नाराज़ बहन ने किया केस, अदालत ने भाई पर ठोका 6.5 लाख का जुर्माना और 4 महीनो की कैद

परिवाद पर सुनवाई कर अदालत ने आरोपी को कोर्ट में तलब किया। दोनों पक्षों को सुनने और पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर एसीजेएम द्वितीय ने आरोपी बलवंत को एनआई एक्ट में दोषी पाया। अदालत ने आरोपी को चार माह की सजा और साढ़े छह लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।

नाराज़ बहन ने किया केस, अदालत ने भाई पर ठोका 6.5 लाख का जुर्माना और 4 महीनो की कैद

भाई बहन के बीच प्यार और लड़ाई झगड़े के कसे तो बहुत सुने होंगे।  लेकिन यह खबर आपको हैरान कर देगी। खड़कपुर देवीपुरा निवासी निर्मला ने अपने अधिवक्ता सूरज कुमार के माध्यम से एसीजेएम द्वितीय की अदालत में परिवाद दायर किया था। बताया गया है कि आरोपी बलवंत सिंह और वह सगे भाई-बहन हैं। सात अक्तूबर 2018 को बलवंत उसके घर आया और बेटे की शादी के लिए छह लाख रुपये उधार मांगे। आरोपी ने अगस्त 2019 तक रकम लौटाने का भरोसा दिलाया। विश्वास कर उसने अपने पति ओमकार के सामने 14 अक्तूबर 2018 को बलवंत को छह लाख रुपये दे दिए।

मियाद पूरी होने पर उसने भाई से उधार दी गई रकम मांगी तो उसने कोटक महेंद्रा बैंक की रुद्रपुर शाखा का छह लाख रुपये का चेक दे दिया। 27 अगस्त 2019 को इलाहाबाद बैंक की काशीपुर शाखा में भाई से मिला चेक भुगतान के लिए लगाया तो वह बाउंस हो गया। भाई को नोटिस भेजा, लेकिन उसने संतोषजनक जवाब नहीं दिया।

परिवाद पर सुनवाई कर अदालत ने आरोपी को कोर्ट में तलब किया। दोनों पक्षों को सुनने और पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर एसीजेएम द्वितीय ने आरोपी बलवंत को एनआई एक्ट में दोषी पाया। अदालत ने आरोपी को चार माह की सजा और साढ़े छह लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। 

बता दें एसीजेएम द्वितीय रुचिका गोयल की अदालत ने चेक बाउंस होने के दोषी भाई को चार माह के कारावास और साढ़े छह लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड जमा नहीं करने पर आरोपी को एक माह का अतिरिक्त कारावास भोगना होगा। 

जानकारी के लिए जान लीजिये क्या है चेक बाउंसिंग के लिए कानून- 

अगर चेक बाउंस हो जाता है, तो सबसे पहले एक महीने के अंदर चेक जारी करने वाले को लीगल नोटिस भेजना होता है।  इस नोटिस में कहा जाता है कि उसने जो चेक दिया था वह बाउंस हो गया है अब वह 15 दिन के अंदर चेक की राशि उसको दे दे।  इसके बाद 15 दिन तक इंतजार करना होता है यदि चेक देने वाला उस पैसे का भुगतान 15 दिन कर देता है तो मामला यहीं सुलझ जाता है।  अगर चेक जारी करने वाला पैसा देने से इनकार कर देता है या लीगल नोटिस का जवाब नहीं देता है, तो आप निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 की धारा 138 के तहत सिविल कोर्ट में केस फाइल कर सकते हैं।  इसके तहत आरोपी को 2 साल की सजा और जुर्माना दोनों हो सकता है. जुर्माने की राशि चेक की राशि का दोगुना हो सकती है।