मोदी के नाम से, योगी के काम से, फिर बनी बीजेपी सरकार

37 साल पहले कांग्रेस ने बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की थी. इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्धारित पांच सालों का कार्यकाल पूरा करते हुए फिर से बीजेपी की सत्ता में वापसी करते हुए पार्टी को ऐतिहासिक तोहफा दिया है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो यूपी में ऐसी उपलब्धि डॉ. संपूणार्नंद, चंद्रभानु गुप्त, हेमवती नंदन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह और मायावती भी हासिल नहीं कर सकीं.

मोदी के नाम से, योगी के काम से, फिर बनी बीजेपी सरकार

मुलायम सिंह यादव और मायावती दो बार से अधिक बार यूपी की मुख्यमंत्री बनी पर इन नेताओं ने भी वह उपलब्धि हासिल नहीं की जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खाते में दर्ज हो गई है. पूरे देश में इस उपलब्धि को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का डंका बज रहा है. वैसे भी देश के राजनेताओं की सूची में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले नंबर पर हैं. करीब ढाई दशक पहले जब वह उत्तर भारत की प्रमुख पीठों में शुमार गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी बने तभी वह देश के रसूखदार लोगों में शामिल हैं. इसके बाद से तो उनके नाम रिकार्ड जुड़ते गये.

उत्तर प्रदेश के इतिहास पर नजर डाले तो पता चलता है कि नोएडा का यह मिथक साल 1988 से शुरू हुआ था. साल 1988 में राजनीति में सक्रिय नेता नोएडा जाने से बचने लगे, क्योंकि यह कहा जाने लगा था कि नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाती है. तब वीर बहादुर सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. वे नोएडा गए और संयोग से उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी चली गई. नारायण दत्त तिवारी को मुख्यमंत्री बनाया गया. वे 1989 में नोएडा के सेक्टर-12 में नेहरू पार्क का उद्घाटन करने गए. कुछ समय बाद चुनाव हुए, लेकिन वे कांग्रेस की सरकार में वापसी नहीं करा पाए. इसके बाद कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव के साथ भी ऐसा ही हुआ कि वे नोएडा गए और कुछ दिन बाद संयोग से मुख्यमंत्री पद छिन गया.

37 साल पहले कांग्रेस ने बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की थी. इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्धारित पांच सालों का कार्यकाल पूरा करते हुए फिर से बीजेपी की सत्ता में वापसी करते हुए पार्टी को ऐतिहासिक तोहफा दिया है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो यूपी में ऐसी उपलब्धि डॉ. संपूणार्नंद, चंद्रभानु गुप्त, हेमवती नंदन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह और मायावती भी हासिल नहीं कर सकीं. यूपी के राजनीतिक इतिहास को देखें तो प्रदेश में 1951-52 के बाद से अब तक डॉ. संपूणार्नंद, चंद्रभानु गुप्त, हेमवती नंदन बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव और मायावती मुख्यमंत्री बने, लेकिन इन्हें यह मौका दो अलग-अलग विधानसभाओं के लिए मिला.