टिकट ना मिलने से नाराज़ बागी बिगाड़ रहे है समीकरण, सपा को ज्यादा नुक्सान

खुलेआम बगावत करने वालों के अलावा सपा में ऐसे भितरघातियों की भी संख्या बहुतायत में है, जो पार्टी में उपेक्षा की वजह से आहत हैं और इस बार भी टिकट पाने से वंचित रह गए हैं. इनमें बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो करीब 25-30 साल से पार्टी के प्रति निष्ठा से काम करते रहे और जब बारी आई तो पार्टी ने या तो वो सीट सहयोगी दल को दे दी या दूसरे दलों से आए लोगों को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया.

टिकट ना मिलने से नाराज़ बागी बिगाड़ रहे है समीकरण, सपा को ज्यादा नुक्सान

टिकट कटने से आहत कई ऐसे पूर्व विधायक भी हैं जो खुद तो अधिकृत प्रत्याशी के साथ घूमकर साथ होने का दिखावा कर रहे हैं, पर उनके समर्थकों का समर्थन पार्टी के प्रत्याशियों को नहीं मिल रहा है. ऐसे समर्थक क्षेत्र में निकलने के बजाय चुप्पी साधकर घर बैठ गए हैं. 


उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार ताल ठोंकने वाले बागियों की सबसे अधिक संख्या समाजवादी पार्टी में है. चौथे चरण से लेकर सातवें चरण के चुनाव में बागियों का सबसे अधिक सामना समाजवादी पार्टी को ही करना पड़ रहा है. कई सीटों पर गठबंधन के बाद भी उसे कड़ी चुनौती मिलने की भी बातें कही जा रही हैं जिसपर बीजेपी, सपा को घेरती हुई नजर आ रही है. 
खुलेआम बगावत करने वालों के अलावा सपा में ऐसे भितरघातियों की भी संख्या बहुतायत में है, जो पार्टी में उपेक्षा की वजह से आहत हैं और इस बार भी टिकट पाने से वंचित रह गए हैं. इनमें बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो करीब 25-30 साल से पार्टी के प्रति निष्ठा से काम करते रहे और जब बारी आई तो पार्टी ने या तो वो सीट सहयोगी दल को दे दी या दूसरे दलों से आए लोगों को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया. 


टांडा में शबाना खातून, मड़ियाहूं सीट पर पूर्व विधायक श्रद्धा यादव, श्रावस्ती सीट पर पूर्व विधायक मोहम्मद रमजान और फाजिल नगर सीट पर सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष इलियास अंसारी बीएसपी उम्मीदवार के तौर पर मैदान में आ चुके हैं. अयोध्या की रुदौली सीट पर पूर्व विधायक अब्बास अली रुश्दी मियां सपा से इस्तीफा देकर बीएसपी के टिकट पर मैदान में हैं. वे सपा को कड़ी टक्कर देने की स्थिति में हैं. अनूप सिंह बागी होकर बीकापुर के अखाड़े में निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं. वो भी सपा के लिए चुनौती खड़ी करते दिख रहे हैं