मदनी के बयान पर भड़के मौलाना शहाबुद्दीन, कहा- इस्लाम भारत का नया मजहब, ओम-अल्लाह अलग-अलग
मौलाना बरेलवी ने कहा कि ओम और अल्लाह ये दो शब्द हैं, जिसके माने भी अलग-अलग हैं। ओम तीन अक्षरों से बना हुआ एक शब्द है, जो ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवताओं का अवतार है। बता दें कि दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीअत-उलमा-ए-हिंद के अधिवेशन में मौलाना अरशद मदनी ने ओम और अल्लाह को एक बताया था।
मौलाना अरशद मदनी के बयान पर बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। मौलाना बरेलवी ने कहा कि ओम और अल्लाह ये दो शब्द हैं, जिसके माने भी अलग-अलग हैं। ओम तीन अक्षरों से बना हुआ एक शब्द है, जो ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवताओं का अवतार है। बता दें कि दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीअत-उलमा-ए-हिंद के अधिवेशन में मौलाना अरशद मदनी ने ओम और अल्लाह को एक बताया था।
मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि वो जात जिसका न बेटा है और न बेटी और न ही कोई किसी से रिश्तेदारी। वो हर चीज से पाक और बेनियाज है, उसको इस्लाम मजहब के अनुयायी अल्लाह कहते हैं। ये अरबी का शब्द है। इसी को फारसी शब्द में खुदा कहते हैं। ओम और अल्लाह दोनों शब्द अलग-अलग माने रखते हैं। इनके अनुयायी भी अलग-अलग मजहब के हैं। दोनों को साथ में जोड़कर देखना या समझना बहुत बड़ी गलती है।
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने आगे कहा कि इस्लाम मजहब भारत का नया मजहब है। भारत में इस्लाम के आने से पहले कई मजहब मौजूद थे, जिनमें बुद्ध, जैन और आर्यन मजहब का नाम लिया जा सकता है। मौलाना अरशद मदनी का ये कहना कि इस्लाम भारत का सबसे पुराना मजहब है, ये बात तारीखी हकीकत के खिलाफ है।
कहा कि इस्लामी तारीख तो ये बताती है कि इस्लाम भारत में आया हुआ नया मजहब है, जिन मुस्लिम बादशाहों ने भारत में सत्ता संभारी उनकी रवादारी और जनता के साथ अच्छे व्यवहार किए। साथ ही सूफियों के भाईचारा के पैगाम ने इस्लाम को फल फूलने का अवसर मिला। भारत में इस्लाम के प्रचार में सूफियों का ही असल योगदान है।
उन्होंने कहा कि अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, दिल्ली में ख्वाजा निजामुद्दीन चिश्ती, बंगाल में सूफी हकपंडवी, उत्तर प्रदेश के बहराइच में मसूदगाजि आदि जैसे सूफियों ने धर्म का प्रचार-प्रसार किया, जिसकी वजह से भारत में इस्लाम फैला। इन सूफियों के दरबार में सभी धर्मों के मानने वाले लोग अकीदत के साथ जाते थे, वो सभी को आशीर्वाद दे कर गले से लगाते थे। सूफियों के दरबार में मोहब्बत की बातें होती थीं।