क्या आपका बच्चा मोबाइल देखते हुए खाता है खाना? सावधान- बच्चे हो रहे वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार, जानिए लक्षण और बचाव

अभिभावकों का छोटे बच्चों को मोबाइल देकर अपना पिंड छुड़ा देना अन्जाने में ही सही बच्चों के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो रहा है। कोरोना से शुरू हुई मोबाइल स्क्रीन की लत बच्चों के मानसिक विकास पर असर डाल रही है। माता पिता अक्सर कम उम्र में बच्चों में ऑटिज्म के लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं। कम उम्र में ही इसके संकेत दिखते हैं।

क्या आपका बच्चा मोबाइल देखते हुए खाता है खाना? सावधान- बच्चे हो रहे वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार, जानिए लक्षण और बचाव

छोटा बच्चा लगातार रोता है और उससे परिवारजन के काम में व्यवधान होता है तो बच्चे को मोबाइल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण थमा दिए जाते हैं। इससे बच्चा शांत बैठकर घंटों स्क्रीन के सामने बिताने लगता है। लेकिन इतनी कम उम्र में बच्चों को फोन थमाने से उनके मानसिक विकास पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।

मोबाइल की लत से बच्चे वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार हो रहे हैं। कोरोना के बाद इसके मामलों में खासा इजाफा हुआ है। मनोचिकित्सकों के मुताबिक कोरोना के पहले साल में एक या दो केस ही आते थे। अब सिर्फ सप्ताह में ही तीन से चार मामले आ रहे हैं। ऐसे में अभिभावकों का छोटे बच्चों को मोबाइल देकर अपना पिंड छुड़ा देना अन्जाने में ही सही बच्चों के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो रहा है। 

बता दे कि कोरोना से शुरू हुई मोबाइल स्क्रीन की लत बच्चों के मानसिक विकास पर असर डाल रही है। माता पिता अक्सर कम उम्र में बच्चों में ऑटिज्म के लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं। कम उम्र में ही इसके संकेत दिखते हैं। हाईपर एक्टिव होना इसका शुरुआती लक्षण होता है।

दरअसल, बच्चों के दिमाग का विकास दो से पांच साल की आयु में होता है। इसी समय बच्चा नई-नई चीजें सीखता है। इनमें दूसरों की बात समझना और अपनी बात कहना, दूसरों से घुलना-मिलना भी शामिल है। ऐसे समय में बच्चों के हाथ में मोबाइल देने पर उनका मानसिक और शारीरिक विकास नहीं हो पाता है। 

मनोचिकित्सकों के पास माता-पिता अपने साढ़े तीन से पांच साल तक के बच्चों को लेकर पहुंच रहे हैं, जो दूसरों से बातचीत नहीं करते। नजर मिलाकर बात करने में कतराते हैं। अपनी उम्र के बच्चों के साथ भी नहीं खेलते हैं। मनोचिकित्सक उन्हें बच्चों से मोबाइल दूर रखने की सलाह देते हैं। 

नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (एनसीबीआई) के शोध के अनुसार 29,461 में से 875 यानि 2.97 प्रतिशत बच्चों में वर्चुअल ऑटिज्म के लक्षण पाए जा रहे हैं। शोध के अनुसार कम उम्र में बच्चे जब 2 से 3 घंटे स्क्रीन पर समय देते हैं तो वे फोन के आदी होने लगते हैं। उनमें फोन के अलावा दूसरी चीजों की समझ कम हो जाती है। ऐसे में असामान्य व्यवहार, संज्ञात्मक कमी और भाषा का कम विकास आम समस्या है।

ऐसी परेशानी दिखती है, होने लगते असामान्य

1.बच्चे फोन में वीडियो देखते हैं, गेम खेलते हैं और अपने आस-पास के वातावरण से दूर हो जाते हैं।
2.बच्चों का व्यवहार धीरे-धीरे असामान्य होने लगता है। उम्र के अनुसार उनकी गतिविधियां कम होती हैं, न तो वे नजर मिलाकर बात करते हैं और न ही सही से शब्दों का उच्चारण कर पाते हैं। एक ही गतिविधि बार-बार दोहराते है।

वर्चुअल ऑटिज्म तंत्रिका तंत्र का विकास न हो पाने की वजह से होता है। यह मुख्य तौर पर तीन से पांच साल की उम्र के बच्चों को होता है। ऐसा अक्सर मोबाइल समेत इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की लत से होता है।



ऐसे लक्षणों से पहचाने

- बच्चा जब बोलने में देरी करे।
- परिजनों व किसी से भी नजर न मिलाना।
- नाम पुकारने पर अनसुना करना।
- सोचने, समझने की क्षमता कम होना।
- हर थोड़ी देर में फोन मांगना।
- पूरे दिन वीडियो में आने वाले शब्दों को गुनगुनाना।
- एक ही गतिविधि को दोहराना।
- परिवारजन को न पहचानना।
- रंग व आकार पहचानने में दिक्कत

मामले, जिनसे चिंता होती है

पहले कविता सुनाता था, अब सिर्फ मोबाइल देखता है
शहर के डॉक्टर का साढ़े तीन साल का बच्चा वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार है। एक साल में ही उसके व्यवहार में बदलाव आ गया। पहले वह कविता सुनाता था, अब सिर्फ मोबाइल ही देखता है। लोगों से बातचीत करने में दिक्कत होती है। मां-बाप से भी निजी जरूरतों के अलावा दूसरी बात नहीं करता है। 

खाना तभी खाता है, जब मोबाइल मिले

वर्चुअल ऑटिज्म के शिकार पांच साल के बच्चे का जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है। डॉक्टर के मुताबिक इस उम्र में बच्चा आठ से दस शब्दों से ज्यादा नहीं बोल पाता। दिन का 80 फीसदी समय मोबाइल पर ही गुजारता है। खाना भी वह तभी खाता है, जब परिजन उसे फोन देते हैं।

तीन का पहाड़ा लिख तो देगी, सुना नहीं पाती
सीपरी बाजार की रहने वाली पांच साल की बच्ची तीन का पहाड़ा लिख तो देती है पर बोलकर सुना नहीं पाती। डॉक्टर की काउंसिलिंग के दौरान सामने आया कि कोविड के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई के लिए बच्ची की हाथ में मोबाइल क्या पहुंचा, वह इसकी लती हो गई। अब वह वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार हो गई है। शिक्षिका जब उससे पढ़ाई से संबंधित कुछ पूछती है तो बोलती नहीं है। लिखकर बता देती है।

चार साल का बच्चा चार से पांच हजार शब्द बोलता है। वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार बच्चा 15 से 20 शब्द ही बोल पाता है। यह बेहद गंभीर है। अभिभावकों को इस ओर ध्यान देना होगा। 

शिशु रोग विशेषज्ञ के अनुसार बच्चे जब कम उम्र में अत्यधिक स्क्रीन टाइम देते हैं तो उनके न्यूरोनल चैनल का विकास नहीं होता हैं। बच्चे कोई भी गतिविधि खुद से करते हैं तो शरीर के एकाधिक न्यूरॉन चैनल काम आते हैं। इससे उनकी देखने, सुनने और बोलने की शक्ति बढ़ जाती है। वहीं छोटे बच्चे जब केवल दिन भर फोन देखते हैं तो न्यूरोनल चैनल विभिन दिशाओं में काम नहीं कर पाते हैं। बच्चे की गतिविधियां सीमित हो जाती हैं।

क्लीनिकल जेनेटिक्स विशेषज्ञ के अनुसार 2 से 5 वर्ष की आयु दिमाग के विकसित होने की होती है। इस उम्र में बाहरी और परिवार के लोगों से बातचीत, शारीरिक गतिविधियां, माइंड गेम बच्चों के दिमाग को तेज करते हैं। बच्चे जितनी ज्यादा गतिविधियां करेंगे उतने ही शार्प बनेंगे। फोन के आदी बच्चे थोड़ी देर फोन न मिलने पर चड़चिड़े हो जाते हैं, चिल्लाने और रोने लगते हैं। अत्यधिक स्क्रीन का इस्तेमाल दिमाग को सुन्न भी कर देता है।

इस तरह से करे बचाव 

- बच्चों को दो घंटे से ज्यादा मोबाइल न दें।
- दस साल तक के बच्चे सात से आठ घंटे तक जरूर सोएं।
- अभिभावक बच्चों के साथ ज्यादा वक्त बिताएं।