अखिलेश यादव ने छोड़ी सांसदी, बड़ी रणनीति के तहत विधायकी को चुना, जानिए बड़े कारण
अखिलेश यादव 2019 लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ से सांसद चुने गए थे। अखिलेश यादव से पहले आज ही योगी आदित्यनाथ ने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अखिलेश यादव के साथ ही रामपुर से सांसद आजम खान ने भी लोक सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अखिलेश यादव जब लोकसभा से सांसद थे तो उनका ज्यादातर वक्त दिल्ली में गुजरता था। ऐसे में वो इस बार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत पर ध्यान देना चाहते हैं।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज लोक सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। चर्चा है कि अखिलेश यादव अब उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष की कमान संभालेंगे। अखिलेश यादव 2019 लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ से सांसद चुने गए थे। अखिलेश यादव से पहले आज ही योगी आदित्यनाथ ने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अखिलेश यादव के साथ ही रामपुर से सांसद आजम खान ने भी लोक सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। आजम खान रामपुर से विधायक बने हैं।
जानकारी के लिए बता दे अखिलेश यादव ने करहल सीट से चुनाव लड़ा था। उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को 67,504 वोटों के अंतर से हराया। जहां अखिलेश यादव को 1,48,196 वोट मिले तो वहीं बीजेपी के उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने 80,692 वोट हासिल किए। विधान सभा चुनाव में शिकस्त के बाद भी अखिलेश यादव हार मानने को तैयार नहीं हैं। वो लगातार बीजेपी सरकार और उसकी नीतियों का विरोध कर हैं। हाल ही में उन्होंने महंगाई के मुद्दे पर बीजेपी को घेरा। यहाँ पर ध्यान देने वाली बात है कि उत्तर प्रदेश में विपक्ष के नाम पर समाजवादी पार्टी ही है क्योंकि बीएसपी और कांग्रेस का प्रदर्शन विधान सभा चुनाव में बेहद खराब रहा है। बीएसपी महज एक और कांग्रेस 2 सीटों पर चुनाव जीत पाई है. इन दोनों पार्टियों का प्रतिनिधित्व यूपी विधान सभा में बेहद कम है।
अखिलेश मौके पर चौका मारने में बिल्कुल पीछे रहना नहीं चाहते, इसलिए उन्होंने फैसला किया कि अब उत्तर प्रदेश में ही अड्डा जमाया जाए, ताकि बसपा से छिटक रहे मतदाताओं में यह साफ संदेश जाए कि उनका नया ठिकाना सपा ही है, ना कि वो इधर से भी मायूस होकर बीजेपी की शरण में चले जाएं। अब जानिए कुछ संभवित कारण जिसके चलते अखिलेश ने विधायकी चुनी है।
अखिलेश यादव जब लोकसभा से सांसद थे तो उनका ज्यादातर वक्त दिल्ली में गुजरता था। कई बार लोगों ने उत्तर प्रदेश से दूरी बनाने के भी आरोप लगाए। ऐसे में वो इस बार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत पर ध्यान देना चाहते हैं। अखिलेश ने आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया है। विधानसभा चुनाव में इस बार समाजवादी पार्टी का आजमगढ़ की विधानसभा सीटों पर अच्छा प्रदर्शन रहा है। ऐसे में अखिलेश यादव को भरोसा है कि अगर आजमगढ़ लोकसभा की सीट पर उप चुनाव हुए तो ये सीट फिर से समाजवादी पार्टी के खाते में ही जाएगी।
उत्तर प्रदेश में इस बार अखिलेश यादव विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभा सकते हैं, ताकि बीजेपी सरकार को कई मुद्दों पर घेरकर पार्टी को बढ़त मिल सके। 2017 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद अखिलेश यादव केंद्र की राजनीति में कूद पड़े थे। जिसके बाद ऐसा माना गया कि उत्तर प्रदेश में विपक्ष कमजोर पड़ गया था। अखिलेश यादव फिर से वही गलती नहीं दोहराना चाहते हैं। आजम खान के विधानसभा सदस्य बने रहने से भी पार्टी को उनके अनुभव का फायदा पहुंचेगा।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सबसे ज्यादा 80 सीटें हैं। 2024 आम चुनाव को लेकर अखिलेश यादव यूपी में सियासी जमीन को मजबूत करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। अखिलेश यादव यह भी जानते हैं कि इस चुनाव में बसपा से बड़ी संख्या में मतदाताओं से दूरी बना ली है। इसका सबसे बड़ा फायदा सपा को हुआ। अखिलेश को पता है कि बसपा और कमजोर हुई तो उसके वोटरों के पाला बदलने का सिलसिला और तेज होगा। ऐसे वक्त में सपा कमजोर रही तो बीजेपी को बड़ा फायदा हो सकता है।