दोषी सद्दाम को फांसी की सजा, अदालत ने कहा- मुजरिम समाज के लिए नासूर

अदालत ने अपने फैसले में कहा, "आरोपी ने जिस बर्बर तरीके से अमानवीयता की हदें पार करते हुए यह अपराध किया है, उससे यह साफ होता है कि आरोपी पूरे समाज के लिए खतरनाक है, समाज के लिए अभिशाप है और उसका पुनर्वास संभव नहीं है." अपर सत्र न्यायाधीश और विशेष न्यायाधीश सुरेखा मिश्रा ने सद्दाम को आईपीसी की धारा 302 के तहत फांसी की सजा सुनाई।

दोषी सद्दाम को फांसी की सजा, अदालत ने कहा- मुजरिम समाज के लिए नासूर

MP की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले शहर इंदौर में सात साल की बच्ची की हत्या के मामले में आरोपी को फांसी की सजा हुई है। आरोपी दुष्कर्म में असफल होने के बाद उसकी हत्या कर दी थी। उसकी बेरहमी से हत्या के जुर्म में जिला अदालत ने 31 वर्षीय व्यक्ति को सोमवार को फांसी की सजा सुनाई। साथ ही कोर्ट ने मुजरिम को 'समाज के लिए नासूर' करार दिया। अभियोजन के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अपर सत्र न्यायाधीश और विशेष न्यायाधीश सुरेखा मिश्रा ने सद्दाम को आईपीसी की धारा 302 के तहत फांसी की सजा सुनाई।
अदालत ने अपने फैसले में कहा, "आरोपी ने जिस बर्बर तरीके से अमानवीयता की हदें पार करते हुए यह अपराध किया है, उससे यह साफ होता है कि आरोपी पूरे समाज के लिए खतरनाक है, समाज के लिए अभिशाप है और उसका पुनर्वास संभव नहीं है."
अदालत ने मुजरिम को भारतीय दंड विधान की धारा 364 (हत्या के लिए अपहरण) के तहत आजीवन कारावास सुनाया. उसके खिलाफ भारतीय दंड विधान की अन्य संबद्ध धाराओं के साथ ही यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट) के तहत भी जुर्म साबित हुआ. अदालत ने मुजरिम पर 9,000 रुपये का जुर्माना लगाया और हत्याकांड की शिकार बच्ची के परिवार को सरकारी खजाने से तीन लाख रुपये का मुआवजा प्रदान किए जाने का आदेश भी दिया.


जिला लोक अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि सद्दाम ने 23 सितंबर 2022 को आजाद नगर क्षेत्र में सात वर्षीय बच्ची को दुष्कर्म के इरादे से दिनदहाड़े अगवा किया, जब वह अपनी नानी के घर की दहलीज पर खेल रही थी. उन्होंने बताया कि अपहरण के बाद सद्दाम इस बच्ची को अपने घर में ले गया और दरवाजा अंदर से बंद कर दिया था. श्रीवास्तव ने बताया कि हो-हल्ले के बाद उसके घर के आस-पास भीड़ जुटने के चलते दुष्कर्म में नाकाम रहने पर सद्दाम ने बच्ची पर चाकू के 29 वार करते हुए उसे जान से मार डाला था.
श्रीवास्तव ने कहा कि अदालत में मुकदमा चलने के दौरान बचाव पक्ष की सबसे बड़ी दलील थी कि सद्दाम की दिमागी हालत ठीक नहीं है और कथित मनोरोग के चलते उसका इलाज भी हो चुका है. उन्होंने बताया,‘‘हमने इस दलील के खिलाफ अदालत में कहा कि जब सद्दाम ने बच्ची को अगवा किया, तब वह एक लड़के के साथ खेल रही थी, लेकिन उसने दोनों बच्चों में से लड़की को ही अगवा किया क्योंकि उसका इरादा लड़की के साथ दुष्कर्म करना था. अदालत ने हमारे इस तर्क पर गौर किया.’’
श्रीवास्तव के मुताबिक हत्याकांड के बाद सद्दाम अपने घर से बाहर निकला और चश्मदीदों को धमकाते हुए बोला था कि अगर किसी भी शख्स ने उसके जुर्म की जानकारी पुलिस को दी, तो वह उसकी भी हत्या कर देगा. उन्होंने बताया कि सद्दाम के कब्जे से बरामद चाकू पर उसकी अंगुलियों के निशान पाए गए थे और मामले की डीएनए रिपोर्ट में भी बालिका के अपहरण और हत्या में उसके शामिल होने की पुष्टि हुई. विशेष लोक अभियोजक सुशीला राठौर ने बताया कि सद्दाम पर जुर्म साबित करने के लिए अभियोजन ने अदालत में 23 गवाह पेश किए थे जिनमें 12 साल का लड़का भी शामिल है. राठौर ने बताया,”आजाद नगर क्षेत्र की एक मस्जिद पर लगे सीसीटीवी कैमरे में सद्दाम बच्ची को अगवा करते कैद हो गया था. इसके फुटेज से हमें उसका जुर्म साबित करने में मदद मिली.”