अदालत ने ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज किया
कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज करते हुए कहा कि ज्ञानवापी का मसला सुनने लायक है। इस मामले में पूजा स्थल कानून 1991 लागू नहीं होता है। इसलिए इसकी सुनवाई जारी रहेगी। मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। कोर्ट का ये फैसला हिंदू पक्ष के हक में आया है.
बहुचर्चित काशी के ज्ञानवापी मामले को लेकर आज वाराणसी की जिला अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज करते हुए कहा कि ज्ञानवापी का मसला सुनने लायक है। इस मामले में पूजा स्थल कानून 1991 लागू नहीं होता है। इसलिए इसकी सुनवाई जारी रहेगी। मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। कोर्ट का ये फैसला हिंदू पक्ष के हक में आया है. मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा था कि इस मामले की सुनवाई ही नहीं होनी चाहिए। इसके लिए पूजा स्थल कानून 1991 का हवाला भी दिया था। कोर्ट के सामने हिंदू पक्ष ने उस सर्वे की रिपोर्ट का हवाला भी दिया, जिसे खुद जिला अदालत के आदेश पर विशेषज्ञों की टीम ने किया था। अब आगे इस बात पर फैसला होगा कि ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी में नियमित पूजा की जा सकती है या नहीं? ज्ञानवापी असल में मस्जिद है या मंदिर?
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने बताया कि जिला न्यायाधीश एके विश्वेश ने मामले की पोषणीयता पर सवाल उठाने वाली याचिका को खारिज करते हुए सुनवाई जारी रखने का निर्णय किया. उल्लेखनीय है कि इस मामले में पांच महिलाओं ने याचिका दायर कर हिंदू देवी-देवताओं की दैनिक पूजा की अनुमति मांगी थी, जिनके विग्रह ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हैं.
अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने ज्ञानवापी मस्जिद को वक्फ संपत्ति बताते हुए कहा था कि मामला सुनवाई योग्य नहीं है. जिला न्यायाधीश ने पिछले महीने इस मामले में आदेश 12 सितंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया था. मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी.
इस फैसले पर मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि अदालत का आदेश उचित नहीं है और कहा कि वे इस मामले में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि कानूनी विशेषज्ञों की टीम अदालत के फैसले के बारे में विस्तार से बताएगी और फिर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद मामले में पूजा के स्थान के बारे में जो कुछ भी कहा, हमें उम्मीद थी कि मंदिरों और मस्जिदों से संबंधित सभी मुद्दों का समाधान किया जाएगा.