नेतृत्व के लिए चुनौती बनने वालों के पर कतर देती है भाजपा : NCP का गडकरी को लेकर बीजेपी पर तंज
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने कहा कि एक “दक्ष राजनेता” के तौर पर उनके बढ़ते कद की वजह से उन्हें बोर्ड से हटाया गया है. राकांपा प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने ट्विटर पर कहा, “जब आपकी योग्यता और क्षमताएं बढ़ती हैं और आप वरिष्ठों के लिए चुनौती बन जाते हैं तो भाजपा आपके पर कतर देती है. दागियों को बढ़ाया जाता है...”
बीजेपी संसदीय बोर्ड का नए सिरे से गठन किया गया है. यह पार्टी की सर्वोच्च निर्णायक संस्था है. बीजेपी संसदीय बोर्ड में किए गए बड़े बदलाव के तहत पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान को हटा दिया गया है जबकि कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा इसमें शामिल किए गए हैं. बीजेपी संसदीय बोर्ड के सदस्यों में पीएम नरेंद्र मोदी के अलावा उनके कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री राजनाथ सिंह और अमित शाह भी शामिल हैं. नितिन गडकरी का इस महत्वपूर्ण समिति से बाहर होना आश्चर्यजनक है. गडकरी, नरेंद्र मोदी कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री हैं, वे बीजेपी अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं. आमतौर पर पार्टी, अपने पूर्व अध्यक्ष को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करती है.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को संसदीय बोर्ड से हटाए जाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने कहा कि एक “दक्ष राजनेता” के तौर पर उनके बढ़ते कद की वजह से उन्हें बोर्ड से हटाया गया है. राकांपा प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने ट्विटर पर कहा, “जब आपकी योग्यता और क्षमताएं बढ़ती हैं और आप वरिष्ठों के लिए चुनौती बन जाते हैं तो भाजपा आपके पर कतर देती है. दागियों को बढ़ाया जाता है...”
विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ अच्छे रिश्ते रखने वाले मुखर नेता गडकरी को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ भाजपा संसदीय बोर्ड में जगह नहीं दी गई है. क्रैस्टो ने ट्विटर पर कहा, “नितिन गडकरी को भाजपा संसदीय बोर्ड में शामिल नहीं किया जाना दर्शाता है कि एक कुशल राजनेता के तौर पर उनका कद कई गुना बढ़ गया है.”भाजपा के शीर्ष निर्णय लेने वाले निकाय से दोनों नेताओं को बाहर रखना उनके घटते राजनीतिक कद के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है.
गडकरी के प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति में शामिल किया गया था. पिछले महीने गडकरी ने कहा था कि उनका मन कभी-कभी राजनीति छोड़ने का करता है, क्योंकि जीवन में करने को और भी बहुत कुछ है.उन्होंने इस बात पर भी खेद व्यक्त किया कि राजनीति, आजकल, सामाजिक परिवर्तन के लिए साधन के बजाय सत्ता में बने रहने पर ज्यादा केंद्रित है.
बता दे कि, सीईसी में संसदीय बोर्ड के सभी सदस्यों के अलावा आठ अन्य सदस्य होते हैं. चूंकि गड़करी और चौहान संसदीय बोर्ड का सदस्य होने के नाते सीईसी के सदस्य थे, इसलिए पार्टी की इस महत्वपूर्ण इकाई से भी उनकी छुट्टी हो गई है. भाजपा संविधान के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष के अलावा 10 अन्य संसदीय बोर्ड के सदस्य हो सकते हैं. पार्टी का अध्यक्ष संसदीय बोर्ड का भी अध्यक्ष होता है. अन्य 10 सदस्यों में संसद में पार्टी के नेता को शामिल किया जाना जरूरी है. पार्टी के महासचिवों में से एक को बोर्ड का सचिव मनोनीत किया जाता है.
चौहान एकमात्र मुख्यमंत्री है जो लंबे समय से संसदीय बोर्ड के सदस्य थे. शाह जब 2014 में भाजपा के अध्यक्ष बने थे, तब उन्होंने चौहान को संसदीय बोर्ड में जगह दी थी. शाह ने उस वक्त वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को संसदीय बोर्ड से हटाकर मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया था.