आगरा की बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबे होने का दावा, आज कोर्ट में सुनवाई

गरा की बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबे होने का दावा किया गया है।  याचिकाकर्ता महेंद्रप्रताप ने ये याचिका दाखिल  की है, जिस पर सुनवाई होगी। महेंद्र प्रताप ने आगरा की बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियों के दबे होने के तथ्य अदालत में पेश किए हैं। महेंद्र प्रताप ने जल्द से जल्द सीढ़ियों की खुदाई कर मूर्तियों को बाहर निकालने की अदालत से प्रार्थना की है। 

आगरा की बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबे होने का दावा, आज कोर्ट में सुनवाई

उत्तर प्रदेश में धर्मस्थलों से जुड़े विवाद का एक अदालती मामला सामने आया है. इसमें आगरा की बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबे होने का दावा किया गया है।  याचिकाकर्ता महेंद्रप्रताप ने ये याचिका दाखिल  की है, जिस पर सुनवाई होगी। महेंद्र प्रताप ने आगरा की बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियों के दबे होने के तथ्य अदालत में पेश किए हैं। महेंद्र प्रताप ने जल्द से जल्द सीढ़ियों की खुदाई कर मूर्तियों को बाहर निकालने की अदालत से प्रार्थना की है। 
अपनी याचिका में सिंह ने कहा है कि विग्रहों को मंदिर में स्थापित होने तक उन सीढ़ियों पर सभी का आवागमन बंद किया जाए। अदालत ने इसकी सुनवाई के लिए 23 जनवरी, 2023 की तारीख मुकर्रर की है। अदालत में दर्ज किए गए दावे में वादी महेंद्र प्रताप सिंह और वृंदावन निवासी श्यामा नंद पंडित उर्फ शिवचरन अवस्थी ने केंद्रीय सचिव दिल्ली, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, तिलक मार्ग, नयी दिल्ली के महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण आगरा के अधीक्षक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मथुरा के निदेशक के माध्यम से भारत संघ को प्रतिवादी बनाया है।


वादी ने कहा कि मुगल शासक औरंगजेब ने सन 1670 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बने ठाकुर केशवदेव के मंदिर को विध्वंस करा दिया था। मंदिर में स्थापित कीमती रत्नजड़ित छोटे एवं बड़े देव विग्रहों को आगरा ले जाया गया, जिन्हें लाल किले की बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा दिया। उन्होंने याचिका में कहा कि देव विग्रह आज भी मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफन हैं, जो प्रतिवादीगण के अधीन है। वादी ने इस संबंध में कई ऐतिहासिक साक्ष्यों का भी हवाला दिया है।
वादी ने कहा है कि इस संबंध में औरंगजेब के मुख्य दरबारी मुस्ताक खान द्वारा लिखित पुस्तक ‘मासर ई आलमगीरी’ में उल्लेख किया गया है, जिसका यदुनाथ सरकार ने अरबी भाषा से अंग्रेजी में अनुवाद किया है। उनके अलावा प्रख्यात इतिहासकार बीएस भटनागर द्वारा लिखित पुस्तक में भी यह वर्णन मिलता है। महेंद्र प्रताप सिंह ने अदालत से प्रार्थना की है कि उक्त सीढ़ियों पर लोगों को आने जाने से रोका जाए तथा सीढ़ियों को खुदवा कर उनमें दफन किए गए विग्रहों को निकाल कर ठाकुर केशवदेव मंदिर में स्थापित किया जाए।


बता दे न्यायालय सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई होगी। इससे पहले श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद मामला तो अदालत में चल ही रहा है। साथ ही काशी विश्वनाथ मंदिर के ज्ञानवापी मस्जिद शृंगार गौरी मंदिर का केस भी निचली अदालत से सुप्रीम कोर्ट तक चल रहा है। इसको लेकर ठाकुर केशव देव और अन्य विग्रहों के मामले में सुनवाई भी आज होगी।