जुलाई में लौटेगा अल नीनो! दुनियाभर में तबाही मचाएगी प्रचंड गर्मी, दिल्ली-NCR में मई में कोहरा, तीन दिन में 30 दिन का बारिश ने कोटा किया पूरा
दिल्ली में मई के तीन दिन में हुई बारिश ने पूरे महीने के कोटे को पूरा कर दिया है। मई में अमूमन 30.7 मिमी बारिश होती है, लेकिन अब तक (तीन दिन में ही) 35.7 मिमी बारिश हो चुकी है। एक मई को औसतन 14.8 मिमी बारिश हुई थी, जबकि बुधवार को शाम साढ़े पांच बजे तक 20.9 मिमी बारिश दर्ज की गई।
उत्तर पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों से लेकर पहाड़ों में मौसम रोज नए रंग दिखा रहा है। कभी बारिश होती है कभी पहाड़ों में बर्फ बारी शुरू हो जाती है। मई के महीने में पारा 41 डिग्री से ऊपर ही रहता है लेकिन अभी ना तो गरमी है, एसी बंद हैं, और ठंडी हवाओं व गिरे पारे के कारण चादर ओढ़ कर सोना पड़ रहा है।
मई की शुरुआत से हो रही बारिश का दौर बुधवार को भी जारी रहा। सुबह मौसम खुला हुआ था और तेज धूप थी लग नहीं रहा था कि बरसात होगी। लेकिन दोपहर 12 बजे के बाद मौसम ने करवट बदली।
दिल्ली में मई के तीन दिन में हुई बारिश ने पूरे महीने के कोटे को पूरा कर दिया है। मई में अमूमन 30.7 मिमी बारिश होती है, लेकिन अब तक (तीन दिन में ही) 35.7 मिमी बारिश हो चुकी है। एक मई को औसतन 14.8 मिमी बारिश हुई थी, जबकि बुधवार को शाम साढ़े पांच बजे तक 20.9 मिमी बारिश दर्ज की गई।
बारिश का कोई रिकॉर्ड बनेगा या नहीं इसका पता गुरुवार तक ही चलेगा क्योंकि अभी बारिश जारी है। वहीं बारिश के कारण तापमान में भी गिरावट हो रही है। अधिकतम तापमान सामान्य से नौ डिग्री कम दर्ज किया गया। राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में आज सुबह कोहरे की मोटी परत छाई रही।
अभी शुक्रवार को एक और पश्चिमी विक्षोभ आ रहा है, लेकिन यह इतना प्रभावी नहीं होगा। इससे रविवार तक कहीं-कहीं हल्की बारिश होती रहेगी। गुरुवार को भी कुछ इलाकों में हल्की बारिश का अनुमान है। अधिकतम तापमान 32 डिग्री और न्यूनतम तापमान 17 डिग्री रहेगा। रविवार तक तापमान 32-33 डिग्री के बीच और न्यूनतम तापमान 21 डिग्री तक रहेगा। उसके बाद तापमान में बढ़ोतरी होनी शुरू होगी।
आने वाले जुलाई महीने में पूरी दुनिया को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। दुनियाभर में अल नीनो के असर से तापमान में तेजी के संकेत हैं। दरअसल, भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के गर्म होने की संभावना बढ़ रही है जिसे ‘अल नीनो’ गतिविधि कहा जाता है और इसका संबंध उच्च वैश्विक तापमान से है। इसका असर भारत सहित पूरी दुनिया पर पड़ेगा।
जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि यह अल नीनो की एक बार फिर वापसी के कारण होगा। अल नीनो के कारण वैश्विक तापमान में रिकॉर्ड बढ़ोतरी होगी। भारत में मानसून पर भी इसका असर पड़ने की संभावना है।
संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने बताया है कि अल नीनो अब जुलाई के अंत तक आ सकता है। डब्ल्यूएमओ ने यह भी कहा है कि जुलाई में इसके आने की संभावना 60 प्रतिशत और सितंबर के अंत तक 80 प्रतिशत संभावना है। भारत में मॉनसून के दौरान अल नीनो की संभावना 70 फीसदी तक है।
डब्ल्यूएमओ के क्षेत्रीय जलवायु पूर्वानुमान सेवा प्रभाग के प्रमुख विल्फ्रान मौफौमा ओकिया ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा में संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह दुनिया भर में मौसम और जलवायु की प्रणाली को बदल देगा।’’’ इसके साथ ही अब तक के सबसे लंबी ‘ला नीना’ गतिविधि भी समाप्त हो जाएगी। वर्ष 1950 के बाद ऐसा तीसरी बार हुआ है, जब ‘ला नीना’ गतिविधि लगातार तीसरे वर्ष देखी गई हो। ‘ला नीना’ का अर्थ समुद्र की सतह के तापमान के सामान्य से अधिक ठंडा होने का चरण है।
मौसम पर अल नीनो का क्या असर पड़ता है?
अल नीनो के प्रभाव से भारत और ऑस्ट्रेलिया में सूखे जैसी स्थिति का जोखिम ज्यादा।
अल नीनो का असर दुनिया भर में महसूस किया जाता है, जिसके कारण बारिश, ठंड, गर्मी सब में अंतर दिखाई देता है।
समुद्र की सतह में गर्मी बढ़ने से जलीय जीवों के जीवन को सबसे बड़ी क्षति होती है।
अल नीनो के प्रभाव के कारण फसलों की पैदावार में भी गिरावट दर्ज की जाती रही है।
तापमान में तेजी के साथ बारिश का संकट होने से स्थितियां तेजी से बिगड़ने लगती हैं।