बड़ी सफलता-मिल गया मंकीपॉक्स का जिन्दा वायरस, अब जल्द ही टेस्टिंग किट, वैक्सीन और इलाज

पुणे स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की एक टीम ने मंकीपॉक्स वायरस को संक्रमित मरीज से जांच के लिए गए सैंपल से अलग कर लिया है, अब इस वायरस की मदद से वैज्ञानिक जल्द ही संक्रमण की पहचान करने वाली जांच किट की खोज कर सकेंगे। इसके अलावा मंकीपॉक्स रोधी टीके की खोज भी कर सकते हैं।

बड़ी सफलता-मिल गया मंकीपॉक्स का जिन्दा वायरस, अब जल्द ही टेस्टिंग किट, वैक्सीन और इलाज

जिंदा वायरस निकालने के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम गठित की गई थी, जो 14 जुलाई से दिन-रात लैब में वायरल को ढूंढने में लगी हुई थी। 11 दिन बाद एनआईवी  ने इसकी आधिकारिक पुष्टि करते हुए कहा कि मंकीपॉक्स वायरस को एक मरीज के सैंपल से आइसोलेट (Isolate) करने में टीम को कामयाबी मिली है। इसका मतलब यह है कि अब इस वायरस की मदद से वैज्ञानिक जल्द ही संक्रमण की पहचान करने वाली जांच किट की खोज कर सकेंगे। साथ ही जीवित वायरस को सीरियाई चूहों में इस्तेमाल कर इसकी गंभीरता और उपचार के बारे में अहम जानकारियां भी निकाल पाएंगें। इसके अलावा मंकीपॉक्स रोधी टीके की खोज भी कर सकते हैं।

कोरोना के बाद अब मंकीपॉक्स को लेकर भारतीय वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी मिली है। पुणे स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट  ऑफ वायरोलॉजी की एक टीम ने मंकीपॉक्स वायरस को संक्रमित मरीज से जांच के लिए गए सैंपल से अलग कर लिया है। भारत में मंकीपॉक्‍स के चार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। दिल्‍ली वाले केस की फॉरेन ट्रेवल हिस्‍ट्री नहीं है, ऐसे में वायरस की टेस्टिंग और सर्विलांस पर खास ध्‍यान देने की जरूरत है। भारत अभी तक इस वायरस की टेस्‍ट किट्स का आयात करता है। फिलहाल इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च  की 15 लैब्‍स में मंकीपॉक्‍स की टेस्टिंग हो रही है।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने जांच किट और टीका बनाने के लिए बुधवार देर शाम टेंडर भी जारी किया। आईसीएमआर के अनुसार, निजी कंपनियों के साथ मिलकर वे जल्द ही मंकीपॉक्स रोधी टीका और इसकी जांच किट तैयार करेंगे। प्रत्येक जांच किट या टीका की खुराक पर आईसीएमआर को रॉयल्टी भी मिलेगी। अभी कोवाक्सिन टीका पर पांच फीसदी की रॉयल्टी मिलती है। मंकीपॉक्स का अभी तक कोई टीका नहीं है। न ही इसकी पहचान करने के लिए कोई जांच किट उपलब्ध है।

वैज्ञानिकों ने इसे भारत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। एनआईवी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा यादव ने कहा, यह एक बड़ी कामयाबी है। साल 2020 में जब कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी उस दौरान हमने सबसे पहले कोरोना वायरस को आइसोलेट किया था। उसके बाद जांच किट बनाई गईं और कोवाक्सिन टीके की खोज भी की थी। इस बार मंकीपॉक्स को आइसोलेट किया है। जल्द ही इसकी जांच किट, उपचार और टीका इत्यादि के बारे में आगे के अध्ययन शुरू होंगे। और जानकारी देते हुए  डॉ. प्रज्ञा ने बताया, ‘मंकीपॉक्स वायरस को आइसोलेट करने के बाद अब उसके अन्य प्रतिरुप भी तैयार किए जा रहे हैं। पुणे की बीएसएल-3 स्तर की लैब में यह काम चल रहा है। इनमें से एक-एक वायरस को अलग अलग अध्ययन के लिए सौंप दिया जाएगा।’

कई देशों में फैले मंकीपॉक्स से जल्द छुटकारा मिल पाना मुश्किल है। विशेषज्ञों ने आशंका जताई है, इस संक्रमण का संकट कई महीनों तक चल सकता है। मौजूदा समय में 15 दिन बाद मामले दोगुने हो रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमें तत्काल इसकी रोकथाम पर ध्यान देना होगा।

सूत्रों के अनुसार, NACO से मंकीपॉक्‍स पर गाइडलाइंस तैयार करने को कहा गया है। मंकीपॉक्‍स के रिस्‍क को देखते हुए कई राज्‍यों में अलर्ट जारी किया गया है। एयरपोर्ट्स पर संक्रमण वाले देशों से लौटने वालों पर खास नजर रखी जा रही है।तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्‍ट्र, गोवा, पंजाब, गुजरात से लेकर कई राज्‍यों में मंकीपॉक्‍स पर सरकार अलर्ट है।