विपक्ष के 12 संसद निलंबित जानिए क्या है पूरा मामला और किस नियम से लोकसभा राज्यसभा में ऐसा किया जाता है

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन विपक्ष के 12 सांसदों को राज्यसभा से निलंबित कर दिया। ये 12 सांसद पूरे सत्र में सदन लौट नहीं पाएंगे। इनमें कांग्रेस के छह, टी एम सी और शिवसेना के दो-दो जबकि सीपीएम और सीपीआई के एक-एक सांसद हैं। जिन सांसदों पर कड़ी कार्रवाई की है, उनमें अकेले कांग्रेस के छह सांसद शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षियों पर किया कड़ा प्रहार

विपक्ष के 12 संसद निलंबित जानिए क्या है पूरा मामला और किस नियम से लोकसभा राज्यसभा में ऐसा किया जाता है

संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होते ही विपक्ष को बड़ा झटका लगा है. हंगामे के आरोप में राज्य सभा के 12 सांसद निलंबित कर दिए गए हैं. अब इसे लेकर विपक्षी दल अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं. हालांकि खबर ये भी है कि निलंबित सांसदों  के माफी मांगने पर मामले को रफा-दफा करने की गुंजाइश बाकी है. लेकिन इसको लेकर विपक्ष एकजुट नहीं है. कांग्रेस और टी एम सी ने विपक्षी दलों की बैठक अलग-अलग बुलाई है.

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन विपक्ष के 12 सांसदों को राज्यसभा से निलंबित कर दिया। ये 12 सांसद पूरे सत्र में सदन लौट नहीं पाएंगे। इनमें कांग्रेस के छह, टी एम सी और शिवसेना के दो-दो जबकि सीपीएम और सीपीआई के एक-एक सांसद हैं। जिन सांसदों पर कड़ी कार्रवाई की है, उनमें अकेले कांग्रेस के छह सांसद शामिल हैं। जो कांग्रेसी सांसद इस सत्र में राज्यसभा लौट नहीं पाएंगे, वो हैं- फुलो देवी नेताम, छाया वर्मा, आर बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन और अखिलेश प्रताप सिंह।
कांग्रेस के इन सांसदों के अलावा सीपीएम के एलमरम करीम, सीपीआई के विनय विश्वम, टीएमसी के शांता छेत्री और डोला सेन जबकि शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई को भी राज्यसभा की कार्रवाई से पूरे सत्र के लिए निष्कासित कर दिया है।

बता दें कि 19 जुलाई से शुरू हुए संसद के मॉनसून सत्र को तय वक्त से दो दिन पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था. पेगासस जासूसी मामले और 3 कृषि कानूनों सहित अलग-अलग मुद्दों पर विपक्षी दलों ने खूब हंगामा किया था. इस वजह से लोक सभा और राज्य सभा दोनों सदनों में 30 प्रतिशत से भी कम कामकाज हो पाया था.

ये वही सांसद हैं जिन्होंने पिछले सत्र में किसान आंदोलन एवं अन्य कई मुद्दों के बहाने संसद के उच्च सदन में खूब हंगाम मचाया था। उस दौरान इन सांसदों ने उप-सभापति हरिवंश पर कागज फेंका था और सदन के कर्मचारियों के सामने रखी टेबल पर चढ़ गए थे। इन सांसदों पर कार्रवाई की मांग की गई थी जिस पर राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू को फैसला लेना था। और जब संसद सत्र फिर से शुरू हुआ तो सभापति एम. वेंकैया नायडू ने अपना फैसला सुना दिया। ध्यान रहे कि राज्यसभा में इन विपक्षी सांसदों का बेहद अमर्यादित व्यवहार का जिक्र करते हुए सभापति भावुक हो गए थे। इसलिए उम्मीद की जा रही थी कि सभापति इस संबंध में कोई कड़ा और बड़ा फैसला लेंगे।

वैसे ये पहला मौका नहीं है जबकि सदन में हंगामे के कारण इस तरह की कार्रवाई की गई हो लेकिन ये शायद पहली बार हुआ है कि पिछले सत्र में हंगामे के चलते अगले सत्र में सासंदों पर ये कार्रवाई हुई हो. वैसे संसद में एकसाथ 63 सदस्यों को निलंबित करने का रिकॉर्ड है. संसदीय इतिहास में लोकसभा में सबसे बड़ा निलंबन 1989 में हुआ था. सांसद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को संसद में रखे जाने पर हंगामा कर रहे थे. अध्यक्ष ने 63 सांसदों को निलंबित कर दिया था. निलंबित सदस्यों के साथ अन्य 04 सांसद भी सदन से बाहर चले गए थे .

राज्य सभा के 12 सांसदों के निलंबन पर आज विपक्ष की बैठक है. कांग्रेस ने विपक्ष की बैठक बुलाई है. विपक्ष की इस बैठक में कांग्रेस समेत 15 दल हिस्सा ले रहे हैं. कांग्रेस की तरफ से बुलाई गई इस बैठक में टीएमसी शामिल नहीं है.
विपक्ष की बैठक से पहले कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि माफी मांगने का सवाल ही नहीं है. सरकार ने विपक्ष की आवाज दबाने का काम किया है. मॉनसून सत्र में हुए हंगामे को अब मुद्दा बना रहे हैं. विपक्ष की मीटिंग से पहले कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि माफी मांगने का सवाल ही नहीं है. सरकार ने विपक्ष की आवाज दबाने का काम किया है. मॉनसून सत्र में हुए हंगामे को अब मुद्दा बना रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा सत्र से निलंबित किए गए राज्य सभा के 12 सांसद आज राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडू से मुलाकात कर सकते हैं. संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि निलंबित सांसद अगर अपने बर्ताव के लिए माफी मांगें तो निलंबन वापस लिया जा सकता है.

जानिए क्या है राज्यसभा का नियम 256 जिसके चलते राज्यसभा सांसदों का निलंबन किया जा सकता है 

1. यदि सभापति आवश्यक समझे तो वह उस सदस्य को निलंबित कर सकता है, जो सभापीठ के अधिकार की अपेक्षा करे या जो बार-बार और जानबूझकर राज्य सभा के कार्य में बाधा डालकर राज्य सभा के नियमों का दुरूपयोग करे
2. सभापति सदस्य को राज्य सभा की सेवा से ऐसी अवधि तक निलम्बित कर सकता है जबतक कि सत्र का अवसान नहीं होता या सत्र के कुछ दिनों तक भी ये लागू रह सकता है.
3. निलंबन होते ही राज्यसभा सदस्य को तुरंत सदन से बाहर जाना होगा

अब जानिए लोकसभा के सांसदों का निलंबन किस नियम से किया जा सकता है


लोकसभा में नियम 373 और 374 के जरिए स्पीकर ये अधिकार हासिल होता है.लोकसभा के नियम नंबर-373 के मुताबिक- अगर लोकसभा स्पीकर को ऐसा लगता है कि कोई सांसद लगातार सदन की कार्रवाई बाधित करने की कोशिश कर रहा है तो वह उसे उस दिन के लिए सदन से बाहर कर सकता है, या बाकी बचे पूरे सेशन के लिए भी सस्पेंड कर सकता है.
अगर स्पीकर को लगता है कि कोई सदस्य बार-बार सदन की कार्रवाई में रुकावट डाल रहा है तो उसे बाकी बचे सेशन के लिए सस्पेंड कर सकता है

संसद में सांसदों के नोलंबन के कुछ चर्चित वाकये 

मार्च, 1989 –उस वक्त राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे. अनुशासनहीनता के मामले में 63 सांसदों को तीन दिन के लिए लोकसभा से निलंबित किया गया था.
फरवरी, 2014 –सदन में तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा देने या ना देने को लेकर बहस चल रही थी. इसी बीच बवाल करने वाले 18 सांसदों को स्पीकर मीरा कुमार ने सस्पेंड कर दिया था.
जनवरी, 2019-स्पीकर सुमित्रा महाजन ने TDP और AIADMK के कुल मिलाकर 45 सांसदों को सस्पेंड किया था.