डायबिटीज पर ICMR की डराने वाली रिपोर्ट, नासूर बन रही डायबिटीज, 10 करोड़ से ज्यादा लोग इसका शिकार
यूनाइटेड किंगडम की कुल आबादी 7 करोड़ है जबकि भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या 10 करोड़ है. ऐसे में कहा जा सकता है कि भारत में डायबिटीज के रोगियों का एक देश तैयार हो चुका है.
भारत में डायबिटीज के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। ICMR की स्टडी के मुताबिक 2019 में 7 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित थे जबकि इस समय यह संख्या बढ़कर 10.1 करोड़ हो गई है। यूके मेडिकल जर्नल 'लासेंट' में यह स्टडी प्रकाशित हुई है।
कुछ विकसित राज्यों में यह नंबर स्थिर है जबकि दूसरे राज्यों में तेजी से बढ़ रहा है जो चिंता की बात है। स्टडी में कहा गया है कि स्टेट के स्तर पर तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। सर्वे की मानें तो देश की कम से कम 15.3 प्रतिशत आबादी यानी 13.6 करोड़ लोग प्री-डायबिटीज श्रेणी में हैं यानी ये जल्द ही आगे डायबिटीज की चपेट में आ सकते हैं। सर्वे में 20 साल और इसके अधिक उम्र के लोगों को शामिल किया गया था।
यूनाइटेड किंगडम की कुल आबादी 7 करोड़ है जबकि भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या 10 करोड़ है. ऐसे में कहा जा सकता है कि भारत में डायबिटीज के रोगियों का एक देश तैयार हो चुका है. यहां चौंकाने वाला आंकड़ा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिपोर्ट के एक सर्वे में आया है.
इस सर्वे के मुताबिक, भारत पूरी दुनिया में डायबिटीज का सबसे बड़ा केन्द्र बन गया है. बड़ी बात यह है कि पिछले 4 सालों में भारत में डायबिटीज के मरीज 44% बढ़ गए हैं. अभी तक देश में डायबिटीज के कुल मरीजों की संख्या 8 करोड़ के करीब मानी जाती थी, जो अब 10 करोड़ को पार कर चुकी है. यह रिपोर्ट एक लाख से ज्यादा मरीजों के टेस्ट पर आधारित है.
सर्वे के मुताबिक, गोवा की 26.4% आबादी, पुडुचेरी की 26.3% आबादी और केरल की 25.5% आबादी डायबिटीज की जद में है. वहीं, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में आने वाले सालों में एक बड़ी आबादी इसकी शिकार हो सकती है.
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत की 15 प्रतिशत आबादी प्रीडायबिटिक है. इसके अलावा 35.5% आबादी हाइपटेंशन और हाई कॉलेस्ट्रॉल की चपेट में है. जबकि लगभग 29% लोग मोटापे से परेशान हैं. यह डाटा बताता है कि कैसे आने वाले समय में देश की एक बड़ी आबादी गंभीर बीमारियों की ओर बढ़ रही है.
प्री-डायबिटिक व्यक्ति वह होता है, जिसका ब्लड शुगर लेवल सामान्य से ज्यादा है लेकिन इतना ज्यादा नहीं है कि उसे टाइप-2 डायबिटीज की श्रेणी में रखा जा सके। जीवनशैली में बदलाव किए बगैर, वयस्क और बच्चों को डायबिटीज होने का खतरा सबसे ज्यादा है।