Ganesh Visarjan 2022- अनंत चतुदर्शी का मुहूर्त और चौदह गांठ वाले सूत्र का महत्व, ये गलतिया भूल कर भी ना करे

गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व होता है. इसी दिन भक्त अपने घरों में गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित करते हैं. भक्त अगले 10 दिनों तक विधि पूर्वक इनकी पूजा अर्चना करते हैं. उसके बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा का विसर्जन करते हैं. इस दिन श्रीहरि नारायण के अनंत रूप की उपासना की जाती है. इस दिन पूजा-पाठ के बाद बांह में 14 गांठ वाला सूत्र बांधने का विधान है. आइए जानते हैं अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त और योग

Ganesh Visarjan 2022- अनंत चतुदर्शी का मुहूर्त और चौदह गांठ वाले सूत्र का महत्व, ये गलतिया भूल कर भी ना करे

सनातन धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व बताया गया है. इस साल अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर 2022 को है. इस दिन श्रीहरि नारायण के अनंत रूप की उपासना की जाती है. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन ही गणपति उत्सव का समापन होता है. इसी दिन गणेश जी का विसर्जन किया जाता है.

सनातन हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व होता है. इसी दिन भक्त अपने घरों में गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित करते हैं. भक्त अगले 10 दिनों तक विधि पूर्वक इनकी पूजा अर्चना करते हैं. उसके बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा का विसर्जन करते हैं. धार्मिक मान्यता है कि विधि पूर्वक इनका विसर्जन करने से साल भर भक्तों के घर में कोई संकट नहीं आता है. घर परिवार में धनागमन बना रहता है. गणेश भगवान की कृपा से भक्तों के सारे कष्ट और पाप कट जाते हैं. धन-वैभव और सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है.

अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अंनत रूपों की पूजा का विधान है. 10 दिन तक चलने वाले गणपति महोत्सव का ये आखिरी दिन होता है. इस दिन धूमधाम से गणपति बप्पा को विदाई दी जाती है. सम्मानपूर्वक उनका जल में विसर्जन किया जाता है. साथ ही गजानन से अगले बरस जल्द आने की कामना की जाती है. इस बार अनंत चतुर्दशी पर बेहद शुभ योग बन रहा है, जिससे श्रीहरि की पूजा और गणपति जी के विसर्जन से शुभ फल की प्राप्ति होगी. आइए जानते हैं अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त और योग-

अनंत चतुर्दशी 2022 मुहूर्त (Anant Chaturdarshi 2022 Muhurat)

अनंत चतुर्दशी तिथि आरंभ- 8 सितंबर 2022, शाम 9 बजकर 02 मिनट से

अनंत चतुर्दशी तिथि समाप्त- 9 सितंबर 2022, शाम 6 बजकर 07 मिनट तक

पूजा का मुहुर्त - सुबह 06.10 - शाम 06:07 (9 सितंबर 2022)

पूजा अवधि - 11 घंटे और 58 मिनट

अनंत चतुर्दशी 2022 शुभ योग (Anant Chaturdarshi 2022 shubh yoga)

इस साल अनंत चतुर्दशी पर बेहद शुभ योग का संयोग बन रहा है, जो इस दिन के महत्व में बढ़ोत्तरी करेगा. इस दिन सुकर्मा और रवि योग बन रहे हैं. मान्यता है कि सुकर्मा योग में किए गए शुभ कार्य में सफलता जरूर मिलती है. साथ ही रवि योग में श्रीहरि की पूजा करने से पाप नष्ट हो जाते हैं. 

सुकर्मा योग - 8 सितंबर 2022, रात 09.41 मिनट से 9 सितंबर 2022 शाम 06 .12 तक

रवि योग - सुबह 6.10 - 11.35 (9 सितंबर 2022)

गणेश विसर्जन शुभ मुहूर्त 2022

प्रात: मुहूर्त -  6.3 AM -10.44 AM

दोपहर मुहूर्त - 12.18 PM - 1.52 PM

संध्या मुहूर्त - 5.00 PM - 6.31 PM

विसर्जन समय ये बाते ध्यान रखे -

बीते 31 अगस्त 2022 को गणेश चतुर्थी के साथ गणेशोत्‍सव पर्व शुरू हुआ था, जो कल 9 सितंबर 2022 को अनंत चतुर्दशी पर समाप्‍त हो जाएगा. इस दिन विशाल गणपति प्रतिमाओं का नदी, तालाब में विसर्जन होता है. पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से घरों में भी गणपति विसर्जन किया जाने लगा है. महाराष्‍ट्र समेत कई राज्‍यों में गणेश विसर्जन के मौके पर विशाल जुलूस निकलते हैं और धूमधाम से गणपति बप्‍पा को विदाई दी जाती है. गणपति विसर्जन के दौरान कुछ खास नियमों का ध्‍यान रखना चाहिए, वरना विसर्जन में की गईं गलतियों से गणपति बप्‍पा नाराज हो सकते हैं. 

गणेश विसर्जन से पहले गणपति की विधि-विधान से पूजा जरूर करें. उन्हें धूप, दीप, फूल, दूर्वा, नैवेद्य अर्पित करें. जब विसर्जन स्‍थल पर पहुंचे तो एक बार फिर गणपति को हल्‍दी, कुमकुम, अक्षत लगाकर भोग लगाएं. गणपति बप्‍पा की आरती करके गलतियों की क्षमा प्रार्थना करें . इसके बाद विसर्जन करें. हमेशा शुभ मुहूर्त में गणपति विसर्जन करें. 

गणेश विसर्जन के दौरान ध्‍यान रखें कि गणपति की अंतिम पूजा में जो भी सामग्री जैसे पान, सुपारी, पान, मोदक, दूर्वा, नारियल उन्हें अर्पित किया गया है उसे भी प्रतिमा के साथ विसर्जित करें. नारिफल फोड़े नहीं, उसे भी प्रवाहित करें. 

गणपति विसर्जित करते समय प्रतिमा को एक झटके में जल में न डालें. बल्कि प्रतिमा को धीरे-धीरे विसर्जित करें. यदि घर में प्रतिमा विसर्जित कर रहे हैं तो मूर्ति से बड़े आकार का पात्र लें और उसमें इतना पानी लें कि मूर्ति अच्‍छी तरह डूब जाए. बाद में इस पवित्र जल को किसी गमले में या पवित्र पेड़ की जड़ों में डालें. इस पानी में ना तो पैर लगे और ना यह अशुद्ध हो. इस पानी को गंदे हाथों से भी न छुएं. 

गणपति विसर्जन के दिन ना तो काले कपड़े पहनें और ना ही इस रंग का उपयोग करें.

ध्यान रहे गणपति को पूजा में चढ़ाई चीजों को जल में प्रवाहित न करें.

जानिए 14 गांठ वाले अंनत सूत्र का महत्व (Anant sutra 14 Knot significance)

अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस भी कहते हैं. अनंत चतुर्दशी पर व्रत संकटों से पार पाने वाला माना गया है. इस दिन श्रीहरि नारायण के अनंत रूप की उपासना की जाती है. इस दिन पूजा-पाठ के बाद बांह में 14 गांठ वाला सूत्र बांधने का विधान है. 

आइए जानते हैं अनंत चतुदर्शी का मुहूर्त और चौदह गांठ वाले सूत्र का महत्व-

अनंत चतुर्दशी पर बांधे जाने वाला 14 गांठ वाला सूत्र 14 लोकों (भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल लोक) का प्रतीक माना गया है. इसकी हर गांठ प्रत्येक लोक का प्रतिनिधित्व करती है. 

रेशम की डोर या सूती धागे से बना ये सूत्र जातक का रक्षा कवच होता है, इसे बांधने के बाद भय से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि जो पूरे चौदह साल तक सभी नियम से पूजा पाठ करके चौदह गांठ वाला अनंत सूत्र बांधता है उसपर भगवान विष्णु की कृपा बरसती है और बैकुंठ प्राप्त होता है.

अनंत सूत्र पहनने के नियम (Anant sutra wearing Rules)-

अनंत चतुर्दशी के दिन स्नान-ध्यान के बाद भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा और अनंत चतुर्दशी की कथा का पाठ किया जाता है. इसके बाद साथ ही एक सूती धागे को कुमकुम, हल्दी और केसर से रंगने के बाद उसमें 14 पवित्र गांठें लगाकर अनंता तैयार किया जाता है. अनंता को तैयार करके भगवान विष्णु के मंत्र "अच्युताय नमः अनंताय नमः गोविंदाय नमः'' मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें समर्पित किया जाता है और उसके बाद प्रसाद स्वरूप अपने दाहिनी बांह में धारण किया जाता है. यह अनंत सूत्र सभी प्रकार की बुरी बलाओं और शत्रुओं से रक्षा करने वाला होता है.

अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु का प्रसाद माने जाने वाले अनंत सूत्र को धारण करने के बाद रात्रि के समय इसे उतार कर रख दिया जाता है और दूसरे दिन किसी पवित्र नदी या सरोवर में इसे विसर्जित कर दिया जाता है. यदि यह क्रिया उस दिन न संभव हो पाती है तो व्यक्ति को उस अनंता को अगले 14 दिनों तक धारण करना पड़ता है. यदि 14 दिनों के बाद भी वह इस क्रिया को संपन्न नहीं कर पाता है तो उसे यह पूरे वर्ष पहनना पड़ता है और अगली अनंत चतुर्दशी तक इसे बांधे रहना पड़ता है.