Jaya Parvati Vrat 2023: अविवाहित कन्याएं करें जया पार्वती व्रत, मिलेगा मनचाहा वर, 5 दिन तक चलने वाले इस व्रत का महत्व
अविवाहित युवतियां योग्य वर की कामना के साथ यह व्रत रखती हैं और सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए जया पार्वती व्रत रखती हैं. इस व्रत को करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है. पांच दिनों तक चलने वाला ये व्रत बहुत ही कठिन होता है.
जया पार्वती व्रत आषाढ़ मास में पांच दिनों तक मनाया जाता है। यह व्रत शुक्ल पक्ष त्रयोदशी से आरम्भ होता है तथा पांच दिनों के बाद कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर समाप्त होता है। इस साल यह व्रत शनिवार, 1 जुलाई को पड़ रहा है।
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए जया पार्वती व्रत किया जाता है. मान्यताओं के अनुसार ये व्रत 5 दिन तक चलता है.
जया पार्वती व्रत देवी जया को समर्पित है। देवी जया देवी पार्वती के विभिन्न रूपों में से एक हैं। जया पार्वती व्रत मुख्य रूप से गुजरात में मनाया जाता है। अविवाहित कन्याएं यह व्रत सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए करती हैं। वहीं विवाहित महिलाएं इस व्रत को अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं।
धार्मिक मान्यता है कि जया पार्वती व्रत में शिव जी के प्रताप से स्त्रियों को संतान प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है. इसके साथ ही माता पार्वती के आशीर्वाद से अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद भी मिलता है. आइए जानते हैं इस साल जया पार्वती व्रत की डेट, मुहूर्त और महत्व-
साल 2023 में जया पार्वती व्रत 1 जुलाई 2023 को रखा जाएगा, इस दिन शनि प्रदोष व्रत का संयोग भी बन रहा है. ऐसे में व्रती को शिव पूजा का दोगुना फल प्राप्त होगा. जयापार्वती व्रत आषाढ़ मास में पांच दिनों तक मनाया जाता है. यह व्रत शुक्ल पक्ष त्रयोदशी से आरम्भ होता है और सावन माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर समाप्त होता है.
जया पार्वती व्रत 2023 मुहूर्त
(Jaya Parvati Vrat 2023 Muhurat)
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 1 जुलाई दिन शनिवार को प्रात: 01 बजकर 16 मिनट से शुरू हो रही है. वहीं इसका समापन 1 जुलाई को रात 11 बजकर 07 मिनट पर होगा.
जया पार्वती व्रत शुरू - 1 जुलाई 2023
जया पार्वती व्रत समाप्त - 6 जुलाई 2023
जया पार्वती व्रत पूजा समय - रात 07.23 - रात 09.24 ( 1 जुलाई 2023)
बता दे कि धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, अविवाहित युवतियां योग्य वर की कामना के साथ यह व्रत रखती हैं और सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए जया पार्वती व्रत रखती हैं. इस व्रत को करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है. पांच दिनों तक चलने वाला ये व्रत बहुत ही कठिन होता है. इसके अलावा इस व्रत को 5, 7, 9, 11 या 20 सालों तक लगातार रखा जाता है.
जया पार्वती व्रत महत्व
(Jaya Parvati Vrat Significance)
देवी जया, देवी पार्वती के विभिन्न रूपों में से एक हैं. जयापार्वती व्रत मुख्य रूप से गुजरात में मनाया जाता है. सुयोग्य वर की कामना से कुंवारी स्त्रियां भी इस व्रत को करती है. वहीं इस व्रत के परिणाम स्वरूप विवाहित स्त्रियों को पति की दीर्घायु एवं सुखी वैवाहिक जीवन का वरदान मिलता है.
जया पार्वती व्रत पूजा की विधि
(Jaya Parvati Vrat Puja Vidhi)
जया पार्वती व्रत विधि-
इस व्रत में नमकीन भोजन ग्रहण करने से बचना चाहिए। इन पांच दिनों की अवधि के दौरान नमक का प्रयोग पूर्ण रूप से वर्जित माना गया है। कुछ लोग इन पांच दिनों की उपवास अवधि के दौरान अनाज तथा सभी प्रकार की सब्जियों के उपयोग से भी बचते हैं।
उपवास के पहले दिन एक छोटे पात्र में ज्वार या गेहूं के दानों को बोया जाता है और इसे पूजन स्थान पर रखा जाता है। पांच दिन तक इस पात्र की पूजा की जाती है। पूजा के समय, सूती ऊन से बने एक हार को कुमकुम अथवा सिन्दूर से सजाया जाता है।
सूती ऊन से बने इस हार को नगला के नाम से जाना जाता है। यह अनुष्ठान पाँच दिनों तक निरन्तर चलता है तथा प्रत्येक सुबह ज्वार/गेहूँ के दानों को जल अर्पित किया जाता।
गौरी तृतीया पूजा के एक दिन पहले, यानी व्रत के अन्तिम दिन, जब प्रातःकाल की पूजा के बाद उपवास तोड़ा जाता है, उस रात स्त्रियां जागरण करती हैं व पूरी रात भजन-कीर्तन करते हुए माँ की आराधना करती हैं।
अगले दिन, प्रातःकाल गेहूँ अथवा ज्वार की बढ़ी हुई घास को पात्र से निकालकर पवित्र जल अथवा नदी में प्रवाहित किया जाता है। प्रातःकाल की पूजा के पश्चात, नमक, सब्जियों तथा गेहूँ से बनी रोटियों के भोजन से उपवास तोड़ा जाता है।
जया पार्वती व्रत के नियम
(Jaya Parvati Vrat Niyam)
जया पार्वती व्रत के 5 दिनों की उपवास अवधि के दौरान नमक का प्रयोग पूर्ण रूप से वर्जित है. मान्यता अनुसार कुछ लोग पांच दिनों की उपवास अवधि के दौरान अनाज तथा सभी प्रकार की सब्जियों के उपयोग से भी बचते हैं. जयापार्वती व्रत को पांच, सात, नौ, ग्यारह तथा अधिकतम बीस वर्षों तक करने का विधान है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. न्यूज़ असर इसकी पुष्टि नहीं करता है.)