मैं उस व्यक्ति से ईर्ष्या करूंगा जो 2047 में विदेश मंत्री होगा, जानें विदेश मंत्री जयशंकर ने क्यों ऐसा कहा
जयशंकर ने यह बयान इसलिए दिया क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में कहा था कि 2047 में भारत विकसित देश बन जाएगा और विकसित देश का विदेश मंत्री होना अपने-आप में बड़ी बात है। जयशंकर की किताब ‘द इंडिया वे: स्ट्रैटेजीज फॉर एन अनसर्टेन वर्ल्ड’ के गुजराती अनुवाद का विमोचन करने के लिए गुजरात के अहमदाबाद में समारोह आयोजित किया गया था। इसी मौके पर विदेश मंत्री ने जनसंख्या नियंत्रण से लेकर भविष्य में भारत की विदेश नीति पर बात की।
भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जशंकर ने गुजरात में एक कार्यक्रम के दौरान रविवार को 2047 के भारत पर बात करते हुए बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि मैं उस व्यक्ति से ईर्ष्या करूंगा जो 2047 में विदेश मंत्री होगा, लेकिन मैं आपको एक बात बताऊंगा, नरेंद्र मोदी सरकार का विदेश मंत्री होना भी एक बड़ी ताकत है। मूल विश्वास, आत्मविश्वास और दृष्टिकोण हैं, और दुनिया इसे पहचान रही है।
दरअसल, जयशंकर ने यह बयान इसलिए दिया क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में कहा था कि 2047 में भारत विकसित देश बन जाएगा और विकसित देश का विदेश मंत्री होना अपने-आप में बड़ी बात है।
जानकारी के लिए बता दें कि जयशंकर की किताब ‘द इंडिया वे: स्ट्रैटेजीज फॉर एन अनसर्टेन वर्ल्ड’ के गुजराती अनुवाद का विमोचन करने के लिए गुजरात के अहमदाबाद में समारोह आयोजित किया गया था। इसी मौके पर विदेश मंत्री ने जनसंख्या नियंत्रण से लेकर भविष्य में भारत की विदेश नीति पर बात की।
भारत पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था, आत्मविश्वास दिखाना चाहिएउन्होंने कहा कि पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत को आत्मविश्वास दिखाना चाहिए। आत्मविश्वास की कमी हमारी आदतों के कारण है जो हमें बांधे रखती है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका को एंगेज करना, चीन को मैनेज करना, रूस को आश्वस्त करना… भारत की विदेश नीति में ‘सबका साथ-सबका विकास’ है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “अब तक, जब भी हम महासागरों के बारे में सोचते हैं, हम हिंद महासागर के बारे में सोचते हैं। यह हमारी सोच की सीमा है कि जब भी हम सुमुद्री हित के बारे में बात करते हैं तो हम हिंद महासागर के बारे में बात करते हैं।” प्रशांत महासागर की ओर से जाता है 50 प्रतिशत व्यापारडॉ. एस जयशंकर ने कहा हमारा पचास प्रतिशत से ज्यादा व्यापार पूर्व की ओर प्रशांत महासागर की ओर जाता है। हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के बीच की रेखा केवल मानचित्र-एटलस पर मौजूद है, लेकिन वास्तविकता में ऐसा कुछ नहीं है…हमें अपनी सोच में ऐतिहासिक रेखाओं से परे जाना चाहिए। हिंद प्रशांत दुनिया में चल रही एक नई रणनीतिक अवधारणा है।”
अपनी पुस्तक के एक अध्याय के बारे में बात करते हुए विदेश मंत्री जय शंकर ने कहा कि यह तथ्य कि हमें दुनिया में दूसरों की समस्याओं में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, एक तरह की हठधर्मिता है। जबरन जनसंख्या नियंत्रण के बहुत खतरनाक परिणामभारत में जनसंख्या नियंत्रण पर विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा कि भारतीय जनसंख्या की वृद्धि दर गिर रही है, इसका कारण शिक्षा, सामाजिक जागरूकता और समृद्धि है। हम में से प्रत्येक के बीच परिवार का आकार, समय बीतने के साथ छोटा हो रहा है। जबरन जनसंख्या नियंत्रण के बहुत खतरनाक परिणाम हो सकते हैं, यह लिंग असंतुलन पैदा कर सकता है। आदतों की वजह से नहीं दिखता हमारा आत्मविश्वासउन्होंने कहा कि यह संभव है कि 1950 और 1960 के दशक में हमारे पास क्षमता नहीं थी और यह हमारे हित में नहीं था लेकिन कुछ दिन पहले हम पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए। 20वें नंबर और 5वें नंबर किसी की सोच समान नहीं हो सकती है। हमें अपनी क्षमता के अनुसार बदलना चाहिए। हमें आत्मविश्वास दिखाना चाहिए, जो नहीं है और ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि हमारी आदतें हमें बांधे रखती हैं।
विदेश मंत्री ने कहा, हम उस स्तर पर पहुंच गए हैं जहां हमें अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए जितना हो सके सभी के साथ संबंध बनाए रखना चाहिए क्योंकि आगे बढ़ने के लिए भारत की प्रगति एक तरह से हमारे लिए मानदंड बन जाती है।