बीजेपी के किसानों, महिलाओं व युवाओं से किए वादों पर अमल के लिए हिसाब-किताब शुरू बजट में चाहिए 57 हजार करोड़
किसानों, महिलाओं व युवाओं से किए कई वादों पर अमल के लिए फंड का होना है गठन। जारी योजनाओं व प्रोजेक्ट के बीच बड़े बजट खर्च वाले नए वादों पर अमल के लिए हिसाब-किताब शुरू। नई सरकार के गठन के बाद वित्त वर्ष 2022-23 का आना है पूर्ण बजट, संकल्प पत्र की दिखेगी छाप।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद सत्ता की ताजपोशी की तैयारियां जोरों पर हैं. योगी आदित्यनाथ 25 मार्च को शाम चार बजे एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। इसी बीच किसानों, महिलाओं व युवाओं से किए कई वादों पर अमल के लिए फंड का होना है गठन। जारी योजनाओं व प्रोजेक्ट के बीच बड़े बजट खर्च वाले नए वादों पर अमल के लिए हिसाब-किताब शुरू। नई सरकार के गठन के बाद वित्त वर्ष 2022-23 का आना है पूर्ण बजट, संकल्प पत्र की दिखेगी छाप। योगी सरकार की दूसरी पारी में नया वित्त मंत्री कौन बनेगा, अभी तय नहीं है लेकिन नई सरकार के पहले बजट की तैयारी में जुटा वित्त महकमा भाजपा के ‘लोक कल्याण संकल्प पत्र’ की कार्ययोजना पर माथापच्ची में जुट गया है।
सरकार बनते ही नए बजट से जुड़ी तैयारियों में तेजी आनी है जिसका पेपर वर्क तेजी से जारी है। बताया जा रहा है कि भाजपा ने दोबारा सत्ता में आने के लिए जो चुनावी वादे किए हैं, उनमें फंड बनाकर जिन कार्यक्रमों व योजनाओं को शुरू करना है, सिर्फ उनके लिए ही 57 हजार करोड़ रुपये से अधिक का बजट चाहिए। पूर्व से जारी योजनाओं के आकार-प्रकार में वृद्धि व कई नई योजनाओं पर आने वाला बजटीय भार इससे अलग होगा। प्रदेश में नई सरकार को वित्त वर्ष 2022-23 का आम बजट पेश करना है। शासन के एक अधिकारी बताते हैं कि सत्ताधारी दल ने पहले से जारी मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना की सहायता राशि 15 हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार करने, सामूहिक विवाह अनुदान योजना में वित्तीय सहायता बढ़ाकर 1 लाख करने, पीएम उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को वर्ष में दो मुफ्त एलपीजी सिलेंडर देने, 60 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को सार्वजनिक परिवहन में मुफ्त यात्रा, कॉलेज जाने वाली छात्राओं को मुफ्त स्कूटी देने व स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तीकरण योजना के तहत 2 करोड़ टैबलेट अथवा स्मार्टफोन देने जैसी भारी-भरकम बजट खर्च वाली तमाम घोषणाएं की हैं।
बजट में फंड के लिए आवश्यक धनराशि की व्यवस्था के बाद ही इससे जुड़ी योजनाओं का आगे पांच वर्ष तक क्रियान्वयन हो सकेगा। पिछले कार्यकाल में भी ऐसे कई फंड बनाने का वादा हुआ था। लेकिन पहले किसान कर्जमाफी के बड़े वित्तीय भार व फिर कोविड महामारी के प्रसार से बिगड़ी अर्थव्यवस्था से संभव नहीं हो पाया। ऐसे में नए बजट में कितने फंड को कितनी धनराशि के साथ जगह मिल पाती है, इस पर सबकी निगाहें हैं। फंड व नई योजनाओं की प्राथमिकता नई सरकार के वित्त मंत्री व प्रदेश की कैबिनेट करेगी।
किसानों को मुफ्त बिजली का एलान किया गया है जिसके लिए सालाना 2200 करोड़ रुपये की दरकार होगी। इन योजनाओं पर होने वाले खर्च के लिए आवश्यकता के हिसाब से बजट का बंदोबस्त करना होगा। मगर तमाम घोषणाएं ऐसी हैं जिनके क्रियान्वयन के लिए फंड बनाना है। ये फंड 500 करोड़ से लेकर 25 हजार करोड़ रुपये तक से बनाने की बात कही गई है। प्रमुख घोषणाओं के लिए बजट में करीब 57 हजार करोड़ रुपये से अधिक की एकमुश्त जरूरत होगी।