लखनऊ में डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर ऐंठे 48 लाख, मुंबई क्राइम ब्रांच का अफसर बनाकर डेढ़ दिन तक बंधक बनाया

साइबर जालसाजों ने अलीगंज निवासी एक डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर उनसे 48 लाख रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवा लिए।

लखनऊ में डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर ऐंठे 48 लाख, मुंबई क्राइम ब्रांच का अफसर बनाकर डेढ़ दिन तक बंधक बनाया

साइबर जालसाजों ने अलीगंज निवासी एक डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर उनसे 48 लाख रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवा लिए। ठगों ने उन्हें मुंबई क्राइम ब्रांच का अफसर बनकर जाल में फंसाया। सीबीआई, ईडी की जांच का खौफ दिखाकर जेल भेजने की धमकी देकर उनसे रकम ऐंठ ली। ठगी की जानकारी होने पर उन्होंने साइबर क्राइम थाने में एफआईआर दर्ज करवाई है। इसके अलावा जालसाजों ने तीन अन्य लोगों को भी निशाना बनाया है।

अलीगंज में रहने वाले फिजिशियन डॉ.अशोक सोलंकी की विकासनगर में क्लिनिक है। साइबर क्राइम थाने को दी तहरीर में उन्होंने बताया है कि 20 अगस्त की शाम करीब साढ़े छह बजे वह क्लिनिक से घर जा रहे थे, तभी एक शख्स का कॉल आया। उसने अंधेरी ईस्ट मुंबई स्थित फेडेक्स कुरियर सर्विस का खुद को कर्मचारी बताया। उसने बताया कि कोरियर से आपके मोबाइल नंबर से ईरान में रहने वाले अरमान अली के नाम एक पार्सल भेजा गया है। उसमें जाली पासपोर्ट, लैपटॉप, पेन ड्राइव और मादक पदार्थ है। आपके खिलाफ क्राइम ब्रांच मुंबई में एफआईआर दर्ज है। करीब 45 मिनट तक बात करने के बाद उसने उन्हें स्काइप ऐप से जोड़ लिया।

डीसी मुंबई बनकर बात की
उसके बाद बात करने वाले शख्स ने डीसी मुंबई बनकर बात की। बताया कि आपके अकाउंट से करोड़ों का लेनदेन हुआ है। सीबीआई और ईडी उसकी जांच कर रही है। आपके खाते में जो भी रकम है, उसे बताए गए खातों में ट्रांसफर करिए। आरबीआई जांच करेगी, उसके बाद रकम आपके खाते में वापस भेज दिया जाएगा। इससे गुनाहगारों को पकड़ने में मदद मिलेगी। वह उनकी बातों में आ गए और 21 अगस्त को उनके बताए खातों में दो बार में 48 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। उसके बाद न तो रकम वापस हुई और न ही कॉल करने वाले नजर आए। तब उन्हें ठगी का अहसास हुआ और उन्होंने साइबर क्राइम थाने में एफआईआर दर्ज करवाई। डॉ.सोलंकी ने बताया कि जालसाजों ने उनकी जीवनभर की कमाई समेट ली। वह अवसाद में हैं।
यहां हुई चूक

जालसाजों ने जिस कूरियर कंपनी का नाम बताया, कॉल आने के बाद पीड़ित को सच्चाई जानने के लिए उस कंपनी से संपर्क करना चाहिए था। सीबीआई, क्राइम ब्रांच और ईडी सरीखी एजेंसियां किसी से भी फोन पर या स्काइप ऐप पर कभी लेनदेन की बात नहीं करती हैं। एजेंसियों का नाम आते ही हाउस अरेस्ट रहने के बजाए उन्हें अलर्ट होकर तुरंत पुलिस से संपर्क करना चाहिए था।

ऑफर बताकर कारोबारी से जमा करवा लिए 10.56 लाख
सैरपुर इलाके में रहने वाले कारोबारी उत्कर्ष के मोबाइल पर एक कॉल आई। कॉल करने वाले ने अपना परिचय कंपनी के सेल्स मैनेजर अनुज त्यागी के रूप में दिया। उसने कारोबारी को बताया कि फैक्ट्री में 500 बैग खरीदने पर ऑफर आया हुआ है। उसके बाद उसने उनके टिन नंबर से लेकर फर्म के जरूरी दस्तावेज वॉट्सऐप पर मंगवा लिए। दो बैंक खातों में दो बार में 10.56 लाख रुपये ट्रांसफर भी करवा लिए। जिस खाते में रकम भेजी, उनमें से एक कंपनी के नाम पर ही था। उसके बाद कथित सेल्स मैनेजर का फोन बंद हो गया। तब पीड़ित को ठगी का अहसास हुआ। उन्होंने सैरपुर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई है।बरतें सावधानी

अनजान शख्स की ओर से आने वाली कॉल को वेरिफाई करने के बाद ही उस पर भरोसा करें।

अनजान शख्स की ओर से भेजे लिंक पर क्लिक न करें और ऐप को डाउनलोड न करें।

मुनाफे का ऑफर देने वालों पर आंख मूंद कर भरोसा न करें।

सीबीआई, ईडी व क्राइम ब्रांच बताकर बात करने वाले फ्रॉड हैं। इनसे अधिक बात करने से बचें और पुलिस को सूचना दें।