जोशीमठ में 603 घरों में आई दरारें, 44 परिवार विस्थापित किए गए, 47 साल पहले ही दी गई थी चेतावनी

6 जनवरी तक 603 घरों में दरारें आ चुकी हैं. इनमें 100 से ज्यादा घर ऐसे हैं, जो कभी भी गिर सकते हैं. इनमें 44 परिवारों को फिलहाल सुरक्षित जगह पर भेज दिया गया है. जानकारी के मुताबिक जोशीमठ के कम से कम 9 वार्डों में दरारें और भूमि धंसने की घटनाओं देखने को मिली हैं. जोशीमठ के गांधीनगर और रविग्राम वार्डों में सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी शनिवार दोपहर करीब 1 बजे जोशीमठ का सर्वे करेंगे और प्रभावितों से मिलेंगे.

जोशीमठ में 603 घरों में आई दरारें, 44 परिवार विस्थापित किए गए, 47 साल पहले ही दी गई थी चेतावनी

देव भूमि उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने की बढ़ती घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. यहां 6 जनवरी तक 603 घरों में दरारें आ चुकी हैं. इनमें 100 से ज्यादा घर ऐसे हैं, जो कभी भी गिर सकते हैं. इनमें 44 परिवारों को फिलहाल सुरक्षित जगह पर भेज दिया गया है. जानकारी के मुताबिक जोशीमठ के कम से कम 9 वार्डों में दरारें और भूमि धंसने की घटनाओं देखने को मिली हैं. जोशीमठ के गांधीनगर और रविग्राम वार्डों में सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी शनिवार दोपहर करीब 1 बजे जोशीमठ का सर्वे करेंगे और प्रभावितों से मिलेंगे. जिला प्रशासन ने प्रभावित परिवारों के ठहरने के लिए 1271 लोगों की क्षमता वाले 229 कमरों की पहचान की है.

जोशीमठ में ही एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट के टनल में निर्माणकार्य चल रहा है. ऐसे में क्यों कहा जा रहा है कि इस टनल के कारण जोशीमठ में ऐसी घटनाएं हो रही हैं लेकिन NTPC ने तपोवन विष्णुगार्ड परियोजना में ब्लास्टिंग न कर TVM मशीन का उपयोग किया ताकि ब्लास्टिंग से होने वाला नुकसान जोशीमठ को प्रभावित न कर सके. काम तब तक ठीक तरह से चलता रहा जब तक TVM मशीन सुरंग बनाती रही लेकिन 2009 में सुरंग का 11 किमी. काम हो जाने के बाद TVM खुद जमीन में धंस गई.

बता दे 24 सितंबर 2009 को पहली बार टीवीएम अटकी. इसके बाद इस मशीन से 6 मार्च 2011 में फिर से काम शुरू हुआ. 1 फरवरी 2012 को फिर बंद हुई, 16 अक्टूबर 2012 को फिर शुरू हुई लेकिन 24 अक्टूबर 2012 को फिर बंद हुई. इसके बाद 21 जनवरी 2020 में 5 दिन टीवीएम चली. उसने करीब 20 मीटर तक सुरंग को काटा इसके बाद से वह बंद है. एनटीपीसी के इस प्रोजेक्ट के अलावा जोशीमठ में हेलंग मारवाड़ी बाईपास का भी विरोध हो रहा है.

दरअसल मिश्रा आयोग की रिपोर्ट ने 1976 में कहा था कि जोशीमठ की जड़ पर छेड़खानी जोशीमठ के लिए खतरा साबित होगा. इस आयोग द्वारा जोशीमठ का सर्वेक्षण करवाया गया था, जिसमें जोशीमठ को एक मोरेन में बसा हुआ बताया गया ग्लेशियर के साथ आई मिट्टी जो कि अति संवेदनशील माना गया था. रिपोर्ट में जोशीमठ के निचे की जड़ से जुड़ी चट्टानों, पत्थरों को बिल्कुल भी न छेड़ने के लिए कहा गया था. वहीं यहां हो रहे निर्माण को भी सीमित दायरे में समेटने की गुजारिश की गई थी, लेकिन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं हो सकी.

बता दे मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने शुक्रवार को एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई थी, जिसमें अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए थे. जानकारी के मुताबिक सीएम ने बैठक में कहा था कि तत्काल सुरक्षित स्थान पर एक बड़ा अस्थायी पुनर्वास केंद्र बनाया जाए. जोशीमठ में सेक्टर और जोनल वार योजना बनाई जाए. तत्काल डेंजर जोन को खाली करवाया जाए और आपदा कंट्रोल रूम एक्टिवेट किया जाए, जिसके बाद अधिकारी कार्रवाई में जुट गए हैं. मालूम हो कि जोशीमठ भू-धंसाव के कारण शुक्रवार को पहला बड़ा हादसा हुआ. सिंहधार वार्ड में दरारें आने से भगवती मंदिर ढह गया.

मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की बैठक के बाद जोशीमठ क्षेत्र के प्रभावितों के लिए जिला प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है. मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रशासन ने 6 महीने तक प्रभावित परिवारों को किराया देने का ऐलान किया है. अधिकारियों के मुताबिक जिन लोगों के घर खतरे की जद में हैं या रहने योग्य नहीं है, उन्हें अगले 6 महीने तक किराए के मकान में रहने के लिए ₹4000 प्रति परिवार सहायता दी जाएगी. यह सहायता मुख्यमंत्री राहत कोष से प्रदान की जाएगी.