भारत का मंगलयान अब नहीं रहा, जानिए इसरो के मुताबिक क्यों जिंदा करना मुमकिन नहीं
इसरो ने सोमवार को पुष्टि की कि मार्स ऑर्बिटर यान का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया है। अब इसकी रिकवरी नहीं की जा सकती। इसरो ने कहा कि अब भारत के मंगलयान मिशन का जीवन समाप्त हो गया है। इसरो ने बताया कि भारत के मंगलयान में जिंदगी नहीं बची है। इसकी बैटरी एक सुरक्षित सीमा से अधिक समय तक चलने के बाद खत्म हो गई है।
मंगलयान की लॉन्चिंग के बाद ही भारत दुनिया के उन चुने हुए देशों में शामिल हो गया था, जिन्होंने मंगल ग्रह के लिए मिशन छोड़ा। करीब 11 महीने महीने की यात्रा करने के बाद मंगलयान मंगल ग्रह के नजदीक पहुंचा। ये थी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO की सबसे बड़ी उपलब्धि।
जानकारी के अनुसार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को पुष्टि की कि मार्स ऑर्बिटर यान का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया है। अब इसकी रिकवरी नहीं की जा सकती। इसरो ने कहा कि अब भारत के मंगलयान मिशन का जीवन समाप्त हो गया है। इसरो ने बताया कि भारत के मंगलयान में जिंदगी नहीं बची है। इसकी बैटरी एक सुरक्षित सीमा से अधिक समय तक चलने के बाद खत्म हो गई है। इसी के साथ देश के पहले अंतर्ग्रहीय मिशन ने आखिरकार अपनी लंबी पारी पूरी कर ली है। इसरो ने मंगल ग्रह की कक्षा में अपने आठ साल पूरे होने के अवसर पर 27 सितंबर को आयोजित मार्स ऑर्बिटर मिशन और राष्ट्रीय बैठक पर एक अपडेट दिया था। वैसे यह अपने आप में इसरो की महारत को दर्शाता है। क्योंकि इस मिशन को केवल छह महीने के जीवन-काल के लिए डिजाइन किया गया था। लेकिन इसके बावजूद, एमओएम मंगल ग्रह की कक्षा में लगभग आठ वर्षों तक रहा है।
दरअसल, ISRO ने मंगलयान को केवल 6 महीने के लिए ही मार्स पर भेजा था, लेकिन इसने 8 सालों से भी ज्यादा वक्त ग्रह पर बिताया। भारतीय वैज्ञानिकों ने मंगलयान को सिर्फ टेक्नोलॉजी का प्रदर्शन करने के लिए भेजा था, मगर इसने मंगल पर जाकर कमाल कर दिखाया।
वैज्ञानिकों का कहना है कि स्पेसक्राफ्ट में लगी बैटरी सूरज की रोशनी से चार्ज होती थी। उसके बिना यह एक घंटा 40 मिनट से ज्यादा नहीं चल सकती थी। ISRO के एक अधिकारी ने आज तक को बताया कि मंगल पर हाल ही में कई ग्रहण लगे। सबसे लंबा ग्रहण 7.5 घंटे का था, जिसके चलते बैटरी चार्ज न हो सकी और मंगलयान का अंत हो गया। बता दे इसरो पहले एक आसन्न ग्रहण से बचने के लिए यान को एक नई कक्षा में ले जाने का प्रयास कर रहा था। अधिकारियों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, ‘‘लेकिन हाल ही में एक के बाद एक ग्रहण लगा, जिनमें से एक ग्रहण तो साढ़े सात घंटे तक चला।’’ वहीं, एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘चूंकि उपग्रह बैटरी को केवल एक घंटे और 40 मिनट की ग्रहण अवधि के हिसाब से डिजाइन किया गया था, इसलिए एक लंबा ग्रहण लग जाने से बैटरी लगभग समाप्त हो गई।’’
मंगलयान में केवल 5 पेलोड्स थे। इनका वजन महज 15 किलोग्राम था। इन 5 उपकरणों के नाम थे- मार्स कलर कैमरा (MCC), थर्मल इन्फ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर (TIS), मंगल के लिए मीथेन सेंसर (MSM), मार्स एक्सोस्फेरिक न्यूट्रल कंपोजिशन एनालाइजर (MENCA) और लाइमैन अल्फा फोटोमीटर (LAP)। इनका काम मंगल ग्रह की भौगोलिक, बाहरी परतों, वायुमंडलीय प्रक्रियाओं, सतह के तापमान आदि की जांच करना था।