Kanhaiya Lal Murder Case Update-उदयपुर के हैवानो पर लगा UAPA, जानिए क्या-क्या कार्रवाई कर सकती है NIA

राजस्थान पुलिस की एफआईआर से बड़ा खुलासा हुआ है. हमले से पहले इन दो युवकों ने कहा कि, तुमने हमारे नबी के खिलाफ लिखा इसलिए तुम्हें जीने का कोई अधिकार नहीं. एजेंसी ने दोनों आरोपियों मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (UAPA) के तहत केस दर्ज कर लिया है. इस मर्डर की एजेंसी आंतकवादी संगठन के एंगल से भी जांच कर रही है.

Kanhaiya Lal Murder Case Update-उदयपुर के हैवानो पर लगा UAPA, जानिए क्या-क्या कार्रवाई कर सकती है NIA

उदयपुर के टेलर कन्हैया लाल साहू की मर्डर केस की जांच की कमान राष्ट्रीय जांच एजेंसी संभाल रही है.  एजेंसी ने दोनों आरोपियों मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस  के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (UAPA) के तहत केस दर्ज कर लिया है. इस मर्डर की एजेंसी आंतकवादी संगठन के एंगल से भी जांच कर रही है.  

उदयपुर में कन्हैया लाल की बेरहमी से दिनदहाड़े दो मुस्लिम युवकों ने हत्या कर दी. इस मामले में राजस्थान पुलिस की एफआईआर से बड़ा खुलासा हुआ है. हमले से पहले इन दो युवकों ने कहा कि, तुमने हमारे नबी के खिलाफ लिखा इसलिए तुम्हें जीने का कोई अधिकार नहीं.

जानिए यूएपीए के तहत आरोपियों पर क्या-क्या कार्रवाई कर सकती है-

यूएपीए के अधिनियम के 1967 के संस्करण में भारत की संप्रभुता और अखंडता को क्षीण करने वाली गतिविधियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार को कुछ शक्तियां प्रदान की है. साल 2004 के बाद इस अधिनियम में अंतिम संशोधन 2019 में किया गया था. इसके तहत न केवल कुछ समूहों को एक आतंकवादी संगठन के रूप में शामिल करने का फैसला लिया गया था, बल्कि कुछ व्यक्तियों को भी आतंकवादी के रूप में इसमें सम्मिलित करने का फैसला किया गया था. यूएपीए के सेक्शन 2(o) के तहत देश की क्षेत्रीय अखंडता पर सवाल करने को भी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल किया गया है. 

UAPA के तहत केस दर्ज होने पर आरोपी को अग्रिम जमानत भी नहीं मिलती. पुलिस के छोड़ देने पर भी यूएपीए के आरोपी को अग्रिम जमानत नसीब नहीं होती. इस कानून के सेक्शन 43D (5) के तहत प्रथम दृष्टि में आरोपी व्यक्ति पर केस बनने की सूरत में अदालत भी इस कानून के दायरे में आए व्यक्ति को जमानत नहीं दे सकता है. इस अधिनियम के सेक्शन 43 D (2) में आरोपी की पुलिस कस्टडी को बढ़ाने का प्रावधान है. इसके तहत पुलिस को 30 दिन की कस्टडी मिल सकती है तो न्यायायिक हिरासत 90 तक ली जा सकती है. गौरतलब है कि अन्य कानूनों में केवल 60 दिन की कस्टडी का ही प्रावधान है. इस अधिनियम की धारा16a के तहत यदि आतंकी गतिविधि के दौरान किसी भी वजह से कोई मौत हो जाए तो उसमें अधिकतम सजा फांसी या आजीवन कारावास होगी.

इस बर्बर हत्या के बाद दोनों हत्यारों ने तीन वीडियो पोस्ट किए और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को भी धमकी दी. अधिकारियों ने कहा कि एनआईए की टीमें पहले ही उदयपुर पहुंच चुकी हैं और मामले की त्वरित जांच के लिए आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी गई है. एफआईआर मृतक कन्हैया लाल के 20 वर्षी बेटे ने दर्ज कराई है. इसमें कहा गया कि, इन दो हत्यारों ने देश के लोगों और जनता के एक बड़े हिस्से में आतंक और दहशत फैलाने के लिए एक गिरोह के रूप में काम किया है. अपराध की योजना बनाकर मेरे पिता को मार डाला और दूसरों को धमकी दी.