दिवाली 2022- क्या पटाखों से वाकई प्रदूषण बढ़ता है? जानें किस राज्य में पटाखे फोड़ने का क्या है इस बार नियम
देश में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए कई राज्यों में पटाखों पर पाबंदी लगाई गई है. इन राज्यों में देश की राजधानी दिल्ली भी शामिल है. हालांकि, इस पाबंदी को लेकर देश में लोग दो हिस्सों में बंटे हुए हैं. इसमें एक हिस्सा है, जो इस पाबंदी को गलत ठहराता आया है और दूसरा जो इसके समर्थन में है. कुछ राज्यों में तो पटाखों को लेकर कोई पाबंदी नहीं है. लेकिन कुछ राज्य ऐसे हैं जहां पटाखे तो फोड़ सकते हैं,
प्रदूषण की वजह से पटाखों को लेकर कई तरह की पाबंदियां लगा दी गईं हैं. पटाखों पर लगी पाबंदी को हटाने के लिए जब याचिका दायर की गई तो सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जश्न मनाने के तरीके और भी हैं. आप अपना पैसा मिठाई पर खर्च करें. देश में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए कई राज्यों में पटाखों पर पाबंदी लगाई गई है. इन राज्यों में देश की राजधानी दिल्ली भी शामिल है. हालांकि, इस पाबंदी को लेकर देश में लोग दो हिस्सों में बंटे हुए हैं. इसमें एक हिस्सा है, जो इस पाबंदी को गलत ठहराता आया है और दूसरा जो इसके समर्थन में है.
कुछ राज्यों में तो पटाखों को लेकर कोई पाबंदी नहीं है. लेकिन कुछ राज्य ऐसे हैं जहां पटाखे तो फोड़ सकते हैं, लेकिन सिर्फ ग्रीन. जबकि, दिल्ली में तो किसी भी तरह का पटाखा नहीं फोड़ सकते. इतना ही नहीं, दिल्ली में अगर पटाखा फोड़ भी लेते हैं तो 6 महीने की जेल हो जाएगी. जुर्माना भी लगेगा.
अब जानिए क्या पटाखों से वाकई प्रदूषण बढ़ता है-
2016 में पुणे के चेस्ट रिसर्च फाउंडेशन ने अलग-अलग पटाखों से कितना प्रदूषण होता है ये जानने के लिए एक स्टडी की थी. इस स्टडी में पता लगाया गया कि एक पटाखे को कितनी देर तक जलाने से उसमें से कितना 2.5 पर्टिकुलेट मैटर रिलीज होता है. इसके बाद फरवरी 2018 में यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंस एंड पॉलिसी ने दिल्ली की खराब हवा पर पटाखों के असर पर एक स्टडी की थी. इसके लिए 2013 से 2016 तक का डेटा लिया गया था. डेटा के आधार पर दावा किया गया था कि दिवाली के अगले दिन दिल्ली में हर साल PM2.5 की मात्रा 40% तक बढ़ गई थी. वहीं, दिवाली की शाम 6 बजे से रात 11 बजे के बीच PM2.5 में 100% की बढ़ोतरी हुई थी.
वातावरण में मौजूद PM2.5 बेहद खतरनाक होता है, क्योंकि ये हमारे बालों से भी 100 गुना छोटा होता है. PM2.5 का मतलब है 2.5 माइक्रॉन का कण. माइक्रॉन यानी 1 मीटर का 10 लाखवां हिस्सा. हवा में जब इन कणों की मात्रा बढ़ जाती है तो विजिबिलिटी प्रभावित होती है. ये इतने छोटे होते हैं कि हमारे शरीर में जाकर खून में घुल जाते हैं. इससे अस्थमा और सांस लेने में दिक्कत होती है. पटाखे कितने खतरनाक होते हैं? इसे कुछ आंकड़ों से भी समझा जा सकता है. पिछले साल 4 नवंबर को दिवाली थी. CPCB का डेटा बताता है कि 3 नवंबर को दिल्ली में AQI 314 के स्तर पर था, जो 4 नवंबर को बढ़कर 382 पर आ गया और अगले दिन यानी 5 नवंबर को 462 पर आ गया.
सबसे पहले उन राज्यों की बात करेंगे, जहां इसे लेकर पूरी तरह से पाबंदी है. यानी आप इन राज्यों में पटाखे नहीं फोड़ सकते हैं. इसमें दिल्ली, हरियाणा, ओडिशा, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और चंडीगढ़ यूटी शामिल हैं. इन राज्यों की सरकारों ने सख्त तरीके से पटाखे फोड़ने पर बैन लगाया है. पिछले साल भी इन राज्यों में पटाखे जलाने की अनुमति नहीं थी. दरअसल, बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए यह फैसला लिया गया था.
राजस्थान
राजस्थान में सरकार की ओर से पटाखे जलाने और बेचने पर छूट दी गई है. हालांकि, लोग सिर्फ ग्रीन पटाखों का ही इस्तेमाल कर सकेंगे ताकि ध्वनि और वायु प्रदूषण को रोका जा सके. राजस्थान में एनसीआर क्षेत्र को छोड़कर अन्य जिलों में दीपावली पर दो घंटे रात 8 से 10 बजे तक के लिए ग्रीन पटाखों को चलाने की अनुमति प्रदान की गई है. साथ ही क्रिसमस और नववर्ष पर रात्रि 11.55 से रात्रि 12.30 बजे, गुरू पर्व पर रात्रि 8 से रात्रि 10 बजे तक और छठ पर्व पर सुबह 6 से सुबह 8 बजे तक ग्रीन पटाखा चलाने की अनुमति होगी.
हरियाणा
हरियाणा आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने रविवार को दिल्ली NCR में आने वाले प्रदेश के सभी 14 जिलों में सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री और उपयोग पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है. आतिशबाजी पर लगाई गई यह रोक दिवाली के बाद गुरुपर्व, क्रिसमस और नए साल तक जारी रहेगी. NCR में शामिल झज्जर, पलवल, सोनीपत, गुड़गांव, पानीपत, रोहतक, मेवात, रेवाड़ी, भिवानी, महेंद्रगढ़, फरीदाबाद, करनाल, दादरी और जींद में आतिशबाजी और पटाखों की खरीद को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है. हालांकि इसके अलावा NCR से बाहर के जिलों में दो घंटे रात के 8 बजे से दस बजे तक ग्रीन पटाखे चलाने की छूट दी गई है.
दिल्ली
दिल्ली में पटाखों पर रोक लगा दी गई है. सरकार की ओर से किसी को भी पटाखे बेचने के लिए लाइसेंस नहीं दिए गए हैं.
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के उन शहरों में पटाखों पर बैन लगाया गया है, जो एनसीआर में आते हैं और जहां प्रदूषण काफी ज्यादा है.
मध्यप्रदेश
मध्य प्रदेश के लोगों के लिए सरकार ने दिवाली को देखते हुए पटाखे फोड़ने की अनुमति दे दी है. सरकार ने पटाखों के लिए गाइडलाइन जारी करते हुए बताया है कि जिन शहर की वायु गुणवत्ता 100 से 200 के नीचे हैं, वहां दिवाली के दिन दो घंटों के लिए ग्रीन पटाखे फोड़े जा सकेंगे.
पंजाब
पंजाब सरकार ने प्रदूषण से बचाव के लिए आगामी त्योहारों दिवाली और गुरुपर्व पर पटाखों के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया है. पंजाब सरकार की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि दिवाली और गुरुपर्व पर सिर्फ ग्रीन पटाखों को ही चलाने की इजाजत होगी. इससे पहले कई राज्यों ने पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगाई थी. सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन्स के अनुसार, दिवाली और गुरुपर्व पर रात 8 बजे से रात 10 बजे तक ग्रीन पटाखे फोड़े जा सकेंगे.
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में सरकार ने लोगों से दिवाली पर पटाखे नहीं फोड़ने की अपील की है. इसके अलावा राज्य सरकार ने लोगों से बाजार में भीड़ नहीं लगाने और कोरोना नियमों का पालन करने का अनुरोध किया है.
छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में दिवाली और छठ के पहले सरकार ने जरूरी गाइडलाइंस जारी कर दी है. सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश के अनुसार दिवाली को रात 8 बजे से 10 बजे तक पटाखे फोड़ने की अनुमति दी गई है. इसी तरह छठ पूजा पर सुबह 6 बजे से 8 बजे तक अनुमित मिली है.
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में कलकत्ता हाईकोर्ट ने कोविड-19 के मद्देनजर शुक्रवार को काली पूजा, दिवाली और अन्य त्यौहारों पर पटाखों की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी है. पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के लिए अदालत में जनहित याचिका दायर की गई थी.
तमिलनाडु
राज्य में पिछले चार साल से पटाखे फोड़ने के लिए दो घंटे का समय तय है. तमिलनाडु में सुबह 6 से 7 बजे तक और रात में 7 से 8 बजे तक पटाखे फोड़ सकते हैं. पुडुचेरी में पटाखे फोड़ने के लिए यही समय तय किया गया है.
गाइडलाइन में पटाखों को फोड़ने का समय भी तय किया गया था. दिवाली रात 8 से 10 बजे तक पटाखे फोड़े जा सकते हैं. वहीं, क्रिसमस और न्यू ईयर की रात 11:55 से 12:30 बजे तक पटाखे फोड़ सकते हैं. पिछली साल दिल्ली में वायु प्रदूषण पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पटाखों के इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं है और केवल उन पटाखों पर रोक है जिनमें बेरियम सॉल्ट होता है. दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को सुप्रीम कोर्ट ने 'इमरजेंसी' बताया था.