लखनऊ के SGPGI में डॉ. ज्ञान चंद ने रचा इतिहास, पहली बार बिना चीरा लगाए हटाया गले का ट्यूमर

प्रयागराज की रहने वाली एक युवती के गले में थायराइड की गांठ हो गई थी, जो लगातार बढ़ रही थी. डॉ. ज्ञान ने जांच कर बताया कि उसे पैपिलरी थायरॉइड कैंसर है. जिसकी सर्जरी यदि रोबोटिक विधि से की जाए तो बिना गले में चीरा लगाए कैंसर ट्यूमर को भी कुशलता पूर्वक निकाला जा सकता है.

लखनऊ के SGPGI में डॉ. ज्ञान चंद ने रचा इतिहास, पहली बार बिना चीरा लगाए हटाया गले का ट्यूमर

उत्तर प्रदेश की राजधानी के एसजीपीजीआई (SGPGI) ने चिकित्‍सा क्षेत्र में इतिहास रचा है. एसजीपीजीआई में बिना चीरा लगाए पहली बार रोबोटिक्‍स विधि से थायराइड कैंसर का सफल ऑपरेशन किया गया है. चिकित्‍सकों की मानें तो प्रदेश में पहली बार इस विधि से थायराइड कैंसर का ऑपरेशन किया गया है. 

दरअसल, प्रयागराज की रहने वाली एक युवती के गले में थायराइड की गांठ हो गई थी, जो लगातार बढ़ रही थी. इसके इलाज के लिए वह प्रयागराज स्थित कमला नेहरू कैंसर अस्पताल पहुंची. यहां जांच के बाद चिकित्‍सकों ने उसे गांठ की जानकारी दी. साथ ही चिकित्‍सकों ने बताया कि गांठ में कैंसर है. चिकित्‍सकों ने ऑपरेशन की सलाह दी. इस पर युवती ने गले में चीरे के निशान को लेकर असहज हो गई. इसके बाद चिकित्‍सकों ने लखनऊ के SGPGI में दिखाने की बात कही. 

युवती अपने भाई के साथ लखनऊ स्थित SGPGI पहुंची. यहां रोबोटिक थायराइड सर्जन डॉ. ज्ञान चंद के पास भेज दिया.  डॉ. ज्ञान ने जांच कर बताया कि उसे पैपिलरी थायरॉइड कैंसर है. जिसकी सर्जरी यदि रोबोटिक विधि से की जाए तो बिना गले में चीरा लगाए कैंसर ट्यूमर को भी कुशलता पूर्वक निकाला जा सकता है. हालांकि, डॉ. ज्ञान चंद ने स्‍पष्‍ट कर दिया कि इस विधि से यह आपमें पहला प्रयोग होगा. इस पर युवती और उसके परिजन सहमति हो गए. 

इसके बाद डॉ. ज्ञान ने बीते शुक्रवार को 4 घंटे तक चले ऑपरेशन में युवती के गले में कैंसर से ग्रसित थायराइड ग्रंथि समेत कई गाठों को बिना गले में चीरा लगाए सफलतापूर्वक निकाल दिया. ऑपरेशन में डॉ. ज्ञान के साथ उनकी टीम में डॉ. अभिषेक प्रकाश, डॉ. सारा इदरीस व डॉ. रीनेल शामिल रहे. साथ ही एनेस्थीसिया में डॉ. सुजीत गौतम और उनकी टीम ने सहयोग किया. 

डॉ. ज्ञान चंद ने बताया कि रोबोटिक सर्जरी में थायराइड ग्रंथि के साथ-साथ गले में कैंसर की गांठों को भी निकाला जाता है. पूरी प्रक्रिया बेहद जटिल है लेकिन मरीज को भविष्य में आने वाली कठिनाइयों से राहत देने वाली है, क्योंकि अमूमन मरीज को शल्य चिकित्सा के बाद पड़ने वाले निशान के साथ ही जीना होता है. इससे कम उम्र में ऐसी बीमारी हो जाने के बाद महिलाओं को तमाम सामाजिक दिक्‍कतों का सामना करना पड़ता है और मरीज अवसाद का भी शिकार हो जाता है लेकिन रोबोटिक सर्जरी में ऐसा नहीं होता. 

डॉ. ज्ञान ने बताया कि ऐसी कठिन सर्जरी करने की प्रेरणा उन्हें एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमान से मिली. डॉ. धीमन लंबे समय से चाहते थे कि संस्थान में मरीजों के लिए जो कुछ भी बेहतर हो उसे संभव किया जाए. साथ ही डॉ. ज्ञान ने अपने विभागाध्यक्ष डॉ. गौरव अग्रवाल के मार्गदर्शन को भी सराहा. डॉ. ज्ञान के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में इस प्रकार की पहली रोबोटिक सर्जरी हुई है. संभवत: संपूर्ण भारत में किसी भी सरकारी संस्थान में होने वाली पहली ऐसी सर्जरी है जिसमें थायराइड कैंसर को रोबोट से निकाला गया है.