आज होगा कंस वध मेला जानिए क्या है परंपरा
मथुरा में गोपाष्टमी और अक्षय नवमी के बाद अब शनिवार को कंस वध मेला का आयोजन होगा। इसकी तैयारियां शहर में चतुर्वेदी समाज द्वारा कर ली गई हैं। माथुर चतुर्वेदी परिषद इस आयोजन को भव्य बनाने में जुटा है।
भगवान कृष्ण के द्वारा किये गए कंस वध के उपलक्ष्य में मथुरा में आयोजित होने वाले मेला की परंपरा बहुत प्राचीन है। इस परंपरा को उत्सव के रूप में शहर का चतुर्वेदी समाज सैकड़ो वर्षो से मनाते आ रहा है। इस साल; धार्मिक परंपरा एक बार फिर शनिवार १३ नवंबर को मथुरा शहर में निभाई जाएगी, जिसका उत्साह और उल्लास चतुर्वेदी समाज में घर-घर देखने को मिलता है ।
कहते है चतुर्वेदी समाज का दावा है कि जिस वक्त कृष्ण और बलराम कंस को मारने गए थे तो उस समय चतुर्वेदी समाज के पहलवानों ने साथ दिया था।
कंस मेला के लिए चतुर्वेदी समाज के लोग देश-विदेश से मथुरा में डेरा डाल चुके हैं। कोई मुंबई और बड़ौदा से आया है तो कोई दुबई से आकर इस आयोजन की प्रतीक्षा में है।
मथुरा में गोपाष्टमी और अक्षय नवमी के बाद अब शनिवार को कंस वध मेला का आयोजन होगा। इसकी तैयारियां शहर में चतुर्वेदी समाज द्वारा कर ली गई हैं। माथुर चतुर्वेदी परिषद इस आयोजन को भव्य बनाने में जुटा है।
माथुर चतुर्वेदी परिषद ने सुविधा के लिए की गयी व्यवस्थाओं की दृष्टि से मेला क्षेत्र को चार सेक्टरों में विभाजित किया है। लोगों ने मेला के लिए अपने लट्ठ तैयार कर लिए हैं, जिनके साथ स्थानीय और दूर दराज से आये लोग इस मेले में शामिल होंगे।
कंस मेला को लेकर श्री माथुर चतुर्वेद परिषद के मुख्य संरक्षक एवं अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मेला के दौरान किसी भी व्यक्ति या समाज को कोई परेशानी न हो इसी के दृष्टिगत मेला क्षेत्र को 4 सेक्टरों में बांटा है। और भव्य सुरक्षित आयोजन का भरोसा दिया है।
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