Adipurush Film Review: दुविधा में दोनों गए मनोरंजन मिला न राम, ये डायलॉग्स सुनकर आप भी कहेंगे, फिल्म की वाट लगा दी

इस फिल्म में बेहद खराब डायलॉग्स हैं, जो रामायण की भाषा के अनुरूप भी नहीं हैं. हनुमान जी की उनके डायलॉग्स को लेकर आलोचना हो रही है. इन गलतियों को देखने के बाद लगता है कि मेकर्स को 600 करोड़ का चूना लगने वाला है.

Adipurush Film Review: दुविधा में दोनों गए मनोरंजन मिला न राम, ये डायलॉग्स सुनकर आप भी कहेंगे, फिल्म की वाट लगा दी

सिनेमाई छूट के सहारे पौराणिक कथाएं कहने का इतिहास भारत में भी सिनेमा जितना ही पुराना है। पहली राम कथा जब परदे पर उतरी तो राम और सीता दोनों के किरदार एक ही कलाकार ने निभाए। राम की सौम्यता की झलक वहीं से निकली। 

तेलुगू में बनी रामकथा में राम मूंछों के साथ नजर आए और अब तेलुगू के तथाकथित सुपर सितारे प्रभास जब अपनी नई फिल्म के साथ सिनेमाघरों तक पहुंचे हैं तो वह मूंछों वाले राम ही बने हैं। राम को जिस दिन राजा बनना था, उसका मुहूर्त नक्षत्रों की गणनाएं करके ही निकाला गया। 

गुरु वशिष्ठ जैसे ज्ञानी ने ये मुहूर्त निकाला लेकिन वही मुहूर्त राजा दशरथ के मरण और राम के वनवास का कारण बना। राम कथा ऐसी ही छोटी छोटी अनुभूतियों की कहानी है। ये अनुभूतियां कभी केवट प्रसंग में दिखती हैं, कभी शबरी के जूठे बेरों में तो कभी राम और हनुमान के मिलन में। 

दुश्मन सेना में आकर मरणासन्न की चिकित्सा करने वाले सुषेण वैद्य का प्रसंग विस्तार में देखे तो बड़े सामाजिक प्रभाव वाला है, लेकिन जिस सामाजिक समरसता का पाठ राम ने पढ़ाया, वे यहां उनके पराक्रमी प्रचार के प्रपंच में खो गए हैं।

प्रभास की फिल्म 'आदिपुरुष' रिलीज क्या हुई सोशल मीडिया पर तहलका ही मच गया. हर तरफ बस इस फिल्म के ही चर्चे हो रहे हैं. लंबे समय से प्रभास और कृति सेनन स्टारर इस फिल्म का इंतजार फैंस को था और अब जब ये रिलीज हो गई है, तो देखने वालों का भेजा ही फ्राई ही हो गया. 

मेकर्स के मुताबिक, इस फिल्म को रामायण की महागाथा के आधार पर बनाया गया है. फिल्म कहानी है राघव और जानकी के प्रेम है तो वहीं रावण की मायावी शक्तियां और अहंकार भी है. फिल्म के VFX में करोड़ों रुपये का खर्च किया गया है. बड़े-बड़े एक्टर्स को इसमें लिया गया है. लेकिन एक चीज जो किसी भी दर्शक के गले से नहीं उतर पा रही है, वो है इसके डायलॉग.

'आदिपुरुष' कहानी त्रेता युग की है. जिसे फिल्म के मेकर्स ने अपने ऊट पटांग डायलॉग्स से कलयुग बना दिया है. यही उनकी भारी गलती है. फिल्म में किरदारों को बातें सुनकर आपको लगेगा ही नहीं कि आप रामायण की कहानी देख रहे हैं. भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे. रावण ज्ञानी था. उनके और उनके साथ के किरदारों के मुंह से अजब-गजब बातें सुनना अजीब लगना लाजिमी है. 

उस युग में कोई भी 'जो हमारी बहनों को हाथ लगाएगा उसकी लंका लगा देंगे' जैसी बातें उस समय में तो नहीं करता था. शायद फिल्म का स्क्रीनप्ले और डायलॉग लिखने वाले मनोज मुंतशिर ये बात भूल गए थे. या फिर उन्होंने रिसर्च ही नहीं की. क्योंकि रामायण को 'फंकी', 'मॉडर्न' और 'रिलेटेबल' बनाने के चक्कर में मेकर्स ने भारी ब्लन्डर कर डाला है.

इस फिल्म के कुछ खतरनाक डायलॉग्स पढ़ ही लीजिए. ये ऐसे डायलॉग्स हैं जिन्हें फिल्म में सुनते ही आपके कान खड़े हो जाते है कि हाय! दइया ये क्या बुलवा रहे हो हनुमान से? या इंद्रजीत से..

फिल्म के एक सीन में इंद्रजीत, बजरंग की पूंछ में आग लगाने के बाद कहते हैं- 'जली ना? अब और जलेगी. बेचारा जिसकी जलती है वही जानता है.' इसके जवाब में बजरंग कहते हैं, 'कपड़ा तेरे बाप का. तेल तेरे बाप का. आग भी तेरे बाप की. और जलेगी भी तेरे बाप की.'

रावण का एक राक्षस सैनिक बजरंग को अशोक वाटिका में जानकी से बात करते देख लेता है. वो बजरंग से कहता है, ए! तेरी बुआ का बगीचा है क्या जो हवा खाने चला आया. मरेगा बेटे आज तू अपनी जान से हाथ धोएगा.'

रावण को अंगद ललकारते हुए एक सीन में कहते हैं, 'रघुपति राघव राजा राम बोल और अपनी जान बचा ले. वरना आज खड़ा है कल लेटा हुआ मिलेगा.'

शेष (लक्ष्मण) पर वार करने के बाद इंद्रजीत कहता है, 'मेरे एक सपोले ने तुम्हारे इस शेष नाग को लंबा कर दिया. अभी तो पूरा पिटारा भरा पड़ा है.'

विभीषण एक सीन में रावण से कहता है, 'भैया आप अपने काल के लिए कालीन बिछा रहे हैं.'

एक और सीन में रावण, राघव के लिए कहता है,  'अयोध्या में तो वो रहता नहीं. रहता वो जंगल में है. और जंगल का राजा तो शेर होता है. तो वो राजा कहां का रे.' 

ये किस हिसाब के डायलॉग हैं भाई? क्योंकि ये रामायण के हिसाब के डायलॉग तो नहीं हैं. बजरंग, रावण और इंद्रजीत जैसे किरदारों को ऐसे डायलॉग बोलते सुनना बेहद अजीब है. आपका कहना है कि आप वाल्मीकि रामायण का स्क्रीन रूपांतरण बना रहे हैं. आप अपनी फिल्म में मॉडर्न टच डाल रहे हैं बहुत अच्छी बात है. आप अपनी फिल्म के अस्वीकरण में कह रहे हैं कि रामायण को अपने हिसाब से अलग-अलग लोगों ने लिखा है. हम अपने अलग नजरिए से इसे दिखा रहे हैं. बहुत अच्छी बात है. लेकिन आप आंख बंद करके ऐसे डायलॉग कैसे लिख सकते हैं?

Adipurush की ये है 8 बड़ी गलतियां -

फिल्म से जो उम्मीद थी, उस पर निर्देशक ओम राउत खरे नहीं उतर सके. फिल्म के VFX की तो लंबे समय से आलोचना हो ही रही थी. अब फिल्म आने के बाद लोग और भी ज्यादा झुंझला गए हैं. दरअसल, भगवान राम की कथा के साथ मेकर्स ने जो एक्सपेरिमेंट कर डाला वो लोगों को जमा नहीं. इसलिए दर्शक इसकी जमकर आलोचना कर रहे हैं. दर्शकों ने फिल्म देख ऐसी कमियां निकाल डाली है, जिस पर शायद मेकर्स ध्यान ही नहीं दे सके या ये कहें ये ही तो एक्सपेरिमेंट था.

वीएफएक्स इस फिल्म की यूएसपी बताई गई. लेकिन दर्शकों को ये वीएफएक्स बिलकुल रास नहीं आए. कई दर्शक इसके वीएफएक्स वर्क की जमकर आलोचना कर रहे हैं.

माता सीता वनवास गईं तो उन्होंने क्या धारण किया था. ये रामानंद सागर की रामयण देख अब इस दशक के बच्चे भी जान गए हैं. लेकिन फिल्म आदिपुरुष माता सीता की साड़ी को सफेद रंग के साथ दिखाया गया. जो लोगों की नाराजगी का दूसरा कारण बना.

भाई बच्चा-बच्चा जानता है कि रावण की लंका सोने की थी. लेकिन ओम राउत की फिल्म आदिपुरुष में सोने की लंका को काले रंग का दिखाने पर मेकर्स को खूब लताड़ा जा रहा है.

फिल्म में भगवान राम के अनुज, लक्ष्मण की दाढ़ी और रावण के हेयरस्टाइल पर भी लोगों का गुस्सा फूट रहा है. लोग कह रहे हैं क्या मजाक किया है बॉस...

रावण सीता का हरण करके उसे पुष्पक विमान से लंका ले जाता है. ग्रंथों में तो ऐसा ही है. लेकिन आदिपुरुष में रावण सीता मां को पुष्पक विमान नहीं बल्कि एक काले रंग के चमकागड़ की तरह के पक्षी की सवारी कराकर ले जाता है. ये सीन देखकर भी लोगों ने आदिपुरुष को ट्रोल कर दिया है.

हनुमान लंका पहुंचे तो सीता मां को प्रणाम करने की जगह वह सीने पर हाथ रखकर सलाम करते नजर आए. वहीं वापस जाते समय जब सीता मां उन्हें पहचान के तौर पर निशानी देती हैं तो वह चूड़ामणि की जगह कड़ा देती नजर आ रही है.

इस फिल्म में बेहद खराब डायलॉग्स हैं, जो रामायण की भाषा के अनुरूप भी नहीं हैं. हनुमान जी की उनके डायलॉग्स को लेकर आलोचना हो रही है. इन गलतियों को देखने के बाद लगता है कि मेकर्स को 600 करोड़ का चूना लगने वाला है.