ज्ञानवापी केस मे आज अदालत करेगी फैसला, केस सुनवाई लायक है या नहीं
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज की अदालत में श्रृंगार गौरी मामले में 24 अगस्त को सभी पक्षों की तरह से बहस पूरी कर ली गई थी और जिला जज ने 12 सितंबर तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था. जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मुकदमे की पोषणीयता यानी मुकदमा चलने योग्य है या नहीं, इस बात पर फैसला सुनाएगी.
वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन के मामले में सोमवार को जिला अदालत का फैसला आएगा। जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मुकदमे की पोषणीयता यानी मुकदमा चलने योग्य है या नहीं, इस बात पर फैसला सुनाएगी। मई और जून में पूरे देश में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ था। पूरे वाराणसी को सेक्टरों में विभाजित कर आवश्यकतानुसार पुलिस बल की तैनाती की गई है। संवेदनशील इलाकों में फ्लैग मार्च और पैदल गश्त का निर्देश दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज की अदालत में श्रृंगार गौरी मामले में 24 अगस्त को सभी पक्षों की तरह से बहस पूरी कर ली गई थी और जिला जज ने 12 सितंबर तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था। दरअसल, इस मामले में तत्कालीन सिविल जज रवि कुमार दिवाकर ने सर्वे का आदेश जारी किया था। इसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर का सर्वे किया गया था।
मुस्लिम पक्ष की ओर से वकील शमीम अहमद ने अदालत को बताया कि ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ की संपत्ति है, इसलिए अदालत को इस मामले की सुनवाई का अधिकार नहीं है.
हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने बताया कि उन्होंने अपनी दलील में कहा है कि ज्ञानवापी कहीं से मस्जिद नहीं बल्कि मंदिर का ही हिस्सा है इसलिए इस मामले में 1991 का उपासना स्थरल अधिनियम किसी भी तरह से लागू नहीं होता. ये भी दावा किया कि मुस्लिम पक्ष के वकील ने ज्ञानवापी को वक्फ की संपत्ति बताते हुए जो दस्तावेज प्रस्तुत किया है वह असल में बिंदु माधव का धरहरा स्थित आलमगीर मस्जिद का दस्तावेज है. उनके अनुसार यह मस्जिद ज्ञानवापी से दूर स्थित है. उन्होंने अदालत को बताया है कि औरंगजेब ने मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद का निर्माण कराया था. उनके मुताबिक ऐसा उसने सिर्फ हिंदुओं का मान मर्दन के लिए कराया था.