बजरंगबली पर दिए बयान, को लेकर मऊ जिला जज ने, योगी आदित्यनाथ को जारी की नोटिस
आरोप है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान में विधानसभा चुनाव के दौरान 28 नवंबर 2018 को मालाखेड़ा में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि बजरंगबली ऐसे लोक देवता हैं जो स्वयं वनवासी हैं, गिरवासी हैं, दलित और वंचित हैं। इस भाषण से परिवादी के धार्मिक भावनाओं को ठेस और आघात पहुंचा है। साथ ही इष्ट देव श्री बजरंगबली में श्रद्धा रखने वाले समुदायों की आस्था आहत हुई है।
दोहरीघाट थाना क्षेत्र के कस्बा दोहरीघाट निवासी नवल किशोर शर्मा पुत्र देवनाथ शर्मा ने एक परिवाद दाखिल किया था। इसमें मुख्यमंत्री अजय सिंह विष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ महंत गोरक्षपीठ को आरोपी बनाया था। परिवादी के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्ति एवं मुख्यमंत्री एवं हिंदुओं के आस्था के केंद्र गोरक्षपीठ के महंत हैं। उनका भाषण देना, वक्तव्य देना देश, प्रदेश तथा प्रत्येक धर्म, जाति वर्ग एवं समुदाय में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। साथ ही लोग इस पर आस्था व विश्वास भी रखते है।
आरोप है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान में विधानसभा चुनाव के दौरान 28 नवंबर 2018 को मालाखेड़ा में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि बजरंगबली ऐसे लोक देवता हैं जो स्वयं वनवासी हैं, गिरवासी हैं, दलित और वंचित हैं। इस भाषण से परिवादी के धार्मिक भावनाओं को ठेस और आघात पहुंचा है। साथ ही इष्ट देव श्री बजरंगबली में श्रद्धा रखने वाले समुदायों की आस्था आहत हुई है। मामले में सुनवाई के बाद अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/एमपीएमएलए कोर्ट श्वेता चौधरी ने 11 मार्च को परिवाद खारिज कर दिया. अपने आदेश में उन्होंने लिखा था कि विपक्षी द्वारा राजस्थान राज्य के अलवर जिले के मालाखेड़ा स्थान पर वक्तव्य दिया गया है। घटना का स्थल राजस्थान राज्य में स्थित है. जनपद मऊ में इस न्यायालय को प्रस्तुत परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है. इस आदेश के विरूद्ध नवलकिशोर शर्मा ने मंगलवार को जिला जज की कोर्ट मे निगरानी दाखिल किया. जसके बाद यह परिवाद पूरे जनपद में चर्चा का विषय बन गया है।
ऐसी खबरे है कि एमपी/एमएलए कोर्ट की अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्वेता चौधरी ने सुनवाई के बाद 11 मार्च को परिवाद खारिज कर दिया था. इस आदेश के खिलाफ नवल किशोर शर्मा ने मंगलवार को जिला जज की कोर्ट में निगरानी दाखिल किया। जिसके बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश रामेश्वर ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्वेता चौधरी के आदेश के विरुद्ध दाखिल निगरानी को एडमिट करते हुए सीएम योगी को नोटिस जारी की। इसके साथ ही उन्होंने सुनवाई के लिए 26 अप्रैल की तिथि निर्धारित की है।