भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड दुकान है, सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी कर्मचारियों को ESI का लाभ दे
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) की गतिविधियां व्यावसायिक प्रकृति की हैं और कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआइ) अधिनियम के प्रावधानों के संदर्भ में इसे दुकान कहा जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ) के एक मामले पर सुनवाई करते हुए यह निष्कर्ष निकाला है कि वह एक ‘दुकान’ है, जो व्यावसायिक गतिविधियों को अंजाम देती है। इससे पहले बंबई हाई कोर्ट ने भी बीसीसीआई को दुकान माना था, जिसके तहत बीसीसीआई को अपने कर्मचारियों को ईएसआई अधिनियम के प्रावधान बीसीसीआई पर लागू करने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की गतिविधियां व्यावसायिक प्रकृति की हैं और कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआइ) अधिनियम के प्रावधानों के संदर्भ में इसे दुकान कहा जा सकता है।
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि ईएसआइ न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट ने ईएसआइ अधिनियम के तहत बीसीसीआई को 'दुकान' मानकर कोई गलती नहीं की। पीठ ने कहा,'बीसीसीआइ की व्यवस्थित गतिविधियों, विशेषकर उसके द्वारा क्रिकेट मैचों के टिकटों की बिक्री, मनोरंजन प्रदान करना, अपनी सेवाओं के लिए कीमत वसूल करना, अंतरराष्ट्रीय दौरों और आइपीएल से आय प्राप्त करने को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने सही निष्कर्ष निकाला है कि बीसीसीआई व्यवस्थित आर्थिक वाणिज्यिक गतिविधियों को अंजाम दे रहा है, इसलिए उसे ईएसआइ अधिनियम के प्रावधानों के तहत 'दुकान' कहा जा सकता है।'
बेंच ने कहा, ‘बीसीसीआई की व्यवस्थित गतिविधियों, विशेषकर उसके द्वारा क्रिकेट मैचों के टिकटों की बिक्री, मनोरंजन प्रदान करना, अपनी सेवाओं के लिए कीमत वसूल करना, अंतरराष्ट्रीय दौरों और इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) से आय प्राप्त करने को ध्यान में रखते हुए उच्च न्यायालय ने सही निष्कर्ष निकाला है कि बीसीसीआई व्यवस्थित आर्थिक वाणिज्यिक गतिविधियों को अंजाम दे रहा है और इसलिए उसे ईएसआई अधिनियम के प्रावधानों के तहत ‘दुकान’ कहा जा सकता है.’
शीर्ष अदालत ने इन सवालों के जवाब में यह बात कही कि क्या बीसीसीआई को 18 सितंबर, 1978 की अधिसूचना के अनुसार ‘दुकान’ कहा जा सकता है, और क्या ईएसआई अधिनियम के प्रावधान बीसीसीआई पर लागू होंगे या नहीं.
बंबई उच्च न्यायालय ने कहा था कि कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 की धारा 1(5) के प्रावधानों के तहत महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी 18 सितंबर, 1978 की अधिसूचना के अनुसार बीसीसीआई ‘दुकान’ के अर्थ के अंतर्गत आता है. शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘दुकान’ शब्द की पारंपरिक अर्थों में व्याख्या नहीं की जानी चाहिए क्योंकि इससे यह ईएसआई अधिनियम के उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेगा.
उन्होंने कहा कि ईएसआई अधिनियम के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ‘दुकान’ शब्द को व्यापक अर्थों में लिया जाना चाहिए. ऐसे में बीसीसीआई का अपने हलफनामे में यह कहने का कोई मतलब नहीं है कि उसकी प्रमुख गतिविधि क्रिकेट और खेल को बढ़ावा देना है और इसलिए उसे ईएसआई अधिनियम के तहत दुकान के अर्थों के अंतर्गत नहीं लाया जाना चाहिए.