Aadipurush: लखनऊ पीठ का आदेश- पांच विशेषज्ञों की समिति करेगी आदिपुरुष का पुनरीक्षण, फिर तय होगा फिल्म का भविष्य
हाई कोर्ट ने कहा "हमें यह कहते हुए बहुत कष्ट हो रहा है कि रामायण के चरित्रों को बहुत ही शर्मनाक तरीके से फिल्म में प्रदर्शित किया गया है। यह कोई पहली फिल्म नहीं है जिसमें हिंदू देवी-देवताओं का गलत तरीके से चित्रण किया गया हो। यदि इस प्रकार के गैरकानूनी व अनैतिक कृत्य को ना देखा गया तो आगे और भी संवेदनशील विषयों के साथ छेड़छाड़ की जाएगी।"
हाल ही में रिलीज फिल्म आदिपुरुष के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने शुक्रवार को सख्त आदेश दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को विशेषज्ञों की 5 सदस्यीय समिति बनाकर फिल्म का पुनरीक्षण कराने का आदेश दिया।
इनमें दो सदस्य गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस व श्रीमद वाल्मीकि रामायण व अन्य धार्मिक महाकाव्यों के विद्वान होंगें जिससे यह देखा जा सके कि फिल्म में दिखाए गए भगवान राम, सीता जी, हनुमान जी व रावण आदि की कहानी को इन महान धार्मिक ग्रंथों के अनुसार दिखाया गया है या नहीं।
न्यायालय ने कमेटी की रिपोर्ट अगली सुनवाई पर कोर्ट में भी दाखिल करने का आदेश दिया है। इसी के साथ न्यायालय ने फिल्म प्रमाणन बोर्ड के चेयरमैन और सचिव सूचना व प्रसारण मंत्रालय का व्यक्तिगत हलफनामा भी मांगा है। न्यायालय ने सख्त निर्देश दिया है कि व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल न होने पर मंत्रालय के उपसचिव स्तर के अधिकारी को कोर्ट के समक्ष पेश होना होगा।
बता दे कि 'आदिपुरुष' फिल्म विवाद मामले में 28 जून को हुई सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने शुक्रवार को आदेश पारित कर दिया। न्यायालय ने फिल्म के निर्देशक ओम राउत, निर्माता भूषण कुमार और संवाद लेखक मनोज मुंतशिर उर्फ मनोज शुक्ला को 27 जुलाई को अगली सुनवाई पर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत होने का आदेश दिया है।
इसी के साथ न्यायालय ने केंद्र सरकार के सूचना व प्रसारण मंत्रालय को एक सप्ताह के भीतर पांच सदस्यीय कमेटी बनाकर फिल्म से संबंधित सभी शिकायतों को सुनकर 15 दिनों में रिपोर्ट तैयार करने का भी आदेश दिया है।
हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा, "हमें यह कहते हुए बहुत कष्ट हो रहा है कि रामायण के चरित्रों को बहुत ही शर्मनाक तरीके से फिल्म में प्रदर्शित किया गया है। यह कोई पहली फिल्म नहीं है जिसमें हिंदू देवी-देवताओं का गलत तरीके से चित्रण किया गया हो। यदि इस प्रकार के गैरकानूनी व अनैतिक कृत्य को ना देखा गया तो आगे और भी संवेदनशील विषयों के साथ छेड़छाड़ की जाएगी।"
कोर्ट ने फिल्म प्रमाणीकरण बोर्ड के चेयरमैन को भी आदेश दिया कि संबंधित दस्तावेजों के साथ इस आशय का हलफ़नामा पेश करें कि फिल्म आदिपुरुष को दिखाने का प्रमाणपत्र जारी करते समय सेन्सर बोर्ड के दिशानिर्देशों का पालन किया गया या नही।
कोर्ट ने सख्त ताकीद किया कि अगर ये हलफनामे इन अफसरों ने न दाखिल किए तो अगली सुनवाई पर 27 जुलाई को इनके उप सचिव स्तर के अधिकारी को कोर्ट में पेश होना होगा। कोर्ट ने फिल्म के निर्देशक ओम राऊत, भूषण कुमार व संवाद लेखक मनोज मुंताशिर को भी खुद की सदाशयता दिखाने वाले जवाबी हलफनामे के साथ 27 जुलाई को तलब किया है।
न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश मामले में दाखिल दो याचिकाओं पर दिया। याचिकाओं में इस फिल्म पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की गुहार हाईकोर्ट में की गई है। याचियों की ओर से अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री व प्रिंस लेनिन ने फिल्म में दिखाए गए सीन के फोटोज को आपत्तिजनक कहकर पेश किया। उन्होने इसे हिन्दू सनातन आस्था के साथ खिलवाड़ कहकर सख्त कारवाई का आग्रह किया।
राज्य सरकार की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह पेश हुए और इसे हिन्दू आस्था से जुड़ा मामला कहा। केंद्र की ओर से उप सॉलिसीटर जनरल एस बी पांडेय पेश हुए।उनके जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ। और मामले को गम्भीर सरोकार वाला कहकर केंद्र को फिल्म का पुनरीक्षण करवाने के आदेश के साथ पक्षकारों से जवाब तलब किया।
राज्य सरकार की ओर से पेश मुख्य स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह ने इसे हिंदू आस्था से जुड़ा मामला बताया। केंद्र की ओर से उपसॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय ने दलीलें रखीं। खंडपीठ उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुई और मामले को गंभीर सरोकार वाला बताकर फिल्म के पुनरीक्षण का आदेश दिया।
हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओं में फिल्म पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की गुहार की गई है। याचियों की ओर से अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री व प्रिंस लेनिन ने फिल्म में दिखाए दृश्यों की तस्वीरों को आपत्तिजनक कहकर पेश किया। उन्होंने इसे हिंदू सनातन आस्था के साथ खिलवाड़ बताते हुए सख्त कार्रवाई का आग्रह किया।