ब्रिटेन को पीछे छोड़ भारत बना दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
भारत पर कभी ब्रिटेन ने हुकूमत की है। 1947 से पहले तक भारत उसकी कॉलोनी हुआ करता था. 2021 के अंतिम तीन महीनों में भारत ने ब्रिटेन को मात दी है. यूरोप में सुस्ती के बीच घरेलू अर्थव्यवस्था की तेज ग्रोथ से भारत टॉप 5 इकोनॉमी में शामिल हो गया है. सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया है और ब्रिटेन अब छठे पायदान पर है.
भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार जारी मजबूती का असर देखने को मिल रहा है. यूरोप में सुस्ती के बीच घरेलू अर्थव्यवस्था की तेज ग्रोथ से भारत टॉप 5 इकोनॉमी में शामिल हो गया है. सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया है और ब्रिटेन अब छठे पायदान पर है. भारत पर कभी ब्रिटेन ने हुकूमत की है। 1947 से पहले तक भारत उसकी कॉलोनी हुआ करता था. 2021 के अंतिम तीन महीनों में भारत ने ब्रिटेन को मात दी है.
आईएमएफ के द्वारा जारी आंकड़ों और मार्च तिमाही के अंत में डॉलर के एक्सचेंज रेट के आधार पर ब्लूमबर्ग ने जानकारी दी है कि नॉमिनल कैश में भारतीय अर्थव्यवस्था का साइज 854.7 अरब डॉलर था. इसी अवधि में इसी आधार पर यूके की अर्थव्यवस्था का आकार 816 अरब डॉलर था. अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में भारत ब्रिटिश इकोनॉमी के मुकाबले अपनी बढ़त और मजबूत करेगा. दरअसल भारत के लिए ग्रोथ अनुमान 7 प्रतिशत रखा गया है. जो कि दुनिया में सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज है. वहीं दूसरी तरफ यूके की अर्थव्यवस्था में सुस्ती की संभावना जताई जा रही है. इसे देखते हुए आईएमएफ ने अनुमान दिया है कि सालाना आधार पर डॉलर मूल्य में भारत यूके को पीछे छोड़कर पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.
भारत में आर्थिक उदारीकरण 1990 की दशक में शुरू हुआ है. उद्योगों को नियंत्रण मुक्त किया गया और विदेशी व्यापार व निवेश पर से नियंत्रण कम किया गया. साथ ही सरकारी कंपनियों का भी निजीकरण किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन उपायों से भारत को आर्थिक वृद्धि तेज करने में मदद मिली है.
डॉलर एक्सचेंज रेट के हिसाब से नॉमिनल कैश टर्म्स में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार मार्च तिमाही में 854.7 बिलियन डॉलर रहा। इसी आधार पर ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था का साइज 816 अरब डॉलर था। आईएमएफ डेटाबेस और ब्लूमबर्ग टर्मिनल के हिस्टोरिकल एक्सचेंज रेट का इस्तेमाल करते हुए यह कैलकुलेशन किया गया।
कैश के मामले में दूसरी तिमाही में ब्रिटेन की जीडीपी सिर्फ 1 फीसदी बढ़ी है। इसमें महंगाई को एडजस्ट कर दिया जाए तो जीडीपी 0.1 फीसदी सिकुड़ी है। रुपये के मुकाबले पाउंड सटर्लिंग का प्रदर्शन डॉलर की तुलना में कमजोर रहा है। इस साल भारतीय करेंसी की तुलना में पाउंड 8 फीसदी कमजोर रहा है। इसके बाद भारत अब सिर्फ अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी से पीछे रह गया है। एक दशक पहले बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत 11वें पायदान पर था। वहीं, ब्रिटेन 5वें पायदान पर काबिज था।
फिलहाल दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका है जिसके बाद चीन, जापान और जर्मनी की स्थान आता है. भारत की जीडीपी ने बीते 20 साल में 10 गुना बढ़त दर्ज की है.