जानिए भाई दूज आज या कल? जानें सही तारीख, भाई को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
र साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाला भाईदूज का यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम को दर्शाता है। प्राचीन काल से ही भाई-दूज की यह परंपरा चलती आ रही है। आइये जानते है इस साल 2022 में भाई दूज कब मनाया जाएगा और इस पर्व का महत्व क्या है
सनातन हिंदू पंचाग के अनुसार भाई दूज का त्योहार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इसका दूसरा नाम यम द्वितीया या भ्रातृ द्वितीया भी है। दीपावली के दो दिन बाद भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस पर्व के साथ ही 5 दिन के दीपोत्सव का समापन हो जाता है। इस साल कई लोग भाई दूज की तारीख को लेकर असमंजस की स्तिथि हैं। कुछ लोग इसे 26 अक्टूबर को या तो कुछ लोग 27 अक्टूबर को मना रहे हैं।
दीपावली पर्व का पांचवां दिन भाई-बहनों को समर्पित है, ऐसे में इस दिन भाईदूज मनाया जाता है। यह त्यौहार 5 दिवसीय दीपावली पर्व के गोवर्धन पूजा के अगले दिन यानि कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। भाईदूज का यह पर्व हिन्दू धर्म में काफी महत्व रखता है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक करती हैं और बहनें व्रत, पूजा और कथा आदि करके भाई की लंबी आयु, स्वास्थ्य और सुख समृद्धि आदि के लिए भगवान से प्रार्थना करती है। साथ ही भाई अपनी बहन को सारी उम्र उसकी रक्षा करने का वचन देता है। साथ ही इस दिन बहनें भाईयों को सूखा नारियल देती हैं और उनकी सुख-समृद्धि व खुशहाली की कामना करती हैं। वहीं भाई उनकी रक्षा का संकल्प लेते हुए तोहफा देता है।
हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाला भाईदूज का यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम को दर्शाता है। प्राचीन काल से ही भाई-दूज की यह परंपरा चलती आ रही है। आइये जानते है इस साल 2022 में भाई दूज कब मनाया जाएगा और इस पर्व का महत्व क्या है-
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया की दो संताने थीं, यमराज और यमुना। दोनों में बहुत प्रेम था. बहन यमुना हमेशा चाहती थीं कि यमराज उनके घर भोजन करने आया करें। लेकिन यमराज उनकी विनती को टाल देते थे। एक बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर दोपहर में यमराज उनके घर पहुंचे। यमुना अपने घर के दरवाजे पर भाई को देखकर बहुत खुश हुईं. इसके बाद यमुना ने मन से भाई यमराज को भोजन करवाया। बहन का स्नेह देखकर यमदेव ने उनसे वरदान मांगने को कहा।
इसपर उन्होंने यमराज से वचन मांगा कि वो हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भोजन करने आएं। साथ ही मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई का आदर-सत्कार के साथ टीका करें, उनमें यमराज का भय न हो। तब यमराज ने बहन को यह वरदान देते हुआ कहा कि आगे से ऐसा ही होगा. तब से यही परंपरा चली आ रही है। इसलिए भैयादूज वाले दिन यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है।
भाई दूज के साथ दिवाली के पर्व का समापन हो जाता है। इस बार भाई दूज 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा। 27 अक्टूबर को भाई दूज के साथ दिवाली पर्व का समापन होगा। द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर को दोपहर 02:43 मिनट से शुरू होकर 27 अक्टूबर को दोपहर 12:45 मिनट तक रहेगी। इस दिन आप राहुकाल को छोड़कर कभी भी भाई को टीका कर सकती हैं। राहुकाल का समय दोपहर 01:30 से दोपहर 3:00 बजे तक होगा।
26 अक्टूबर - भाई दूज का टीका करने का शुभ मुहूर्त
दोपहर 1 बजकर 12 मिनट से लेकर 3 बजकर 27 मिनट तक
27 अक्टूबर - भाई दूज का टीका करने का शुभ मुहूर्त
दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक
व्रत रखने वाली बहनें पहले सूर्य को अर्घ्य देकर अपना व्रत शुरू करें। इसके बाद आटे का चौक तैयार कर लें। शुभ मुहूर्त आने पर भाई को चौक पर बिठाएं और उसके हाथों की पूजा करें। सबसे पहले भाई की हथेली में सिंदूर और चावल का लेप लगाएं फिर उममें पान, सुपारी और फूल इत्यादि रखें। उसके बाद हाथ पर कलावा बांधकर जल डालते हुए भाई की लंबी उम्र के लिए मंत्रजाप करें और भाई की आरती उतारे। इसके बाद भाई का मुंह मीठा कराएं और खुद भी करें।