First Indian Flag: संगोल तो मिला, क्या आप जानते है- आजादी के बाद फहराया गया भारत का पहला तिरंगा अब कहां है?
संगोल की तरह ही देश की आजादी के एक और प्रतीक के बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं पता, ये है भारत का पहला तिरंगा झंडा, जिसे 15 अगस्त 1947 को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किला पर फहराया था। इसके बाद आधिकारिक तौर पर भारत की आजादी की घोषणा हुई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथो 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन हो चुका है। इस नए संसद भवन में स्पीकर के आसन के पास सेंगोल रखा गया, जिसका इतिहास 800 साल पुराने चोल साम्राज्य से जुड़ा है। सेंगोल इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। कहा जा रहा है कि सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक है।
बता दे कि आजादी के बाद भारत में लंबे समय तक अंग्रेजों की बनाई चीजों का इस्तेमाल हुआ. धीरे-धीरे अपने पैरों पर खड़ा हुआ भारत आज परमाणु महाशक्ति बन चुका है. देश की तरक्की और नई ताकत का गुणगान पूरी दुनिया में हो रहा है. जब देश में आजादी से जुड़े किस्से सुनाए जा रहे हैं तब भारत के पहले राष्ट्रीय ध्वज का जिक्र करना भी जरूरी हो जाता है क्योंकि वो भी इतिहास की अनमोल धरोहर बन चुका है.
संगोल की तरह ही देश की आजादी के एक और प्रतीक के बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं पता, ये है भारत का पहला तिरंगा झंडा, जिसे 15 अगस्त 1947 को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किला पर फहराया था। इसके बाद आधिकारिक तौर पर भारत की आजादी की घोषणा हुई। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पंडित नेहरू ने आजादी के जिस तिंरगे को पहली बार लाल किले पर फहराया था, वो अब कहां है? आज हम आपको भारत के आजादी के प्रतीक उस तिरंगे के बारे में बताने जा रहे हैं।
तिरंगा आजादी का प्रतीक है. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने जिस तिंरगे को पहली बार लाल किले पर फहराया था वो दिल्ली स्थित आर्मी बैटल ऑनर्स मेस में पूरे सम्मान और आन-बान-शान से रखा है. इस पहले तिरंगे की जानकारी भी पीएम मोदी (PM Modi) ने खुद पिछले साल एक ट्वीट के जरिए दी थी. इस तिरंगे झंडे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने का प्रस्ताव तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रखा था.
देश के राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगे का इतिहास बहुत रोचक है. पहला तिरंगा, पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था. पिंगली वेंकैया ने तिरंगा झंडा बनाने से पहले 30 देशों के झंडों की रिसर्च की थी. उन्होंने लगातार 6 साल यानी 1916 से लेकर 1921 तक इस पर काम किया तब जाकर उन्होंने तिरंगे का डिजाइन तैयार किया.
शुरुआत में इसे स्वराज झंडा कहा जाता था। इसमें ऊपर की पट्टी केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा रंग था। बीच में नीले रंग से बना चरखा था। 1931 में कांग्रेस ने स्वराज झंडे को ही राष्ट्रध्वज के रूप में स्वीकृति दी। बाद में 10 जुलाई 1947 में संविधान सभा की बैठक में राष्ट्रध्वज के डिजाइन से जुड़ी बारीकियां तय हुईं। इसके बाद 22 जुलाई 1947 को हमारा नया तिरंगा अस्तित्व में आया।
साल 1921 में पिंगली वेंकैया ने केसरिया और हरे रंग का झंडा बनाकर तैयार किया. फिर लाला हंसराज ने इसमें चर्खा जोड़ दिया और तब महात्मा गांधी जी ने इसमें सफेद पट्टी जोड़ने को कहा था. महात्मा गांधी ने कहा कि तिरंगे का केसरिया रंग बलिदान, सफेद रंग पवित्रता और हरा रंग आजाद भारत की उम्मीदों का प्रतीक है. भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान 22 जुलाई 1947 को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को वर्तमान स्वरूप में अपनाया गया था.
आंध्र प्रदेश में मछलीपट्टनम के गांव में पिंगली वेंकैया का जन्म 2 अगस्त 1876 को हुआ था. 19 साल की उम्र में पिंगली ने ब्रिटिश सेना ज्वाइन की. इसी दौरान उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से दक्षिण अफ्रीका में हुई. बापू से प्रभावित होकर वो हमेशा के लिए भारत लौट आए और अपनी बाकी जिंदगी स्वतंत्रता संग्राम के नाम समर्पित कर दी. 2009 में उनके नाम पर डाक टिकट जारी किया गया था.