बड़ी खबर- राजीव गांधी फाउंडेशन का FCRA लाइसेंस हुआ कैंसिल, चीन से फंडिंग के आरोप
केंद्र सरकार ने गाँधी परिवार के गैर-सरकारी संगठन राजीव गाँधी फाउंडेशन का विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम लाइसेंस रद्द कर दिया है। आरोप है कि ये ट्रस्ट विदेशी फंडिंग कानून का उल्लंघन करता पाया गया है। एक अधिकारी के मुताबिक साल 2020 के जुलाई में गृह मंत्रालय द्वारा गठित मंत्रालय की समिति की जाँच की रिपोर्ट पर यह निर्णय लिया गया है।
भारत के गृह मंत्रालय ने राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया है. आरोप है कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट का उलंघन किया. जांच में पता चला है कि नियमों को ताक पर रखकर फाउंडेशन ने पड़ोसी देश चीन से फंड लिया गया. गृह मंत्रालय इस मामले की जांच लंबे समय से कर रहा था. जांच में राजीव गांधी फाउंडेशन के गलत पाए जाने पर गृह मंत्रालय के विदेश विभाग ने यह कार्रवाई की है.
एक अधिकारी के मुताबिक, राजीव गाँधी फाउंडेशन का लाइसेंस रद्द करने की सूचना उनके पदाधिकारियों को भेजी गई है। संगठन ने अभी इस मामले पर अपनी कोई टिप्पणी नहीं दी है। इस संगठन की अध्यक्ष सोनिया गाँधी हैं। वहीं ट्रस्टियों में अशोक गांगुली, बंसी महता, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, पी चिदंबरम, और राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी का नाम शामिल है।केंद्र सरकार ने गाँधी परिवार के गैर-सरकारी संगठन राजीव गाँधी फाउंडेशन का विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम लाइसेंस रद्द कर दिया है। आरोप है कि ये ट्रस्ट विदेशी फंडिंग कानून का उल्लंघन करता पाया गया है। एक अधिकारी के मुताबिक साल 2020 के जुलाई में गृह मंत्रालय द्वारा गठित मंत्रालय की समिति की जाँच की रिपोर्ट पर यह निर्णय लिया गया है।
एफसीआरए (FCRA) लाइसेंस के तहत स्थानीय संस्थाएं और एनजीओ विदेशी संस्थाओं, व्यक्तियों से अनुदान ले सकती हैं, लेकिन अनुदान लिए जाने की पूरी जानकारी केंद्र सरकार को दी जाती है। इससे यह पता लगाया जा सके कि जो अनुदान लिया गया है वह किस संस्था से किस कार्य के लिए लिया गया है। इसका इस्तेमाल देश हित में है और देश विरोधी गतिविधि में किया जाएगा।
बता दें कि, इस फाउंडेशन में सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पी चितंबरम सदस्य हैं। 1991 के इस संस्था का गठन किया गया था। राजीव गांधी फाउंडेशन में वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए 2020 से इंटर मिनिस्ट्रियल कमेटी गठित की गई थी। इसमें ईडी के सीनियर अधिकारी भी थे। दो दिन पहले ही कमेटी ने जांच रिपोर्ट सबमिट की थी।
आरजीएफ) की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के विजन को पूरा करने के लिए साल 1991 में की गई थी। फाउंडेशन की ऑफिशियल वेबसाइट rgfindia.org पर दी गई जानकारी के अनुसार 1991 से 2009 तक फाउंडेशन ने स्वास्थ्य, साक्षरता, स्वास्थ्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, महिला और बाल विकास, निःशक्तजनों को सहायता, पंचायती राज संस्थाओं, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, और पुस्तकालयों समेत कई मुद्दों पर काम किया है।2010 में, फाउंडेशन ने आगे शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला लिया और इसके लिए वेबसाइट बनाई।
हालाँकि कुछ समय पहले यह संगठन विवादों में आ गया। ये भी खुलासा हुआ था कि इस संगठन को 1991-1992 में कॉन्ग्रेस सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह ने 100 करोड़ रुपए बजट से देने की कोशिश की थी। हालाँकि विपक्ष के हंगामे के बाद इस पैसे को फाउंडेशन को नहीं दिया जा सका। फाउंडेशन के एक करीबी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि फाउंडेशन का एफसीआरए लाइसेंस 2020 से तीन से छह महीने की छोटी अवधि के लिए अपडेट किया गया था।