कार्तिक पूर्णिमा देव दीपावली तुलसी पूजन सेवा जल देने का मन्त्र सावधानियाँ आध्यात्मिक औषद्यी लाभ कार्तिक का महत्व
कार्तिक माह कृषि संस्कृति व ऋषि संस्कृति का संगम है. श्रद्धालु इस महीने तुलसी वृक्ष में मां लक्ष्मी की स्थिति मानकर उसकी पूरा माह तक विशेष आराधना करते हैं. जानिए कैसे करे तुलसी जी की सेवा तुलसी से होने वाले लाभ तुलसी दल का प्रभाव तुलसी दल तोड़ने से पहले क्या सावधानिया बरतनी चाहिए तुलसी को जल देने का मन्त्र Tulsi-mantra, Tulsi-Pooja-vidhi, Tulsi-pujan-mantra, tulsi-pooja, mantra-for-tulsi, tulsi-pooja-vidhi, tulsi-puja-niyam, tulsi-vivah, tulsi-poojan, आंवला-नवमी, अक्षय-नवमी, देवएकादशी, देवउठानी-एकादशी, बैकुंठ-चतुर्दशी, देव-दीपावली, कार्तिक-पूर्णिमा,
हिंदू धर्म में देव पूजा और श्राद्ध कर्म में तुलसी पत्र रखना आवश्यक मानी गई है । शास्त्रों में तुलसी को माता गायत्री का स्वरूप तथा लक्ष्मी का स्वरूप भी माना गया है ! आस्था की पराकाष्ठा तो यहां तक है कि मृत्यु के समय जीवात्मा को गंगाजल के साथ यदि तुलसी दल का सेवन नहीं करवाया जाएगा तब तक उसकी सद्गति नहीं होगी ।
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जहां तुलसी का प्रतिदिन दर्शन करना पाप नाशक समझा जाता है वही तुलसी पूजन करना मोक्ष दायक माना जाता है
जानिए कैसे करे तुलसी जी की सेवा तुलसी से होने वाले लाभ तुलसी दल का प्रभाव तुलसी दल तोड़ने से पहले क्या सावधानिया बरतनी चाहिए
तुलसी को जल देने का मन्त्र =
महाप्रसाद जननी , सर्व सौभाग्य वर्धिनी ।
आधि व्याधि हरा नित्यम , तुलसी त्वम नमोस्तुते ।।
तुलसी जी का पूजन,दर्शन,सेवन, रोपण ,सिंचन त्रय ताप नाशक और सुख समृद्धि दायक होता है। तुलसी पूजन से बुध्दिबल,मनोबल आत्म बल,आरोग्य बल और चारित्र्य बल बढ़ता है ! तुलसी पूजन से मानसिक अवसाद व हत्या की प्रवृत्ति से बचाव होता है !तुलसी जी को छू कर आने वाली वायु शरीर और मन के विभिन्न रोगों को दूर करती है !तुलसी का स्पर्श मात्र शरीर को पवित्र बनाता है !
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*तुलसी नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती है !जिस घर में तुलसी होती है वहां जलोदर भगंदर जैसे रोग नहीं पनपते !तुलसी जिस घर में होती है कैंसर जैसे रोग समूल नष्ट हो जाते हैं ! तुलसी की माला गले में धारण करने से शरीर में अग्नि तत्व अर्थात विद्युत तत्व अर्थात रोगरोधक तत्वों का संचार भली भांति होता है, जिसके कारण ट्यूमर जैसा रोग नहीं पनपता, कफ जन्य रोग ,दमा टी.वी. जैसे रोग भी नहीं पनपते! जीवन में ओज़ और तेज बना रहता है । रोगप्रतिकारक शक्ति सुदृढ़ बनी रहती है।
हिंदू धर्म में कार्तिक मास की अमावस्या का जितना महत्व माना गया है उतना ही महत्व कार्तिक मास की पूर्णिमा का भी माना जाता है, जिसे कार्तिक पूर्णिमा, त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है यह पवित्र माह कृषि संस्कृति व ऋषि संस्कृति का संगम है ! इस माह, पर्व की मान्यता अनुसार प्रकृति का पूजन व सामाजिक एकता के त्योहार मनाए जाते हैं जिसमें करवा चौथ, अहोई अष्टमी, रमा एकादशी,गोवत्स द्वादशी ,धनतेरस ,रूप चतुर्दशी , दीपावली ,गोवर्धन पूजा ,भैया दूज , सौभाग्य पंचमी , छठ पर्व ,सूर्य पूजन , गोपाष्टमी, आंवला नवमी अक्षय नवमी, देव एकादशी देव उठानी एकादशी, बैकुंठ चतुर्दशी, देव दीपावली ,कार्तिक पूर्णिमा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है ।
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विशेष साधना से जुड़े श्रद्धालु इस महीने तुलसी वृक्ष में मां लक्ष्मी की स्थिति मानकर उसकी पूरा माह तक विशेष आराधना करते हैं तथा तुलसी वृक्ष का विवाह आयोजन इसी देव उठानी एकादशी को नारायण के साथ संपन्न करके अक्षय पुण्य लाभ लेते हैं ।तुलसी कल्प तरू श्री हरिप्रिया है । जहां तुलसी का प्रतिदिन दर्शन करना पाप नाशक समझा जाता है वही तुलसी पूजन करना मोक्ष दायक माना जाता है ।
तुलसी दल पत्ती के प्रभाव
तुलसी की पत्ती सेवन करने से औषधियों के विष प्रभाव से यकृत की रक्षा करती है ।तुलसी सेवन करने से पेट का अल्सर मिट जाता है ।तुलसी सेवन से रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ती है !तुलसी जीवाणु ,विषाणु और फफूंद को नष्ट करता है ! रविवार व एकादशी को छोड़कर नित्य सुबह तुलसी में जल चढ़ाना चाहिए
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घर में तुलसी ग्रहण करने का निषेध काल...
तुलसी पत्ता तोड़ने से पहले तुलसी का वंदन करें !तुलसी जी को नाखूनों से कभी नहीं तोड़ना चाहिए नाखूनों से तोड़ने पर पाप लगता है ।सायंकाल के बाद तुलसी जी को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए। एकादशी ,संक्रांति द्वादशी, अमावस्या ,पूर्णिमा और रविवार को तुलसी दल नहीं तोड़ना चाहिए ! अनावश्यक तुलसी दल तोड़ना तो उसे नष्ट करने के समान ही माना गया है !
आइये हम सब इस पवित्र कार्तिक मास में हर घर तुलसी का संकल्प ले और संकल्प ले यथाशक्ति अन्य पेड़ पौधों को रोपित कर प्रकृति संरक्षण का आखिर इसी लिए तो सनातन परम्परा में तीज त्योहारों का महत्व बताया गया है
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