कोरोना के बढ़ते प्रसार के बीच, चुनावी रैलियों पर रोक को लेकर जल्द कोई ऐलान कर सकता है आयोग
कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के बढ़ते प्रसार के बीच भी चुनावी रैलियों, बाइक रैलियों, नुक्कड़ सभा और जनसभाओं पर कोई प्रतिबंध नहीं है। अब पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के साथ ही सभाओं और रैलियों में कोविड प्रोटोकॉल के तहत सख्ती शुरू कर दी जाएगी।
कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के बढ़ते प्रसार के बीच भी चुनावी रैलियों, बाइक रैलियों, नुक्कड़ सभा और जनसभाओं पर कोई प्रतिबंध नहीं है। अब पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के साथ ही सभाओं और रैलियों में कोविड प्रोटोकॉल के तहत सख्ती शुरू कर दी जाएगी।
निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने कहा है कि रैलियों पर प्रतिबंध कोविड-19 दिशा-निर्देशों के तहत लगेगा, जैसा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में किया गया था। इन रैलियों पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून, 2005, महामारी एक्ट, 1897 तथा राज्य आपदा नियमन कानून के तहत जिलाधिकारियों व निर्वाचन अधिकारियों को पूर्ण शक्ति दी जाएगी। वे कोरोना के प्रसार को देखते हुए अपने इलाके में रैली आयोजित करने न करने का निर्णय कर सकेंगे।
आयोग के सूत्रों ने कहा कि यदि राजनीतिक पार्टिंयां और उम्मीदवार प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते हैं तो आयोग रैलियों पर रोक लगाने से भी नहीं झिझकेगा। लेकिन यह होगा तब ही जब चुनावों की घोषणा हो जाएगी। घोषणा होते ही आयोग राज्यों का प्रशासन अपने हाथ में ले लेगा। अनुच्छेद 324 के तहत आयोग को यह शक्ति हासिल है। साथ ही आदर्श आचार संहिता भी प्रभावी हो जाएगी। आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि राज्य प्रशासन मौजूदा वक्त में भी रैलियों को नियमित कर सकता है। राज्य प्रशासन राज्य आपदा प्रबंधन एक्ट, 2005 के तहत कार्रवाई कर सकते हैं। लेकिन चूंकि चुनाव है और सत्तारूढ़ सरकारें भी अपना अपना प्रचार कर रही हैं, इसलिए राज्य सरकार ऐसा नहीं कर रही है।
फिलहाल पांच चुनावी राज्यों यूपी, गोवा, पंजाब, उत्तराखंड और मणिपुर में खूब चुनावी रैलियां हो रही हैं। लेकिन मतदान की घोषणा होते ही आयोग 9 अप्रैल 2021 को जारी कोविड प्रोटोकॉल को प्रभावी कर देगा। संभावना है कि आयोग इस हफ्ते पांचों राज्यों में विधानसभा चुनावों की घोषणा कर सकता है। चुनाव फरवरी और मार्च में होंगे। पंजाब को छोड़ चारों राज्यों में भाजपा की सरकार है।