पवित्र शालिग्राम शिलाओं का यूपी में प्रवेश, CM योगी करेंगे शिलाओं का पूजन, प्रभु राम माता सीता की बनेगी प्रतिमाये
पवित्र शालिग्राम पत्थर से भगवान राम-सीता की मूर्ति तैयार होगी. स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन पवित्र शिला की पूजा अर्चना गोरखपुर में करेंगे. गोरखनाथ मंदिर पहुंचने के बाद शिलाओं का स्वागत-पूजन पूज्य संतों के हिंदू सेवाश्रम पर करेंगे. इन्हीं शिलाओं से रामलला की मूर्ति बनेगी तो अयोध्या और नेपाल के बीच एक बार फिर त्रेतायुग के संबंध ताजा हो जाएंगे.
नेपाल के जनकपुर से कभी माता जानकी अयोध्या आई थीं, अब सौगात के तौर पर रामलला की मूर्ति का पत्थर भी जनकपुर से आ रहा है. इन्हीं शिलाओं से रामलला की मूर्ति बनेगी तो अयोध्या और नेपाल के बीच एक बार फिर त्रेतायुग के संबंध ताजा हो जाएंगे.
काली गंडकी नदी नेपाल में है और दामोदर कुंड से चलती है. ये शिलाये पोखरा से भी 85 किलोमीटर ऊपर से नदी के तट से यह लायी गयी है लेकिन यह खरीदा नहीं गया नेपाल के संतो ने कहा हम अयोध्या को सौगात में देना चाहते हैं. कभी जनकपुर ने जानकी जी दी थी अब जानकी जी के दहेज के रूप में इसे सौगात देंगे.
सुबह 7 बजे कुशीनगर की सीमा में बड़े वाहन में रखकर इस पवित्र शालिग्राम पत्थर को लाया गया. सलेमगढ़ में भी पवित्र शालिग्राम पत्थर के स्वागत पूजन की तैयारी है. NH 28 पर बिहार सीमा से लगे बहादुरपुर से लेकर गोरखपुर सीमा तक सुरक्षा के भारी इंतजाम किए गए हैं. इस पवित्र शालिग्राम पत्थर से भगवान राम-सीता की मूर्ति तैयार होगी. स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन पवित्र शिला की पूजा अर्चना गोरखपुर में करेंगे.
गोरखनाथ मंदिर पहुंचने के बाद शिलाओं का स्वागत-पूजन पूज्य संतों के हिंदू सेवाश्रम पर करेंगे. इसके बाद यात्रा में सम्मिलित सभी लोगों का मंदिर में भोजन एवं विश्राम होगा. अगले दिन एक फरवरी की सुबह यात्रा का विधि-विधान से पूजन कर उनको अयोध्या जी के लिए गोरक्ष पीठाधीश्वर उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा रवाना किया जाएगा.
अयोध्या में रामलला के मूर्ति निर्माण हेतु नेपाल के पोखरा से शालिग्राम शिला लाई गई थी. कड़ी सुरक्षा के बीच सोमवार रात ये दरभंगा पहुंची थी. इसे देखने और छूने के लिए भारी भीड़ रात के वक्त भी सड़कों पर दिखी. महिला पुरुष सभी जय श्रीराम के नारों के साथ शालिग्राम पत्थर को छूकर पुण्य कमाने के लिए सड़कों पर दौड़ते भागते दिखाई दिए. श्रद्धालुओं में जिसने भी शालिग्राम शिला को देखा, स्पर्श किया वो खुद को भाग्यशाली मान रहा था.
इस शालिग्राम पत्थर को कहीं दर्शन पूजन के लिए विशेष तौर पर रोका नहीं गया, फिर भी रामभक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली. भीड़ को हटाने और शालिग्राम के पत्थर लिए वाहनों के काफिले को आगे ले जाने में बिहार पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी. दरभंगा से मुज्जफरपुर के रास्ते NH 57 फोरलेन सड़कों पर कई किलोमीटर देर रात भक्त दर्शन के लिए घंटों में ठंड में ठिठुरते रहे. उनके हाथों में धूप अगरबत्ती भी थी और वो हाथो में आरती लेकर पवित्र पत्थर की पूजा करते रहे. बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद और तमाम अन्य हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ता भी इस दौरान व्यवस्था कायम करते दिखे.