Mainpuri Chunav- पिता मुलायम की राह पर चले अखिलेश डिम्पल को जिताने के लिए चला ऐसा विरोधी होंगे चित
मुलायम सिंह यादव 'नेताजी' की कर्मभूमि मैनपुरी से उपचुनाव लड़ रही डिंपल यादव की राह आसान करने के लिए अखिलेश यादव अब मुलायम सिंह यादव की डगर पर चल पड़े हैं। हमेशा से ही मुलायम सिंह यादव को जमीनी नेता माना जाता रहा है।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव अपने ससुर मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव मे उतरी हैं। डिंपल के खिलाफ बीजेपी से पूर्व सांसद रघुराज शाक्य ताल ठोक रहे हैं। आजमगढ़ और रामपुर की तरह बीजेपी मैनपुरी में भी 'कमल' खिलाने की पुरजोर कोशिश कर रही है।
मुलायम सिंह यादव 'नेताजी' की कर्मभूमि मैनपुरी से उपचुनाव लड़ रही डिंपल यादव की राह आसान करने के लिए अखिलेश यादव अब मुलायम सिंह यादव की डगर पर चल पड़े हैं। हमेशा से ही मुलायम सिंह यादव को जमीनी नेता माना जाता रहा है। उनका अचानक ही गांव व क्षेत्र में किसी कार्यकर्ता या आमजन के यहां पहुंच जाना लोगों को खूब भाता था। सभाओं में भी लोगों को नाम से बुलाना मुलायम का एक खास अंदाज ही थी। इसी अंदाज ने उन्हें आजीवन मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में अजेय रखा। उनके निधन के बाद उनकी पुत्रवधू और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव चुनावी मैदान में हैं। उनकी राह आसान बनाने के लिए अब अखिलेश यादव भी मुलायम सिंह यादव की उसी डगर पर चल पड़े हैं।
पहली बार नेताजी की तरह ही अखिलेश यादव मैनपुरी में अचानक लोगों के घर पहुंचे। उन्होंने कार्यकर्ताओं और आमजन से भी मुलाकात की। 14 नवंबर को डिंपल के नामांकन से पहले जहां अचानक अखिलेश यादव पूर्व विधायक रामेश्वर दयाल बाल्मीकि, सतीश सिंह राठौर और विद्याराम यादव के घर पहुंच गए थे।
उन्होंने कार्यकर्ताओं व लोगों से मुलाकात कर अपनापन जताया था। वहीं, नामांकन के बाद शहर के पंजाबी कॉलोनी स्थित श्री एकरसानंद आश्रम पहुंचकर ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर शारदानंद सरस्वती की समाधि पर पुष्प भी अर्पित किए।
सैफई लौटते समय अखिलेश करहल में राहुल जैन और नेताजी के करीबी पूर्व एमएलसी सुभाष यादव के आवास पर भी गए। दोनों जगह उन्होंने कुल दो घंटे समय बिताया और लोगों से मुलाकात की। इसके बाद 15 नवंबर को अखिलेश यादव बिना किसी पूर्व कार्यक्रम के कटरा समान पहुंच गए थे। यहां उन्होंने एक विद्यालय में लोगों से मुलाकात की थी। ऐसे में कहीं न कहीं अखिलेश भी अब धरती पुत्र की तरह ही जमीन से जुड़ने की कोशिश में हैं। ये जुड़ाव उन्हें कहां ले जाएगा ये तो वक्त ही तय करेगा।
बता दे मैनपुरी सीट पर यादव वोटर्स के बाद सबसे ज्यादा शाक्य वोटर्स हैं। सपा के इस मजबूत गढ़ में यादव वोटरों की संख्या करीब साढ़े चार लाख है जबकि इस सीट पर शाक्य वोटर्स की संख्या करीब सवा तीन लाख है। ठाकुर दो लाख और ब्राह्मण वोटर्स एक लाख है। वहीं, दलित दो लाख, इनमें से 1.20 लाख जाटव, 1 लाख लोधी, 70 हजार वैश्य और एक लाख मु्स्लिम है। सपा इस सीट पर यादव-मुस्लिम समीकरण के सहारे 1996 से लगातार जीत दर्ज कर रही है। यही वजह है कि डिंपल के लिए यह सीट सबसे ज्यादा सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन बीजेपी ने रघुराज शाक्य को उतारकर बड़ा दांव चला है।