ज्ञानवापी के सर्वे में मिले धार्मिक चिन्हों को सुरक्षित कराने की मांग, 28 अगस्त को सुनवाई

हिंदू पक्ष की चार महिलाओं की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने आवेदन पत्र देकर वाराणसी के जिलाधिकारी को महत्वपूर्ण वस्तुओं की सूची तैयार करने के लिए दिशा-निर्देश देने का अनुरोध किया है। इस मामले की सुनवाई अब 28 अगस्त को होगी। इसी तिथि में मां श्रृंगार गौरी मूल वाद की भी सुनवाई होनी है।

ज्ञानवापी के सर्वे में मिले धार्मिक चिन्हों को सुरक्षित कराने की मांग, 28 अगस्त को सुनवाई

वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर के सर्वे में जो प्रतीक व धार्मिक चिन्ह मिलें, उन्हें वैज्ञानिक तरीके से सुरक्षित व संरक्षित कराने की मांग शुक्रवार को जिला जज की अदालत से की गई है। 

हिंदू पक्ष की चार महिलाओं की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने आवेदन पत्र देकर वाराणसी के जिलाधिकारी को महत्वपूर्ण वस्तुओं की सूची तैयार करने के लिए दिशा-निर्देश देने का अनुरोध किया है। इस मामले की सुनवाई अब 28 अगस्त को होगी। इसी तिथि में मां श्रृंगार गौरी मूल वाद की भी सुनवाई होनी है।

मां श्रृंगार गौरी वाद की चार महिला वादिनी सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास और लक्ष्मी देवी की तरफ से जिला जज की अदालत में नया आवेदन दिया गया है। 

कहा गया है कि ज्ञानवापी में सर्वे के दौरान एएसआई को जो भी कलाकृतियां और वस्तुएं मिलें, उन्हें वैज्ञानिक तरीके से संरक्षित किया जाए। ताकि, वह खराब न होने पाएं। भविष्य में इस मुकदमे की सुनवाई में बहुमूल्य साक्ष्य के तौर पर उपलब्ध रहें।

आवेदन पत्र में वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, सुधीर त्रिपाठी और सुभाष नंदन चतुर्वेदी का नाम भी है। इसमें कहा गया कि ज्ञानवापी में चार अगस्त से एएसआई सर्वे चल रहा है। इससे पहले अधिवक्ता आयुक्तों ने सर्वे किया था। तब ज्ञानवापी में हिंदू धर्म से संबंधित कई कलाकृतियां, मूर्तियां और अन्य वस्तुओं के मौजूद होने की बात कही गई थी।

एएसआई सर्वे में भी महत्वपूर्ण साक्ष्य मिलने की उम्मीद है। तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए यह जरूरी है कि एएसआई को ऐतिहासिक या पुरातात्विक दृष्टिकोण से जो भी महत्वपूर्ण कलाकृतियां और वस्तुएं मिलें, उन्हें वैज्ञानिक तरीके से संरक्षित किया जाए।

न्याय हित में न्यायालय सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए जिला मजिस्ट्रेट को महत्वपूर्ण वस्तुओं को संरक्षित करने का आदेश दे सकती है। साथ ही जब भी आवश्यकता हो, उन्हें अदालत में पेश करने का निर्देश दे सकती है।