दलित एवं अति पिछड़ा वर्ग पर नज़र, प्रियंका गांधी पहुंची काशी के कबीर मठ

कबीर चौरा मठ का ठिकाना प्रियंका के संघर्षों और सामाजिक न्याय को मज़बूत करने के उनके प्रयासों को लेकर एक बड़ा संदेश देगा। कबीर चौरा मठ को अपना ठिकाना बनाकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने एक साथ कई राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है। संत कबीर दास जी के सामाजिक न्याय एवं समानता के संदेश से उत्तरप्रदेश का दलित एवं अति पिछड़ा वर्ग बहुत जुड़ाव रखता है।

दलित एवं अति पिछड़ा वर्ग पर नज़र, प्रियंका गांधी पहुंची काशी के कबीर मठ

कबीर चौरा मठ में ही संत कबीर दास जी ने अपना पूरा जीवन बिताया था। ये मठ कबीरदास जी की शिक्षाओं, संदेशों एवं स्मृतियों का केंद्र है। देशभर के कबीरपंथियों और कबीरदास जी को मानने वाले लोगों के लिए कबीर चौरा मठ एक मुख्य आकर्षण का केंद्र है। 1934 में महात्मा गांधी का भी इस मठ में आगमन हुआ था। पं जवाहरलाल नेहरू और राष्ट्रकवि रविंद्रनाथ टैगोर भी अपना डेरा इसी करीब मठ को बनाते रहे हैं। 

उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव अंतिम चरण में पहुंच चुका है। इस चुनाव का ग्रैंड फिनाले पीएम मोदी की काशी में ही होना है। ऐसे में सभी दलों के प्रमुख नेता वाराणसी पहुंच चुके हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने तो काशी के कबीरचौरा पर स्थित करीब मठ मूलगादी में ही अपना डेरा बना लिया है। वह अगले तीन दिनों तक यहीं पर रहेंगी।  

प्रियंका गांधी ने दलित व अति पिछड़े वर्ग के अधिकारों के लिए लगातार आवाज़ उठाई है। उन्होंने अपने घोषणा पत्र में भी दलित व अति पिछड़े वर्ग के लिए काफ़ी दूरगामी परिणामों वाली घोषणाएं की हैं। कबीर चौरा मठ का ठिकाना प्रियंका के संघर्षों और सामाजिक न्याय को मज़बूत करने के उनके प्रयासों को लेकर एक बड़ा संदेश देगा। कबीर चौरा मठ को अपना ठिकाना बनाकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने एक साथ कई राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है। संत कबीर दास जी के सामाजिक न्याय एवं समानता के संदेश से उत्तरप्रदेश का दलित एवं अति पिछड़ा वर्ग बहुत जुड़ाव रखता है। अंतिम चरण में जिन नौ जिलों में चुनाव होना है वहां अति पिछड़ी जातियों और दलितों की संख्या अच्छी-ख़ासी है। इसके साथ ही संत कबीरदास जी का सांस्कृतिक महत्व भी बहुत है।