतीय मुसलमानों तक सीमित था। इसके चलते भाजपा लगातार नुपुर शर्मा को डिफेंड कर रही थी, लेकिन जब ये अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना तो सरकार के लिए मुसीबतें बढ़ने लगीं। खासतौर पर अरब देशों में इसको लेकर काफी आक्रोश था। केंद्र सरकार नहीं चाहती थी कि ये विवाद बढ़े और इसका असर अंतरराष्ट्रीय रिश्तों पर पड़े।
ऐसा नहीं है कि सिर्फ अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते नुपुर शर्मा पर ये कार्रवाई हुई है। दरअसल इसके पीछे सबसे बड़ा कारण ये है कि अरब देशों में इस बयान को लेकर भारतीय हिंदुओं के खिलाफ कट्टरपंथियों ने गुट बना लिए थे। कतर, कुवैत, ओमान, बहरीन जैसे देशों में रहने वाले भारतीय हिंदू खतरे में आ गए थे। इन्हें खुलेआम धमकियां मिलने लगीं थीं। कई जगहों पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़ी जाने लगीं थी। ऐसे में भारत सरकार अगर खुलकर स्टैंड नहीं लेती तो हालात भयावह हो सकते थे।
नुपुर शर्मा के बयान के बाद कानपुर में सांप्रदायिक हिंसा हो चुकी है। अच्छी बात ये है कि समय रहते इसे पुलिस ने संभाल लिया, लेकिन ये तो एक शुरुआत थी। अगर नुपुर के खिलाफ भाजपा कार्रवाई नहीं करती तो इस तरह के सांप्रदायिक हिंसा देश के दूसरे राज्यों और शहरों में होने का खतरा बढ़ने लगा था। सांप्रदायिक तनाव को कम करने के लिए भाजपा ने ये फैसला लिया।