मुख्यमंत्री की कुर्सी के बाद अब कर्नाटक में मंत्रालय को लेकर मचा घमासान

राज्य में कई विधायकों ने पहली सूची में जगह नहीं मिलने पर नाराजगी जाहिर कर दी है. हालांकि, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का कहना है कि जल्दी कैबिनेट विस्तार किया जाएगा. 

मुख्यमंत्री की कुर्सी के बाद अब कर्नाटक में मंत्रालय को लेकर मचा घमासान

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस के अंदर जो घमासान मचा है वो कम होने का नाम नहीं ले रहा है. मुख्यमंत्री के बाद अब मंत्रालयों को लेकर विधायकों में नाराजगी देखने को मिल रही है. 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य में कई विधायकों ने पहली सूची में जगह नहीं मिलने पर नाराजगी जाहिर कर दी है. हालांकि, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का कहना है कि जल्दी कैबिनेट विस्तार किया जाएगा. 

डीके शिवकुमार ने पद की इच्छा रखने वालों को शांत रहने की सलाह दी है. वहीं, वरिष्ठ नेता एमबी पाटिल ने दावा कर दिया है कि शिवकुमार और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बीच कोई पावर शेयरिंग फॉर्मूला नहीं बना है.

कांग्रेस महासचिव और 6 बार के विधायक दिनेश गुंडू राव, भद्रावती विधायक बीके संगमेश्वर समेत कई नेता अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं.  संगमेश्वर ने कहा कि पूर्व स्पीकर कगोडु थिमप्पा के बाद मैं चार बार का विधायक हूं और मेरे नाम शिवमोगा से सबसे ज्यादा बार चुने जाने का रिकॉर्ड है. उन्होंने कहा, मैं सिद्धारमैया, शिवकुमार और पार्टी से मेरे योगदान को समझने की अपील करता हूं. 

उन्होंने यह भी याद दिला दिया कि 2008 और 2018 में बीजेपी की तरफ से पहली बार कथित तौर पर उन्हें ही ऑफर मिला था, लेकिन वह कांग्रेस छोड़कर नहीं गए.राव ने कहा कि 2019 में मैंने 15 विधायकों के दल बदलने की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पीसीसी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. ऐसा नहीं था कि मैं अपना काम करने में सक्षम नहीं था, ऐसा इसलिए कि क्योंकि मेरी नजर में रहते ये दल बदल हुए. 

बता दें कि सिद्धारमैया ने शनिवार को दूसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. साथ ही प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने उपमुख्यमत्री और आठ विधायकों ने मंत्री के रूप में शपथ ली. 

बता दे कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के तहत 10 मई को मतदान संपन्न हुआ था और 13 मई को मतगणना की गई है.  कांग्रेस ने 224 सीटों में से 135 सीटें जीतकर सत्ता हासिल की और वहीं भारतीय जनता पार्टी को 66 सीटें और जनता दल (सेक्युलर) को मात्र 19 सीटों पर संतोष करना पड़ा.