जानिए कैसे करे कलर थेरेपी और Acupressure से Dengue का इलाज , प्लेटलेट्स बहुत तेज़ी से बढ़ती है
डेंगू फीवर संक्रमित मच्छर के काटने से यह बीमारी होती है. कुछ दिन में ही इसके लक्षण भी दिखने लगते हैं. अगर डेंगू का सही से इलाज ना कराया जाए तो ये जानलेवा भी हो सकता है.
देश में डेंगू के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे लोगों की टेंशन बढ़ा दी है. डेंगू और वायरल फीवर के लक्षण एक जैसे होते हैं, जिससे लोग इनमें अंतर नहीं समझ पाते है. ऐसी स्थिति में मरीज की हालत खराब हो जाती है. अगर सही समय पर डेंगू (Dengue) के मरीजों का लक्षण न पहचाना जाए तो उसे समय पर इलाज नहीं मिल पाएगा और यह जानलेवा हो सकता है. अब सवाल यह है कि जब इन दोनों ही बुखार (Viral Fever) के लक्षण एक सामान होते हैं तो फिर डेंगू और वायरल फीवर की पहचान कैसे करें. आइए जानते हैं..
Dengue और Viral Fever होने का कारण-
वायरल फीवर वायरस के इंफेक्शन से होता है. इससे आपको सर्दी, जुकाम और बुखार हो जाता है. मौसम में बदलाव से कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं. हालांकि पर 5 से 7 दिन में वायरल फीवर अपने आप ठीक भी हो जाता है. डेंगू फीवर संक्रमित मच्छर के काटने से यह बीमारी होती है. कुछ दिन में ही इसके लक्षण भी दिखने लगते हैं. अगर डेंगू का सही से इलाज ना कराया जाए तो ये जानलेवा भी हो सकता है. लिवर पर इसका असर देखने को मिलने लगता है.
Dengue और Viral Fever में अंतर-
1. डेंगू में बहुत तेज बुखार होता है. इसे ब्रेक बोन फीवर कहते हैं. जबकि वायरल फीवर में तेज बुखार नहीं आता है.
2. डेंगू होने पर मरीजों की स्किन पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं, जबकि वायरल फीवर में ऐसा नहीं होता है.
3. डेंगू में प्लेटलेट काउंट तेजी से गिरता है, जबकि वायरल फीवर में प्लेटलेट काउंट पर कोई असर नहीं पड़ता है.
4. डेंगू होने पर कई लोगों में ब्लड प्रेशर लो होने की समस्या भी देखी गई है, जबकि वायरल फीवर में ऐसा नहीं होता है.
5. डेंगू की वजह से उल्टी और पेट दर्द और लिवर पर भी असर होता है, जबकि वायरल फीवर में ऐसी कोई समस्या नहीं होती है.
दोनों का क्या है इलाज?
डेंगू के दौरान खान-पान-
डेंगू में खान-पान और जीवनशैली ऐसी होना चाहिएः-
•अधिक से अधिक पानी पिएँ।
•डेंगू होने पर तेज बुखार रहता है, साथ ही पेट की समस्या भी हो जाती है। ऐसे में हल्का एवं सुपाच्य आहार ही लेना चाहिए।
•डेंगू में मरीज का मुंह और गला सूख जाता है। इसलिए रोगी को ताजा सूप, जूस और नारियल पानी का सेवन करना चाहिए।
•नींबू पानी बनाकर पिएँ। नींबू का रस शरीर से गंदगी को पेशाब के द्वारा निकाल कर शरीर को स्वस्थ बनाता है।
• अदरक और इलायची डालकर चाय का सेवन करने से बुखार में आराम मिलता है।
•दलिया का सेवन करें। इसमें मौजूद उच्च फाइबर और पोषक तत्व रोगों से लड़ने के लिए पर्याप्त शक्ति देते हैं।
•डेंगू के रोगी को प्रोटीन की बहुत आवश्यकता होती है। इसलिए रोगी को दूध और डेयरी उत्पाद का सेवन जरूर करना चाहिए।
डेंगू के दौरान जीवनशैली (Your Lifestyle in Dengue Disease)
•शारीरिक मेहनत से बचे
•जितना हो सके आराम करें।
•गर्म कपड़े पहनें।
डेंगू के दौरान परहेज
•डेंगू होने पर पेट की समस्या हो जाती है। इसलिए तेलयुक्त और मसालेदार भोजन का सेवन बिल्कुल ना करें।
डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स कम क्यों होती है?
डेंगू होने पर व्यक्ति को बुखार आना सबसे आम लक्षण माना जाता है। लेकिन इस दौरान कई लोगों में प्लेटलेट्स की संख्या भी तेजी से गिरने लगते हैं। जब डेंगू में प्लेटलेट्स और रेड ब्लड सेल्स की संख्या कम होती है, तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर पड़ जाती है। डेंगू में प्लेटलेट्स गिरने के कारण-
•डेंगू बोन मैरो को दबा देता है। बोन मैरो प्लेटलेट्स बनाने वाला एरिया है। जब यह दब जाता है, तो इस स्थिति में प्लेटलेट्स की संख्या गिरने लगते हैं।
•इसके अलावा डेंगू वायरस से प्रभावित रक्त कोशिकाएं प्लेटलेट्स को नुकसान पहुंचाती हैं। इससे भी शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम होने लगती है।
•डेंगू के दौरान बॉडी में एंटीबॉडी बनती है। एंटीबॉडी से डेंगू में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो सकती है।
डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स कब कम होते हैं?
आमतौर पर डेंगू बुखार के चौथे दिन प्लेटलेट्स गिर सकते हैं, यह स्थिति गंभीर हो सकती है। कुछ वयस्कों में डेंगू होने पर प्लेटलेट्स तीसरे से सातवें दिन गिर सकते हैं। लेकिन कम संख्या में ही प्लेटलेट्स गिरते हैं। इसके बाद आठवें और नौवें दिन प्लेटलेट्स सामान्य हो जाते हैं।
डेंगू बुखार में प्लेटलेट काउंट कैसे बढ़ाएं?
डेंगू में प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए आपको अपनी डाइट का खास ख्याल रखना चाहिए। हेल्दी डाइट एंटीबॉडी से लड़ते हैं और प्लेटलेट काउंट भी बढ़ाते हैं।