आयुर्वेदिक दवा BGR-34 मधुमेह के साथ मोटापे को भी कम करने में असरदार, अध्ययन के बाद एम्स की मुहर
एम्स के डॉक्टरों की एक टीम ने पाया है कि आयुर्वेद की मधुमेह रोधी दवा ‘बीजीआर-34’ दीर्घकालीन रोगों से ग्रस्त मरीजों में मोटापा कम करने के साथ-साथ मेटाबोलिज़्म तंत्र में सुधार करने में भी कारगर है। अध्ययन के अनुसार, मधुमेह की यह आयुर्वेदिक दवा वजन में कमी लाने के साथ-साथ शरीर के मेटाबॉलिज्म तंत्र में भी सुधार करती है।
राष्ट्रीय राजधानी स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों की एक टीम ने पाया है कि आयुर्वेद की मधुमेह रोधी दवा ‘बीजीआर-34’ दीर्घकालीन रोगों से ग्रस्त मरीजों में मोटापा कम करने के साथ-साथ मेटाबोलिज़्म तंत्र में सुधार करने में भी कारगर है। कुछ वर्ष पूर्व वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने इस दवा की खोज की। अध्ययन के अनुसार, मधुमेह की यह आयुर्वेदिक दवा वजन में कमी लाने के साथ-साथ शरीर के मेटाबॉलिज्म तंत्र में भी सुधार करती है। इस पर शोधपत्र भी जल्द प्रकाशित होगा।
‘ बीजीआर-34’ दवा को वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के वैज्ञानिकों ने गहन शोध के बाद तैयार किया है। यह कई तरह के हर्बल को मिलकर बनाई गई है। इस दवा का विपणनन ‘ एमिल फार्मास्युटिकल्स’ द्वारा किया जाता है।
तीन वर्ष तक चले इस अध्ययन में एम्स के फार्माकोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुधीर कुमार सारंगी ने बताया कि अध्ययन के दौरान बीजीआर-34 को कई मधुमेह रोधी एलोपैथी दवाओं के साथ भी प्रयोग किया गया था। इसमें यह जानने का प्रयास किया गया कि क्या एलोपैथी दवाओं के साथ देने से नतीजे ज्यादा प्रभावी आते हैं या नहीं। इसके परिणाम काफी संतोषजनक रहे।
यह दवा ‘हार्मोन प्रोफाइल’, ‘लिपिड प्रोफाइल’, ‘ट्राइग्लिसराइड्स’ का स्तर भी संतुलित करती है और ‘लेप्टिन’ में कमी लाती है जो शरीर में वसा को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इसी तरह, ‘ट्राइग्लिसराइड्स’ एक बुरा कोलेस्ट्रॉल है जिसकी ज्यादा मात्रा शरीर के लिए नुकसानदायक होती है लेकिन अध्ययन में इसमें भी कमी दर्ज की गई है। अध्ययन के मुताबिक, ‘लिपिड प्रोफाइल’ नियंत्रित रहने से दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है जबकि ‘हार्मोन प्रोफाइल’ बिगड़ने से भूख नहीं लगना, नींद नहीं आना आदि जैसी समस्याएं पैदा होती हैं।
मार्च 2019 में शुरू हुए अध्ययन को लेकर शोधार्थियों ने बताया, ‘‘हर साल अलग-अलग समूह के साथ अध्ययन किया गया था। इस दौरान हार्मोन प्रोफाइल, लिपिड प्रोफाइल, ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर भी संतुलित पाया गया और लेप्टिन में कमी आई, जो शरीर में वसा को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इसी तरह, ट्राइग्लिसराइड्स एक बुरा कोलेस्ट्रॉल है, जिसकी ज्यादा मात्रा शरीर के लिए नुकसानदायक होती है, इसमें भी कमी दर्ज की गई है।
शोधार्थियों का कहना है कि लिपिड प्रोफाइल नियंत्रित रहने से दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है। ट्राइग्लिसराइड्स के अलावा कुल कोलेस्ट्रॉल, हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल और लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को देखा गया। मधुमेह रोगियों में हार्मोन प्रोफाइल बिगड़ने से भूख नहीं लगना, नींद नहीं आना आदि जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। इन्हीं कारणों को ध्यान में रखते हुए अध्ययन किया गया।