कश्मीर फाइल्स की तरह राममंदिर के लिए हुए संघर्ष पर बनेगी फिल्म, बोली साध्वी ऋतंभरा
साध्वी ऋतंभरा हिंदू नववर्ष पर उदयपुर में आयोजित होने वाली शोभायात्रा और सभा को संबोधित करने के लिए पहुंची थीं. साध्वी ऋतंभरा ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि राम मंदिर का निर्माण होता देख रहे हैं. 500 साल तक चले आंदोलन का सुखद अंत हुआ। साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि द कश्मीर फाइल्स की तरह राम मंदिर आंदोलन पर भी एक फिल्म बननी चाहिए जिससे लोगों को इस आंदोलन की भी सच्चाई पता चल पाए। उन्होंने कहा कि देश सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। राज्य अपना काम कर रहा है।
साध्वी ऋतंभरा हिंदू नववर्ष पर उदयपुर में आयोजित होने वाली शोभायात्रा और सभा को संबोधित करने के लिए पहुंची थीं. साध्वी ऋतंभरा ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि राम के मंदिर के लिए संघर्ष कोई कम नहीं था. इस पर भी फिल्म बनेगी तो लोगों को पता चलेगा कि मंदिर के लिए कैसे संघर्ष किया गया. ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर ऋतंभरा ने कहाकि इस फिल्म में जो दिखाया गया है वो जख्म 32 साल बाद भी नहीं भरे हैं। पड़ोसियों ने ही उन्हें बेघर किया है। महिलाओं के साथ बलात्कार हुए। जिन लोगों ने कश्मीर की ठंडी वादियों में जीवन जिया है, वे जम्मू में गर्मी में तप रहे हैं। वो टेंटों में बिच्छुओं के दंश झेल रहे हैं। जिन लोगों ने इस त्रासदी को झेला है, वो अपना दर्द बयां करते हुए रो पड़ते हैं। उनकी आंखों से आंसू नहीं रक्त टपकता है।
उन्होंने कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि राम मंदिर का निर्माण होता देख रहे हैं. 500 साल तक चले आंदोलन का सुखद अंत हुआ। साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि द कश्मीर फाइल्स की तरह राम मंदिर आंदोलन पर भी एक फिल्म बननी चाहिए जिससे लोगों को इस आंदोलन की भी सच्चाई पता चल पाए। उन्होंने कहा कि देश सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। राज्य अपना काम कर रहा है।
यह पूछने पर कि राम मंदिर आंदोलन से वह कैसे जुड़ीं, उन्होंने कहा, “विदेशी आक्रांताओं ने हमारी संस्कृति को जो नष्ट करने का जो प्रयास किया वही सोचकर तरुणाई उबल पड़ी थी और मैं भी आंदोलन से जुड़ गई। हालांकि इस आंदोलन में मेरी भूमिका नन्ही गिलहरी जैसी ही रही। लेकिन, आंदोलन के लिए मन से समर्पित थी। रामजी अयोध्या ले गए। सरयू के जल से संकल्प लिया। युवापन राम जन्मभूमि और हिंदू संस्कृति के लिए था। सब रामजी ने कराया। अशोक सिंहल का तेजस्वी नेतृत्व मिला।” एक सवाल के जवाब में साध्वी ने कहा, “राम मंदिर आंदोलन जब चरम पर था, तो तमाम दिक्कतें भी आईं। कई बार जंगलों, गुफाओं और भिखारियों के बीच समय बिताया था। लोग अपने घरों में रोकने से कतराते थे। भूमिगत होने के भारी कष्ट हमने झेला है। लेकिन मंदिर निर्माण की उपलब्धि के सामने हम सारे दर्द भूल गए हैं।” उस समय को याद करते हुए सध्वी ने बताया, “उस दौरान चोरी-छिपे मेरे भाषण रिकॉर्ड होते थे। जो गाड़ी कैसेट लेकर जाती थी, भीड़ लग जाती। कैसेट खत्म होते तो लोग नाराज होने लगते थे। उस समय लोगों में इस तरह का जोश था। राम मंदिर आंदोलन किसी संस्थान या संगठन का नहीं, बल्कि जनांदोलन बन गया था।"