विधानसभा से पहले निकला जिन्ना का जिन्न कितना असर करेगा

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विधानसभा से पहले निकला जिन्ना का जिन्न कितना असर करेगा

पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना की मजार पर जाने को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता एल के आडवाणी और जिन्ना पर पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह की किताब काफी विवादों में रही। दोनों नेताओं को निजी तौर पर पार्टी में अपनी हैसियत को लेकर नुक्सान भी हुआ है और हाशिये जैसी स्तिथि में खड़े हो चुके है  लेकिन इस पर वोट पड़ी हो, ऐसा राजनीति के जानकार नहीं मानते हैं।

हाल की बात करें तो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर होने को लेकर विवाद को 2019 के लोकसभा चुनाव से करीब एक साल पहले कैराना के उपचुनाव के समय भी सामने लाया गया था। उपचुनाव में भाजपा ने इसको मुद्दा बनाया लेकिन वो चुनाव हार गई थी। इस चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल ने 'जिन्ना नहीं गन्नापर बात करो' का नारा दिया था। जो कामयाब भी रहा था।


उत्तर प्रदेश में चुनाव के नजदीक आने के साथ ही पाकिस्तान के कायदे आज़म  मुहम्मद अली जिन्ना बहस में आ गए हैं। बीते कुछ दिन में सीएम योगी आदित्यनाथ, पूर्व सीएम अखिलेश यादव, ओपी राजभर, केंद्रीय मंत्री मुख्तार नकवी से लेकर असदुद्दीन ओवैसी तक जिन्ना पर बयान दे चुके हैं। जिन्ना पर लगातार आ रहे बयानों से लगता है कि पाकिस्तान में कायदे आजम कहे जाने वाले जिन्ना यूपी में काफी ज्यादा प्रभाव रखते हैं और चुनाव पर असर डाल सकते हैं.


हाल ही में समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने सरदार पटेल की जयंती के मौके पर हरदोई में कहा था कि सरदार पटेल, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और जिन्ना ने एक ही संस्थान से पढ़ाई कर बैरिस्टर बने थे। इसी को लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन्ना का समर्थन करने वाले तालिबान के समर्थक जैसे हैं, हमें उनसे सावधान रहना होगा।