साइबर हमला करके कंट्रोल करना चाहते हैं भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर दुश्मन देशों की साजिश
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साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में कुल 18 इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर ऐसे हैं जिन पर साइबर अटैक का खतरा सबसे ज्यादा होता है। ये सेक्टर हैं
फूड एंड एग्रीकल्चर, वित्त सेवाएं, बांध, ऊर्जा, आईटी, पोर्टल एंड शिपिंग, बैंक और वित्त, संचार, रक्षा उद्योग का बेस, सरकारी फैसिलिटी, राष्ट्रीय मॉन्यूमेंट, यातायात सिस्टम, रसायन, क्रिटिकल मैन्युफैक्चरिंग, आपात सेवा, स्वास्थ्य क्षेत्र, परमाणु संयंत्र, पानी।
ऊर्जा, ट्रांसपोर्टेशन, पब्लिक सर्विस, संचार और क्रिटिकल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर ज्यादा खतरा होता है।
भारत के नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार देश में साइबर सुरक्षा स्थापित करने के लिए अधिकांश उपकरण और टेक्नोलॉजी दूसरे देशों से लिए गए हैं। इसलिए ये सिस्टम किसी अन्य की तरह ही साइबर खतरों के प्रति संवेदनशील हैं। वहीं ओपेन सिस्टम और इंटरनेट के ज्यादा इस्तेमाल से क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रकचर पर साइबर अटैक का खतरा बढ़ा है।
साइबर पीस फाउंडेशन के सलाहकार के दिया गए एक अनुमान के अनुसार
जिस तरह का साइबर सिक्योरिटी के खतरे को हम देख रहे हैं तो भारत के इंफ्रा पर खतरा रहता है। जैसे भारत की बिजली, हेल्थ केयर, रक्षा और यातायात है। जहां तक तैयारी का सवाल है तो भारत सरकार एक फ्रेम वर्क है, नेशनल क्रिटिकल इंफार्मेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर। यह भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुरक्षित करने के लिए बनाया गया है।
भारत सरकार ने इन संभावित चुनौतियों से निपटने के लिए साइबर सिक्योरिटी प्रोफेशनल को भी आमंत्रित किया है। भारत में इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर भी बनाया गया है। वहीं रैनसमवेयर भी सभी के लिए एक चुनौती है। अमेरिका की एक गैस पाइप लाइन को रैनसमवेयर से अटैक किया गया।