बिना काबलियत इतना लम्बा सफर तय करना नहीं होता संभव, विराट कोहली ने अपने खराब फॉर्म को लेकर तोड़ी चुप्पी
एशिया कप में भारत के शानदार प्रदर्शन के लिए रन मशीन विराट कोहली का फॉर्म में वापस लौटना बेहद जरूरी है. खुद विराट कोहली अपने खराब फॉर्म को लेकर चिंतित हैं. कोहली का मानना है कि अगर उनके पास प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझने की क्षमता नहीं होती तो वह इंटरनैशनल क्रिकेट में इतना लंबा सफर तय नहीं कर पाते.
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और धुरंधर बल्लेबाज विराट कोहली अपने करियर में कभी इतने लंबे समय तक खराब फॉर्म में नहीं रहे. विराट का मानना है कि अगर उनके पास प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझने की क्षमता नहीं होती तो वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इतना लंबा सफर तय नहीं कर पाते. यूएई में होने वाले टी20 एशिया कप से पहले टीम इंडिया के पूर्व कप्तान विराट कोहली ने अपने खराब फॉर्म को लेकर चुप्पी तोड़ी है. भारत अपने अभियान की शुरुआत 28 अगस्त को अपने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले से करेगा. एशिया कप में भारत के शानदार प्रदर्शन के लिए रन मशीन विराट कोहली का फॉर्म में वापस लौटना बेहद जरूरी है. खुद विराट कोहली अपने खराब फॉर्म को लेकर चिंतित हैं. हालांकि उनका मानना है कि वह बहुत जल्द फॉर्म में लौट आयेंगे.
विराट कोहली का मानना है कि अगर उनके पास प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझने की क्षमता नहीं होती तो वह इंटरनैशनल क्रिकेट में इतना लंबा सफर तय नहीं कर पाते कोहली लगभग तीन सालों से किसी भी फॉर्मेट में शतक नहीं लगा पाए हैं लेकिन उन्हें लगता है कि सुधार की बहुत अधिक गुंजाइश नहीं है.
कोहली ने स्टार स्पोर्ट्स के कार्यक्रम गेम प्लान में कहा, मैं जानता हूं कि मेरा खेल किस स्तर पर है और आप विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला और विभिन्न तरह की गेंदबाजी का सामना करने की क्षमता के बिना अंतरराष्ट्रीय करियर इतना लंबा नहीं खींच सकते. इसलिए यह मेरे लिए प्रक्रिया का आसान चरण है लेकिन मैं इसका स्वयं पर दबाव नहीं बनाना चाहता हूं.
इसके बाद उन्होंने 2014 के इंग्लैंड दौरे में आउट होने के तरीकों पर बात की और तकनीकी खामियों में सुधार के बाद 2018 के दौरे में लगभग 600 रन बनाए। कोहली ने कहा, 'इंग्लैंड में मैं एक तरह से ही आउट हो रहा था। वह ऐसा था जिस पर मैं काम कर सकता था और जिससे मुझे बाहर निकलना था. अभी ऐसी कोई बात नहीं है जिसे आप कह सको कि समस्या यहां हो रही है.' कोहली हाल में हर तरीके से आउट हुए. उन्होंने उठती गेंदों, फुल लेंथ, स्विंग, कटर, ऑफ स्पिन, लेग स्पिन और बाएं हाथ से की गई स्पिन गेंदों पर अपने विकेट गंवाए. कोहली को लगता है कि अगर आपका आउट होने का तरीका एक जैसा नहीं है तो अच्छी बात होती है. उन्होंने कहा, ‘इसलिए यह असल में मेरे लिए आसान चीज है. मैं जानता हूं कि मैं अच्छी बल्लेबाजी कर रहा हूं. जब मैं उस लय को वापस महसूस करना शुरू करता हूं, तो मुझे पता है कि अच्छी बल्लेबाजी कर रहा हूं.’
कोहली अब एशिया कप के लिए तैयार हैं और वे जानते हैं कि उन्हें इन उतार-चढ़ाव से भी मुकाबला करना होगा जो कि एक खिलाड़ी के जीवन का हिस्सा होते हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं जानता हूं कि उतार-चढ़ाव आते हैं, और जब मैं इस चरण से बाहर आता हूं, तो मुझे पता होता है कि मैं अपने खेल में कितनी निरंतरता रख सकता हूं. मेरे अनुभव मेरे लिए अमूल्य हैं.’
जानकारी के लिए बता दे कि विराट कोहली का वनडे करियर 18 अगस्त 2008 को श्रीलंका के खिलाफ दांबुला के मैदान से शुरू हुआ था. उस मुकाबले में उन्हें गौतम गंभीर के साथ ओपनिंग की जिम्मेदारी दी गई थी. विराट ने तब सिर्फ 12 रन बनाकर आउट हुए थे और भारत को उस मैच में 8 विकेट से हार भी मिली थी. लेकिन 12 रन से शुरू हुआ वनडे क्रिकेट में उनके रनों का सफर आज 12000 के आंकड़े को पार कर चुका है.दांबुला में जब पहली बार बल्ला लिए विराट वनडे में दम दिखाने उतरे थे तो तब शायद कम ही लोगों को उनकी काबिलियत का अंदाजा रहा होगा. वनडे डेब्यू पर विराट ने कुछ ऐसा खास किया भी नहीं था, जिससे हिंदुस्तान के क्रिकेट प्रेमियों के बीच उन्हें लेकर सरगर्मी बढ़ती दिखे. लेकिन मैच दर मैच, साल दर साल बीतते गए और फिर भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया ने जान, मान और पहचान लिया कि दिल्ली वाले इस बल्लेबाज में दम बहुत है.
अब दम है तो दिखेगा भी. और, ये चीज विराट कोहली के 14 साल के वनडे सफर में भी देखने को मिली. फिर चाहे बात उनके क्रिकेट के इस फॉर्मेट में बल्लेबाजी औसत की हो, शतकों की या फिर उनके बल्ले से निकले रनों की. कोहली हर मामले में दुनिया भर के बल्लेबाजों को मुकाबले विराट ही दिखे. खासकर जो उनके समकक्ष रहे.